कुरसेला में कोसी के बहाव क्षेत्र में आयी कमियां दे रहा जल संकट का संदेश

तकरीबन एक दशक से कोसी नदी का सिमटने का सिलसिला है जारी

By Prabhat Khabar News Desk | May 6, 2024 10:11 PM

गरजती उफान खाती कोसी नदी के प्रवाह दायरे सिमट कर छोटे पड़ते जा रहे है. तकरीबन एक दशक से कोसी नदी का सिमटने का सिलसिला बना हुआ है. तिब्बत, नेपाल हिमालय के शिखर से निकल कर कुरसेला में गंगा से संगम करने वाली कोसी नदी के बहाव क्षेत्र में लगातार कमी आ रही है. कुरसेला में दो दिशाओं से आकर गंगा में मिलने वाली धाराओं में एक धारा लगभग विलुप्त हो चुकी है. नदी के मुख्य प्रवाह बीते एक दशक से लगातार सिमटता जा रहा है. वर्ष 2008 में कुसहा तटबंध टूटने के उपरांत कुसहा क्षेत्र से कोसी नदी के प्रवाह दिशा में बदलाव आने से सहायक नदियों के मुख्य धारा से श्रोत टूट गया. सहायक नदियों के कोसी के मुख्य प्रवाह से दूर होने की वजह श्रोत मिलने के जगह गाद का भरना माना जाता है. वर्षो से प्रवाहित हो रही कोसी की सहायक नदियों का अस्तित्व खो गया. पूर्णिया जिले के सिमड़ा पोठिया के गद्दी घाट सहित अन्य स्थानों पर बहने वाली कोसी की छोटी धाराओं की अब स्मृतियां शेष रह गयी है. हिमालय पर्वतमाला के 7000 मीटर के उंचाई से कोसी की यात्रा शुरु होती है. जिनका जलग्रहण भाग नेपाल व तिब्बत में पड़ता है. दुनिया का सबसे उंचा शिखर माउन्ट ऐवरेस्ट, कंचन जंघा कोशी के जल ग्रहण क्षेत्र में आता है. नेपाल में नदी को सप्तकोसी के नाम से जाना जाता है. सप्तकोसी में इन्द्रावती, सुनकोसी, तांबाकोसी, लिक्षुकोसी, दुधकोसी, अरुणकोसी, तामरकोसी का सम्मिलित प्रवाह से कोसी नदी बनती है. इनमें क्रमश पांच नदियों के मिलन से सुनकोसी बनती है. यह नदियां गोरी शंकर शिखर मकालू पर्वतमाला से होकर आती है. छठी धारा अरुण कोसी है. इनका जलग्रहण क्षेत्र मांउट ऐवरेस्ट है. सातवींं धारा तामरकोसी कंचनजंघा पर्वतमाला से पानी लाती है. नेपाल के धनकुट्टा जिले के त्रिवेणी नाम के स्थान पर सुनकोसी, अरुणकोसी, तामर कोसी आकर मिल जाती है. यहां से नदी का नाम सप्तकोसी महाकोसी कोसी कहलाने लगती है. मैदानी भाग में आकर कोसी का भाग छह से दस किलोमीटर में फैल कर चौड़े हो जाते हैं. नदी नेपाल में तकरीबन 50 किलोमीटर प्रवाह कर हनुमान नगर के समीप भारतीय सीमा में प्रवेश करती है. हनुमान नगर नेपाल में कोसी के पश्चिमी किनारे पर है. जबकि पुर्वी किनारे पर भारत के भीम नगर का कस्बा पड़ता है. सुपौल जिले के भीम नगर से सहरसा जिले के महिषी गांव तक अधिकांश रूप से कोसी दक्षिण पश्चिम दिशा में लगभग एक सौ किमी का सफर तय करती है. महिषी के निचे तीस किमी बहने के बाद मानसी सहरसा के बीच कोपड़िया के दक्षिण मे रेल लाइन को पार कर कुरसेला आकर गंगा नदी से संगम कर अस्तित्व खो देती है. कोसी का जलग्रहण क्षेत्र सहायक नदियां कोसी नदी का 74,030 वर्ग किमी है. जिसमें इसकी दो मुख्य सहायक धाराएं कमला 7232 वर्ग किमी तथा बागमती 14374 वर्ग किमी का जल ग्रहण क्षेत्र शामिल है. कोसी नदी का जलग्रहण क्षेत्रों में 11410 वर्ग किमी भारत में और बांकी के 62620 वर्ग किमी तिब्बत नेपाल में पड़ता है. सुनकोसी, अरुण कोसी, तामर कोसी का जलग्रहण क्षेत्र क्रमश लगभग 19,000, 34650, 5900 वर्ग किमी है. कोसी का ग्लेशियर वाला क्षेत्र तिब्बत नेपाल में है. कोसी के निचले क्षेत्रों में 1323 मिमी व उपरी क्षेत्रों में 1589 मिमी वर्षा का अनुपात है. सूख गयी नदी की उपधारा नेपाल के हिमालय से निकल कर भारत में प्रवेश कर बिहार का अभिषाप और मिथिला का पालना बनने वाली कोसी नदी का प्रवाह दायरे सिमटने की ओर है. नदी के उपधारा सुख कर अस्तित्व खो चुकी हैं. पोठिया गद्दी घाट और बसंतपुर गांव के बीच बहने वाली कोसी नदी की उपधारा गुजरे वक्त की यादें बनकर रह गई है. सिमड़ा, भदैयाटोला, टिकापट्टी स्थानों से गुजरने वाली धारा की पहचांन मौसमी नदियों के रुप में रह गई है. गंगा से मिलन को आतुर रहने वाली कोसी नदी के धाराएं सिमट कर छोटी दिखने लगी है. भीमनगर से दक्षिण की ओर 260 किमी चलकर कोसी नदी कुरसेला में गंगा नदी से संगम करती है.

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