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हर काल में है विधाता, चाहे काल कोई भी हो हर बात में है विधाता बदनाम कोई भी… पर खूब बजी तालियां

अंग्रेजी स्कूल में पढ़कर हिन्दी से प्रेम करना भूलते जा रहे हैं आज के युवा

कटिहार. हिन्दी दिवस के अवसर पर शनिवार को गोपाल सोनी के आवास पर जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया गया. हिन्दी साहित्य सम्मेलन का उदघाटन संस्था के नवमनोनीत संयोजक सह विधान पार्षद अशोक कुमार अग्रवाल, पूर्व विधान पार्षद राजवंशी सिंह, गोपाल सोनी द्वारा संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया गया. प्रथम सत्र में साहित्य सम्मेलन का वार्षिक अधिवेशन और द्वितीय सत्र में हिन्दी दिवस, पुस्तक लोकार्पण एवं कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया. वार्षिक अधिवेशन में सारी औपचारिकताओं के बाद जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन, कटिहार की कार्यकारिणी का पुर्नगठन किया गया. अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष डॉ सुरेशचन्द्र सरस ने की. हिन्दी, हिन्दी की बोलियां और अन्य भारतीय भाषाएं विषय पर साहित्यिकारों ने अपनी अपनी राय रखी. साहित्यकारों के समूह द्वारा काव्य संग्रह लड़की होने की सजा कब तक पुस्तक का विमोचन किया गया. काव्य संग्रह के सम्पादक डॉ कामेश्वर पंकज ने बताया कि यह संग्रह कोलकाता के मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की प्रशिक्षु महिला चिकित्सक को श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित. पीयू के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ कामेश्वर पंकज ने हिन्दी दिवस पर हिन्दी को अपनाने की बात कही. उन्होंने सभी को रोमण को छोड़ कर हिन्दी में लिखने पढ़ने और बोलने की जरूरत बताया. मौके पर कन्हैया प्रसाद, विनोद कुमार मिश्रा, शिवकुमार नीलकंठ, सहदेव मिश्रा, डॉ अनवर हुसैन, विनोद कुमार नैतिक, आचार्य जवाहरदेव, गुणानंद महाराज, बेला कुमारी, डॉ दशरथ प्रसाद सिंह, जयदेव कुमार दास सहित दो दर्जन से अधिक साहित्यकार व वक्ता मौजूद थे. संस्था के संयोजक ने साहित्यकारों को ठिकाना देने का दिया आश्वासन हिन्दी साहित्यकार सम्मेलन कटिहार की कार्यकारिणी का पुनर्गठन किया गया. सर्वसम्मति से विधान पार्षद अशोक कुमार अग्रवाल को संस्था का संयोजक, अध्यक्ष डॉ सुरेशचन्द्र सरस, उपाध्यक्ष शिवकुमार नीलकंठ, आम्रपाली यादव, सचिव डॉ अवधविहारी आचार्य, संयुक्त सचिव नेहा किरण, संयुक्त सचिव सह कोषाध्यक्ष डॉ जवाहर देव, मीडिया प्रभारी डॉ अजय कुमार मीत, संरक्षक डॉ सुशील कुमार आचार्य, गोपाल सोनी, गुणानंद महाराज, विश्वनाथ राम कुशवाहा को सर्वसम्मति से मनोनीत किया गया. हिंदी दिवस पर ही नहीं हर दिन हिंदी अपनाने पर दिया गया जोर हिन्दी दिवस पर गोपाल सोनी ने बताया कि इसे केवल हिन्दी दिवस पर नहीं हर दिन हिन्दी का सम्मान देना होगा. उन्होंने कविता के माध्यम से बताया कि हिन्दी दिवस मना रहे हैं. मां बाप को मम और डैड बता रहे हैं. हिन्दी दिवस मना रहे हैं. चाचा व भाई को अंकल व ब्रदर बता रहे हैं. इससे काम नहीं चलनेवाला है. हिन्दी में बोलचाल व प्रयोग लाने से ही हिन्दी घर घर की भाषा होगी.

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