कटिहार. इस वर्ष मां दुर्गा का आगमन और प्रस्थान दोनों ही अशुभ संकेत दे रहे हैं. मां दुर्गा का आगमन व प्रस्थान आने वाला समय कई प्रकार से दुःख व संकटों से भरा आहट दे रहा है. लेकिन मां जगदंबा ही सबों का हर संकट से अपने बच्चों को राहत दिलायेंगी. इस संदर्भ में डॉ राम कन्हाई शास्त्री ने बताया कि मां दुर्गा की उपासना से अर्थात प्रतिपदा से एक दिन पूर्व महाल्या का भी धर्म व शास्त्रों में काफी महत्व है. माना जाता है इस दिन पितर अपने संतानों को समृद्धि की मंगल कामनाएं के साथ वापस होते हैं. दूसरे दिन से मां शक्ति की नौ दिनों की आराधना प्रारंभ होती है. इस बार तीन सितंबर से नवरात्र का आरंभ हो रहा है. राम कन्हाई शास्त्री ने बताया की इस वर्ष मां का आगमन व प्रस्थान जिस वाहन पर होगी. उसका शुभ व अशुभ प्रभाव कैसा रहेगा. इसका निर्धारण दिनों से तय होता है. गुरुवार का मां आगमन डोली अर्थात् पालकी पर मानी जाती है और शनिवार का प्रस्थान चरणायुद्ध अर्थात् मुर्गा पर जाना है. अर्थात मां का आना और जाना दोनों ही शुभ नहीं है. इस नाते आने वाले समय कई संकटों का आहट देता है. जैसे बीमारी हो, महामारी हो, बाढ़ हो कटाव हो आपसी कलह, दंगा फसाद, बेरोजगारी, धरणा प्रदर्शन, अलगाव विछराव समाज में उबाल पड़ोसी देशों से घात अपने लोगों से भी नहीं बनेगी. राजनीति में भी उथल-पुथल का माहौल बना रहने की प्रबल संभावना है. यह सभी निराशाजनक स्थिति का सूचक है. लेकिन मां तो मां होती हैं. मां तो अपने संतानों का सब संकटों से रक्षा करती हैं. हर दुख दर्द व संताप को हरने वाली होती है. वैसे भी मां की आराधना से भगवान श्रीराम को भी मार्ग मिला तो हर भक्तों को भी हर संकटों से राहत मिलेगी. डॉ राम कन्हाई शास्त्री ने बताया की इस वर्ष कलश स्थापना अर्थात् प्रतिपदा तीन सितंबर को देर रात तक हैं. नवमी तिथि का क्षय होने के कारण अष्टमी नवमी का व्रत व पाठ हवन 11 सितंबर को संपन्न होगा. 12 सितंबर को विजया दशमी मनायी जायेगी.
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