profilePicture

मनिहारी के धुरियाही पंचायत में बाढ़ से आवागमन बाधित, नाव ही सहारा

मनिहारी : गंगा और महानंदा नदी के जलस्तर में उतार चढ़ाव से मनिहारी के कई पंचायत में बाढ़ की समस्या उत्पन्न हो गयी है. मनिहारी के धुरियाही पंचायत में बाढ़ से सड़क संपर्क टूट गया है. नाव ही एक मात्र सहारा है. धुरियाही मुखिया राजकुमार मंडल ने गुरुवार को बताया कि गंगा नदी के बाढ़ का पानी धुरियाही में मुख्य सड़क पर बह रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 28, 2020 7:14 AM
an image

मनिहारी : गंगा और महानंदा नदी के जलस्तर में उतार चढ़ाव से मनिहारी के कई पंचायत में बाढ़ की समस्या उत्पन्न हो गयी है. मनिहारी के धुरियाही पंचायत में बाढ़ से सड़क संपर्क टूट गया है. नाव ही एक मात्र सहारा है. धुरियाही मुखिया राजकुमार मंडल ने गुरुवार को बताया कि गंगा नदी के बाढ़ का पानी धुरियाही में मुख्य सड़क पर बह रहा है. सभी गावों में आवागमन बाधित है. धुरियाही के विद्यालयों में पानी आ गया है. बाढ़ आने से जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है. लोग ऊंचे स्थल पर शरण ले रहे हैं. धुरियाही मुखिया राजकुमार मंडल ने कहा कि आवागमन के लिए नाव बहुत जरूरी है. मवेशी के लिए चारा की दिक्कत हो गयी है. मुखिया ने प्रशासन से तत्काल नाव और मवेशी के लिए चारा, पॉलीथिन देने की मांग की है.

बाढ़ में पुल हुआ ध्वस्त आवागमन में परेशानी

कदवा : प्रखंड के धनगामा पंचायत के वार्ड संख्या 11 में पक्की सड़क पर बना पुल बाढ़ के पानी में ध्वस्त होने के कारण ग्रामीणों को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. जानकारी के अनुसार उक्त पुल का निर्माण कई दशक पूर्व किया गया था. इस वर्ष आयी बाढ़ के पानी के तेज बहाव में पुल के दोनों छोर के निर्मित पाया को तोड़ दिया. पुल के दोनों छोर पर तीन से चार फीट का गड्ढा हो जाने के कारण लोगों व वाहन चालकों को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, परंतु इस दिशा में न तो किसी स्थानीय पदाधिकारियों का ध्यान है न ही किसी जनप्रतिनिधियों का यह एक बड़ा सवाल है.

पशुचारा के लिए जान जोखिम में डाल कर नदी पार करने को विवश हैं महिलाएं

हसनगंज : कोरोना महमारी को लेकर जहां जनजीवन अस्त व्यस्त है. दूसरी तरफ क्षेत्रों में हो रही लगातार बारिश से नदियों में पानी का घटना-बढ़ना जारी है. निचले इलाकों के डूब जाने से पशुचारा का भी घोर संकट है. इसको लेकर प्रखंड के बलुआ पंचायत स्थित जलकर गांव की महिलाएं कमला नदी पार कर पशुओं का चारा लेने जाती हैं. बाढ़ में बाहर से भसकर आये डेम में ग्रामीण महिलाएं दोनों छोर पर मोटी रस्सी बांध कर उसमें सवार होकर चारा लेने पहुंचती हैं जो खतरों से खाली नहीं है. किसान विश्वनाथ महतो, राजित महतो, बिजली देवी, बबली देवी ने कहा की कमला नदी के उस पार खेत रहने से फसल को देखने व पशुचारा लाने के लिए जान जोखिम में डाल आवागमन करना पड़ता है. ग्रामीण महिलाएं कहती हैं कि अपना किसी तरह दिन गुजर जाता है. लेकिन बेजुबान पशुओं का क्या करें, जिसे भूखे नहीं देख सकते हैं. इसलिए जान जोखिम में डालकर नदी के पार चारा लेने के लिए जाना मजबूरी है.

posted by ashish jha

Next Article

Exit mobile version