मानसून आगमन के दस्तक से क्षेत्र में बाढ़ आपदा का खतरा बढ़ चला है. गंगा सहित कोसी नदी के जलस्तर मे उफान बढ़ने लगा है. धार्मिक मान्यातों में ऐसा कहा जाता है कि जेयष्ट माह के शुक्ल पक्ष के गंगा दशहरा के तिथि से गंगा नदी के जलस्तर में उफान बढ़ने लगता है. जलग्रहण क्षेत्रों में होने वाले बारिश नदियों के उफान को बढ़ाने का कार्य करती है. कोसी गंगा नदियों के बाढ़ कटाव से परिक्षेत्र की एक बड़ी आबादी दशकों से तबाही का दंश झेलती आयी है. इस दिशा में किये गये सरकारी प्रयास अब तक विफल साबित होते आया है. परिक्षेत्र के जनमानस को बाढ के प्राकृतिक विपदा से राहत नहीं दिला सकी है. प्रतिवर्ष बाढ का आना और तबाही मचा जाना क्षेत्र की नियति बन चुकी है. प्राकृतिक आपदा के मार से बेवस किसान मजदूर कराहते आये हैं. बाढ़ की विभीषिका क्षेत्र के तरक्की में बाधक बन जाता है. गंगा, कोसी नदियों का सैलाव तबाही का कहर बरपा कर दर्द का टीस छोड़ जाती है. बाढ़ कटाव से निजात दिलाने की गयी तमाम कोशिश नकाम साबित होती आयी है. बांध का बनाने टूटने का सिलसिला लगभग पांच दशकों से चलता आया है. नदियों मे उफान आने के साथ किसानों के भदई खरीफ फसलों के पैदावार पर ग्रहण लगा जाता है. नदियां बाढ़ के तबाही में किसानों की मेहनत पूंजी के साथ उनके अरमानों को डुबो जाती है. धन जन की हानि जानमानस के लिए पीड़ा का दर्द छोड़ जाती है. नदियों के बहाव दिशा में परिर्वतन से कटाव की समस्या पैदा होते रहती है. कटाव प्रकोप से अबतक बड़ी आबादी के कई गांव गंगा कोसी नदियों के कोख में विलीन हो चुकी है. नदियों के आगोश में समाते गांवों से विस्थापित परिवारों की कतारे लम्बी होती आई है. कई गांवों में कटाव की समस्या, करोड़ों खर्च के बावजूद स्थिति जस की तस लाखों करोड़ों के लागत खर्च से बनने वाले बांध सड़क टूट कर बर्वाद होते आये है. प्रखंड क्षेत्र के शेरमारी, चांयटोला, कमलाकान्ही, गुमटीटोला, कटरिया, पत्थलटोला, तीनघरिया, खेरिया, बसुहार, मजदिया, बाघमारा, रामपुर, यादव टोली आदि गांव नदियों के करीब बसा है. इन गांवों पर अस्तित्व का संकट व बाढ़ आपदा का खतरा अधिक होता है. क्षेत्र के बांकी दूसरे गांव भी प्रतिवर्ष बाढ़ कटाव के तबाही का दंश झेलने को विवश रहते है. नदियों में उफान बढ़ते ही कटाव संकट बढ़ने लगता है. राज्य में कुछ दिनो में मानसून प्रवेश करने वाला है. मानसुन के दस्तक ने क्षेत्र में बाढ़ खतरा का सायरण बजा दिया है. क्षेत्र का जनमानस बाढ़ संकट को लेकर दहशत में है. किसानो को अभी से खरीफ फसल के डूबने की आशंका सताने लगी है. सरकारी स्तर पर प्रशासन ने बाढ़ आपदा से निबटने की मुकम्मल तैयारी की है. बाढ़ आपदा के समय देखना यह होगा कि प्रशासनिक तैयारिया कितना आपदा पीड़ित को राहत सहयता प्रदान कर पाती है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है