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जिउतिया पर्व को लेकर बाजार में रही चहल-पहल

महिलाओं ने पूजन सामग्री की खरीदारी

कटिहार. संतान की लंबी आयु को लेकर सोमवार को नहाय खाय के साथ जीवित्पुत्रिका अर्थात जिउतिया पर्व की शुरुआत हो जायेगी. जबकि मंगलवार को सूर्योदय से पहले ओठगन तथा पूरे दिन निर्जल उपवास करेंगे और बुधवार की शाम 05, 04 मिनट के बाद पारण करेंगे. लेकिन इस वर्ष सभी पंचांग एक मत नहीं होने के कारण यह पर्व भी दो भागों में बंट गया है. आधे परवर्ती मंगलवार को नहाय खाय करेंगे जबकि आधे बुधवार को नहाय खाय करेंगे. आचार्य डॉ राम कन्हाई शास्त्री, बड़ी दुर्गा स्थान मंदिर के पुजारी अजय मिश्र तथा शिव मंदिर चौक के शिव मंदिर के पुजारी बबलू पाठक के अनुसार सोमवार के दिन नहाय खाय और मंगलवार को सूर्योदय से पहले ओठगण तथा बुधवार की शाम 5:04 के बाद पारण बताया है. लेकिन इस मामले में परवर्ती अपने-अपने पंचांग व हिसाब के अनुसार पर्व कर रहे हैं. पर्व को लेकर रविवार की देर शाम तक बाजार में पूजा सामग्रियों की खरीदारी करने के लिए परवर्ती की भारी भीड़ रही. पूजा दुकान, फल दुकान एवं मिठाई दुकान पर पर्व करने वाली महिलाओं की भीड़ लगी रही. जिउतिया पर्व हिंदू धर्म में बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ मनाये जाने वाला पर्व है. इस पर्व को लेकर मां उत्साहित रहती है. संतान की लंबी आयु को लेकर यह पर्व मनाया जाता है.

निर्जला उपवास कर की जाती है पूजा-अर्चना

हिंदू धर्म में कई ऐसे पर्व है जो कठिन है. जिउतिया पर्व सबसे कठिन पर्व में एक माना जाता है. क्योंकि इस पर्व को करने में निर्जला उपवास रहना पड़ता है. तीन दिवसीय इस पर्व में प्रथम दिन नहाए खाए से शुरू होती है. जिसमें महिलाएं नहाने के बाद पूजा कर भोजन करती है. दूसरे दिन व्रत जितिया कहा जाता है. यह व्रत का विशेष व मुख्य दिन होता है. जो की अष्टमी को पड़ता है. इस दिन महिलाएं निर्जला रहती है. यहां तक की रात को भी एक बूंद का पानी नहीं पिया जाता है. तीसरा दिन पारणा किया जाता है. पर्व में शामिल होने वाली महिलाएं पारणा करने के बाद ही जल व भोजन ग्रहण करती है.

पर्व को लेकर बाजार में फलों व मिठाइयों की कीमतों में रही तेजी

जिउतिया पर्व को लेकर खाजा का एक अलग ही महत्व है. इस पर्व में डलिया सजाने का महत्व है. जिसमें फलों के साथ खाजा डलिया में भरे जाते हैं. ऐसे तो बाजार में अन्य मिठाइयां सब दिन आसानी से मिल जाते हैं. लेकिन खाजा ही है जो खास तौर पर जिउतिया पर्व के अवसर पर ही बाजार में दिखाई पड़ता है और बिकते है. पूजा को लेकर बाजार में अन्य दिनों की भांति फलों के कीमतों में भी उछाल देखने मिला. डलिया 50 से 100 रुपये, सेब 150 रुपये किलो, संतरा 130 रुपये किलो, अमरूद 100 रु किलो, नारियल 60 रु जोड़ा, ताभा नींबू 50 रु. जोड़ा, नाशपाती 150 रु किलो तथा रिफाइन में बने खाजा व बलशाही 180 रु से लेकर 200 रु किलो तक बाजार में बिके.

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