अभी मई का महीना शुरू हुआ है. पर पूरा जिला अभी ही भीषण गर्मी एवं तपीश के चपेट में है. जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में शनिवार को गर्मी को लेकर त्राहिमाम मचा रहा. सुबह सात-आठ बजे के बाद से ही गर्मी व तपिश ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया. शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों की कमोवेश स्थिति एक जैसी ही है. पिछले कुछ दिनों से जारी गर्मी से जनजीवन पूरी तरह प्रभावित है. इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित मजदूर, फुटपाथ दुकानदार एवं महिलाएं हो रही है. खासकर शहरी क्षेत्र की स्थिति और भी गंभीर है. यहां पेयजल की गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है. शहर के प्रमुख चौक- चौराहा पर पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है. साथ ही कई सार्वजनिक स्थलों पर भी पेयजल का गंभीर संकट है. बस स्टैंड, ऑटो स्टैंड आदि जगहों पर भी यात्रियों के पीने के लिए पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. अपना प्यास बुझाने के लिए जिला मुख्यालय आने वाले लोगों को इधर उधर भटकना पड़ता है. सक्षम लोग तो बोतलबंद पानी खरीद कर पी लेते है. पर गरीब-मजदूर तबके के लोगों को अत्यधिक परेशानी उठानी पड़ रही है. ऐसे लोगों को चापाकल या अन्य पेयजल की व्यवस्था पर ही निर्भर रहना पड़ता है. पर अब तक ऐसी व्यवस्था शहर में नहीं दिख रही है. जिसकी वजह से लोग हलकान हो रहे है. उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय होने की वजह से ग्रामीण क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग सरकारी कामकाज व कोर्ट कचहरी के कार्यों से यहां आते है. साथ ही अपने गंतव्य स्थान को आने जाने के लिए भी बस व ऑटो की यात्रा यहां उन्हें करनी पड़ती है. इस गर्मी में ऐसे लोगों को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. खासकर पेयजल की समस्या से ऐसे लोगों को जूझना पड़ता है. बस स्टैंड में पेयजल के लिए भटकते है लोग यूं तो शहर के कटिहार-मनिहारी रोड में उदामारखा के पास बस स्टैंड बनाया गया है. पर यहां से बस परिचालन अब तक शुरू नहीं हुआ है. फिलहाल बस का परिचालन शहर के मिरचाईबाड़ी मनिहारी मोड़ से होती है. यहां से पूर्णिया, अररिया, भागलपुर, पटना, अमदाबाद, फलका सहित विभिन्न क्षेत्रों के लिए बस की आवाजाही होती है. बड़ी संख्या में लोग बस पकड़ने के लिए यहां आते है. जबकि दूसरे जगह से बस से यहां पहुंचते है. उसके बाद अपने गंतव्य स्थान को जाते है. इस अस्थायी बस स्टैंड में किसी भी तरह की बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था नहीं है. खासकर इस गर्मी के समय में यहां पर पेयजल का गंभीर समस्या है. लोगों को सुरक्षित पेयजल नसीब नहीं हो रहा है. सक्षम लोग बोतलबंद पानी खरीद कर अपनी प्यास बुझाते है. जबकि गरीब, मजदूर तबके के लोग आस पास में नाश्ता, चाय दुकान या होटल में जाकर किसी तरह प्यास बुझाते है. अधिकांश लोग तो पेयजल के लिए इधर-उधर भटकते है. ऑटो स्टैंड में नहीं है पेयजल की व्यवस्था लोगों की आवाजाही का एक प्रमुख साधन ऑटो है. शहर के शहीद चौक के समीप पुराना बस स्टैंड को ऑटो स्टैंड के रूप में उपयोग किया जाता है. बड़ी संख्या में ऑटो हर दिन आकर लगती है तथा दूरदराज के लोगों को उनके गांव तक पहुंचाने का काम करती है. मुख्य बाजार होने के कारण बड़ी संख्या में लोग शहर में आते है और बाजार करके ऑटो से अपने गांव व घर जाते है. हजारों लोगों की आवाजाही हर दिन यहां हो रही है. पर इस गर्मी के मौसम में ऐसे लोगों के समक्ष पेयजल की गंभीर समस्या है. ऑटो स्टैंड में न तो कोई चापाकल की व्यवस्था है और न ही पेयजल के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था है. अगर ऑटो के लिए लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ा तो समस्या और भी जटिल हो जाती है. पेयजल को लेकर लोगों को इधर उधर भटकना पड़ता है. खास कर चाय की दुकान या होटल में जाकर किसी तरह लोग अपनी प्यास बुझाते है. पर नगर निगम प्रशासन या जिला प्रशासन का ओर कोई ध्यान नहीं है. चौक-चौराहा पर पेयजल का संकट इस भीषण गर्मी एवं तपिश में सर्वाधिक परेशानी शहरी क्षेत्र में है. खासकर सुरक्षित पेयजल की किल्लत से लोग जूझ रहे है. सरकारी एवं गैर सरकारी स्तर पर शहर के चौक चौराहा एवं सार्वजनिक स्थलों पर पेयजल की व्यवस्था नहीं होने से जिला मुख्यालय आने वाले राहगीरों एवं आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे लोगों को या तो खरीद कर पानी पीना पड़ रहा है या फिर दूषित पानी का सेवन करने के लिए मजबूर है. यूं तो कई स्वयंसेवी संस्थाये भी ऐसे गर्मी के समय में पेयजल की व्यवस्था करती रही है. पर एक सप्ताह से शुरू हुई भीषण गर्मी के बाद भी अब तक कोई स्वयंसेवी संस्थाये पेयजल के लिए आगे नहीं आयी है. प्रशासन भी इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है. फलस्वरुप लोगों का हलक सूख रहा है.
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