कटिहार इस वर्ष मकर सक्रांति का पर्व आगामी 14 जनवरी को मनाया जायेगा. कई वर्षो के बाद इस पर्व को लेकर सभी पंचांगों में एकजुटता को देखा गया है. जिसमें सभी पंचांग 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाने के मामले में एकमत है. जिसको लेकर मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जायेगा. इस संदर्भ में आचार्य डॉ राम कन्हाई शास्त्री बताते है की मकर राशि में संक्रांति का प्रवेश वैसे तो शास्त्र पुराणों में इसका अनेक कथाओं के विषय में बताया गया है. लेकिन मुख्य रूप से माना जाता है कि भगवान आशुतोष ने इस दिन ही भगवान विष्णु को आत्मज्ञान का शिक्षा दिया था. इस दिन से ही देवताओं का दिन का शुभारंभ भी होता है. इससे पहले सूर्य जब दक्षिणायन में होते हैं. इसे देवताओं का रात्रि काल कहा जाता है. तिला संक्रांत से सूर्य उत्तरायण होते हैं जो छह माह देवताओं का दिन माना जाता है. जागृत काल में ही शुभ काम का भी शुभारंभ होता है. अनंत शुभ दायक माना जाता है. आचार्य राम कन्हाई शास्त्री बताते हैं कि 14 जनवरी के दिन का बड़ा ही महत्व है. उस दिन स्नान करने से पहले जल में हल्का शक्कर, तिल और गंगाजल जरुर मिला लें. इस दिन मीट, मछली, लहसुन प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन चुड़ा दही, तिल, मिठाई व खिचड़ी का सेवन करना चाहिए. क्योंकि दही शुभ का प्रतिक है. चुउ़ा रोग मुक्ति का प्रतिक है. मिठाई खुशी का प्रतिक है. तिल को भगवान विष्णु के अंग का प्रतीक है. खिचड़ी अशुभ ग्रह का निवारण का प्रतिक है. डॉ शास्त्री ने कहा कि उस दिन दान पुण्य करने का अलग ही महत्व है. यथासंभव लोगों को दान पुण्य जरूर करना चाहिए. मकर सक्रांति को लेकर बाजार में खरीदारी हुई शुरू मकर सक्रांति पर्व को लेकर बाजार में खरीदारी शुरू हो गई है. लोग अभी से खरीदारी करने में जुटे हुए हैं. बता दें कि मकर सक्रांति के दिन घर में मुढ़ी, चूड़ा, तिल के लाय बनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस परंपरा को निभाने के लिए बाजार में चुड़ा, मुढ़ी, तिल, गुड़ की डिमांड बढ़ गई है. एक तरफ शहर के विभिन्न स्थानों पर तिलकुट बनाने का कार्य भी जोरों पर चल रहा है तो दूसरी तरफ बाजार में चूड़ा, मुढ़ी, गुड़ की खरीदारी जोर पकड़ ली है. बता दें कि मकर सक्रांति पर्व को लेकर एक महीने पूर्व से ही तिलकुट बनाए जा रहे हैं. गुड़ के तिलकुट, चीनी के तिलकुट, खोवा टिलकुट बालूशाही तिलकुट आदि कई ऐसे लजीज तिल से बने मिठाई तैयार किए गए हैं. बाजार में सामग्रियों के दाम भी पांच से 10 रु की बढ़ोतरी हुई है. सादा तिल 200 रुपया किलो, काला तिल 150 रुपए किलो, कतरनी चूड़ा 60 रु किलो, मुढ़ी 60 से 70 रुपए किलो, तिलवा 100 रु किलो, गुड़ 50 से 60 रु किलो तथा प्लेन चूड़ा 40 से 50 रु किलो बाजार में बिक रहे है. इसके अलावा चुड़ा मुढ़ी के लाय 100 रु किलो, घेवर रिफाइंड 250 से 300 रु किलो, तथा देसी घी के 500 से 600 रु किलो की बिक्री हो रही है. बाजार में तिल से बने तिलकुट 250 से 600 रु किलो तक बिक रहे हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है