राजवाड़ा के बम काली मंदिर की दूर-दूर तक फैली है प्रसिद्धि
कालीपूजा पर दूर-दूर से पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं श्रद्धालु
कोढ़ा. प्रखंड क्षेत्र के राजवाड़ा पंचायत स्थित मां बमकाली मंदिर अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को लेकर इस क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है. बमकाली मंदिर के प्रसिद्धि बहुत दूर-दूर तक फैली हुई है. यह मंदिर न केवल अपनी अलौकिक व चमत्कारिक शक्ति के लिए जाना जाता है. बल्कि मंदिर की अलौकिक शक्ति को लेकर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों समेत सीमांचल के साथ-साथ पड़ोसी राज्य बंगाल से श्रद्धालु पहुंचकर बमकाली की पूजा-अर्चना करते हैं. अपने मनोवांछित कामनाएं करते हैं. हसनगंज-पलटनिया मुख्य मार्ग पर रेलवे गेट संख्या सात के समीप मनोकामना पूर्ण के रूप में प्रसिद्ध मां बम काली मंदिर में कालीपूजा के अवसर पर दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं. लोगों में यह विश्वास है कि इस मंदिर में सच्चे मन से मांगी मुराद माता पूरा करती है. दीपावली के दिन धूमधाम के साथ इस मंदिर में पूजा अर्चना किया जाता है.
करीब 130 साल पुरानी है मंदिर
राजवाड़ा का यह बम काली मंदिर करीब 130 वर्ष पुरानी है. जानकार बताते हैं कि यह बम काली मंदिर अंग्रेजों के जमाने से पूर्व से है. तब से लेकर आज तक बमकाली माता की पूजा अर्चना की जाती रही है. पहले मिट्टी के चबूतरे पर सिरिस पेड़ के नीचे श्रद्धालुओं के द्वारा पूजा अर्चना की जाती थी. सिरिस पेड़ के सूखने पर उसी स्थान पर पीपल का पौधा उग आया है. लेकिन अब पूजा कमेटी के सदस्यों के द्वारा इस स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण करा दिया गया है. साथ ही मंदिर प्रांगण में ही छठ घाठ भी बनाया गया है. इतना ही नहीं मंदिर के प्रांगण में ही दो सामुदायिक भवन और श्रद्धालुओं के बैठने के लिए शेड का निर्माण भी कराया गया है. ताकि पूजा अर्चना करने आये श्रद्धालुओं किसी प्रकार का कठिनाइयों का सामना न करना पड़े.
प्रतिमा की नहीं, पेड़ की होती है पूजा
मान्यता है कि यहां मां जागृत रूप में है. इसी पेड़ पर माता का निवास है. इसलिए यहां प्रतिमा की स्थापना नहीं की जाती है और श्रद्धालु उक्त पेड़ की ही पूजा-अर्चना करते हैं. जानकार बताते हैं कि पूर्व में मंदिर का निर्माण राजवाड़ा पंचायत के पूर्व मुखिया सह अधिवक्ता सुरेश कुमार राय द्वारा कराया गया है. पूजा अर्चना के दौरान श्रद्धालुओं को किसी प्रकार का कठिनाई न हो इसका पूजा कमेटी के द्वारा विशेष ध्यान रखा जाता है.कहते हैं पूजा कमेटी के सदस्य
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