कटिहार से 13 बार चुनाव लड़े तारिक, छह बार चुने गये सांसद

काफी उतार चढ़ाव रहा है सियासी सफर

By Prabhat Khabar News Desk | June 6, 2024 11:22 PM

कटिहार. पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य तारिक अनवर का पूरा राजनीतिक जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहा है. अपने राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बीच तारिक 1977 से 2024 तक कटिहार संसदीय क्षेत्र से 13 बार चुनाव लड़े, जिसमें छह बार उन्हें सफलता हासिल हुई और संसद पहुंचे. 18वीं लोकसभा चुनाव में छठी बार सांसद बनकर उन्होंने एक बार फिर अपनी सियासी ताकत व सूझ बूझ का एहसास कराया है. उल्लेखनीय है कि कटिहार के नवनिर्वाचित सांसद तारिक अनवर का 1951 को पटना में स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार में हुआ था. उनके दादा बैरिस्टर शाह जुबैर स्वतंत्रता सेनानी थे. पिता शाह मुश्ताक अहमद व माता बिलकिस जहां के 73 वर्षीय पुत्र तारिक की प्रारंभिक शिक्षा पटना में ही हुई. इसके बाद उन्होंने पटना कॉमर्स कॉलेज से बीएससी की डिग्री प्राप्त की. जानकारों की मानें तो कॉलेज के दिनों से ही तारिक अनवर ने अपने राजनीतिक।करियर की शुरुआत की. इस दौरान भी वह कांग्रेस के छात्र संगठन से जुड़कर काम कर रहे थे. वर्ष 1970 में वह सक्रिय रूप से कांग्रेस से जुड़े. अनवर ने राजनीति में पूर्ण रूप से आने से पहले कुछ समय तक पटना में ही पत्रकारिता की. उन्होंने 1972 में पटना से ””””छात्र”””” नामक हिन्दी में एक साप्ताहिक टैब्लॉयड शुरू किया. साथ ही एक साप्ताहिक टैब्लॉयड शुरू किया. 1974 में वे ””””युवक धारा”””” व साप्ताहिक टैब्लॉयड पत्रिका ””””पटना”””” के संपादक बने. बाद में यह पत्रिका 1982 में दिल्ली से पाक्षिक पत्रिका के रूप में छपने लगी. जानकारों की मानें तो तारिक ने सीताराम केसरी के सानिध्य में सक्रिय राजनीति की शुरुआत की.

1999 में पवार व संगमा के साथ कांग्रेस से हुए थे अलग

तारिक अनवर का राजनीतिक जीवन काफी उतार-चढ़ाव कर रहा है. वर्ष 1999 में उनके राजनीतिक जीवन में एक नया मोड़ आया था. उस समय कांग्रेस नेतृत्व को लेकर सवाल उठ रहा था. तब शरद पवार, पीए संगमा व तारिक अनवर ने सोनिया गांधी का विदेशी मूल का मुद्दा उठाकर पार्टी के कार्यसमिति की बैठक से बाहर हो गये थे तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के रूप में नयी पार्टी बना ली. श्री अनवर एनसीपी के संस्थापक सदस्यों में एक रहे है. करीब 19 वर्ष बाद वर्ष 1918 में श्री अनवर को एनसीपी छोड़ना पड़ा. हालांकि इसके पहले पीए संगमा ने भी एनसीपी को अलविदा कह दिया था. तब यह माना जा रहा है है कि एनसीपी में श्री अनवर के रूप में एक बड़ा मुस्लिम चेहरा भी था. उल्लेखनीय है कि श्री अनवर कांग्रेस से ही अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी. पहली बार 1977 में कांग्रेस के टिकट पर कटिहार से लोकसभा का चुनाव लड़ा था. हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

1980 में बने थे पहली बार सांसद

वर्ष 1977 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद जब वर्ष 1980 में लोकसभा का चुनाव हुआ तो तारिक अनवर कांग्रेस की टिकट से मैदान में थे. इस चुनाव में उनकी जीत हुई और पहली बार कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने. इसके बाद वर्ष 1980, 1996 व 1998 में कांग्रेस के टिकट पर ही अनवर चुनाव लड़े और सांसद बने. हालांकि उन्हें 1989 व 1991 के लोकसभा चुनाव पराजित होना पड़ा था. जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बनाने के बाद श्री अनवर 1999, 2004 व 2009 में इसी पार्टी से चुनाव लड़े. लेकिन तीनों चुनाव में उन्हें पराजित होना पड़ा. हालांकि मोदी लहर के बीच एनसीपी के टिकट पर वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार जीते. इस चुनाव में राजद व कांग्रेस सहित अन्य दलों का भी समर्थन मिला था. सियासी जानकार बताते हैं कि एक समय कांग्रेस में ऐसा था. जब अनवर सियासत के शिखर पर थे. जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम केसरी बने थे. तब उनके राजनीतिक सलाहकार अनवर ही थे. पर उसके बाद सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाने के मुद्दे पर कांग्रेस दो गुटों में बंट गयी.

महाराष्ट्र से गये थे राज्यसभा

वर्ष 2004 व 2009 के चुनाव हारने के बाद एनसीपी नेतृत्व में तारिक अनवर को महाराष्ट्र से राज्यसभा का सांसद बनाया. अनवर राज्यसभा सदस्य के रूप में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के दूसरे कार्यकाल में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भी बने थे. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव तक वे केंद्रीय मंत्री रहे. उनके राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव रहा है. राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों की मानें तो आपातकाल के बाद जनता पार्टी के शासन दौरान 1977-80 तक वह बिहार राज्य युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. 1980 में कांग्रेस के सत्ता में वापस आने पर इंदिरा गांधी ने उन्हें अखिल भारतीय युवक कांग्रेस का महासचिव की जिम्मेदारी दी. उसके बाद वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का संयुक्त सचिव बने. बाद में तारिक को अखिल भारतीय युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. बताया जाता है कि तारिक पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के काफी करीबी थे. राजीव ने पहले उन्हें कांग्रेस सेवा दल का अध्यक्ष और फिर बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया था.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version