कटिहार. सदर अस्पताल आने वाली गरीब गर्भवती महिला मरीजों की परेशानी इन दिनों बढ़ी हुई है. सरकार करोड़ों रुपये स्वास्थ्य मद में खर्च करने के बावजूद भी गरीब मरीजों को बाहर स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए पैसे बहाना पड़ रहा है. ऐसा इसलिए कि सदर अस्पताल में गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहा है. आउटडोर में दिखाने वाले महिलाओं को अल्ट्रासाउंड कराने के लिए बाहर प्राइवेट अल्ट्रासाउंड केंद्र पर ही अपना जांच कराना पड़ रहा है. दरअसल, सदर अस्पताल में तीन वर्ष से ऊपर आउटडोर मरीजों के लिए अल्ट्रासाउंड की सुविधा बंद कर दिया गया है. अस्पताल में वैसे ही मरीजों का ही अल्ट्रासाउंड किया जा रहा है जो अस्पताल में भर्ती हो या उनकी डिलीवरी आखिरी स्टेज पर हो. ऐसे में गरीब मरीज पैसे के अभाव में चिकित्सक द्वारा अल्ट्रासाउंड लिखे जाने के बाद भी अल्ट्रासाउंड कराने में असमर्थ होते हैं. ऐसे में जच्चा और बच्चा दोनों के जान पर खतरा बना रहता है. कारण है कि समय पर यदि अल्ट्रासाउंड हो तो चिकित्सक को जच्चा और बच्चे की हर मोमेंट का पता चलता है. लेकिन ऐसा नहीं होने से गर्भवती की सेहत पर भी इनका बुरा असर पड़ रहा है. आशा कार्यकर्ताओं की माने तो प्रेगनेंसी के दौरान कम से कम एक गर्भवती महिला का तीन बार अल्ट्रासाउंड होना चाहिए. जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे की स्थिति पता चलती है. लेकिन अस्पताल में गर्भवती महिला के आखिरी स्टेज पर ही अल्ट्रासाउंड की सेवा दी जाती है. एसे में गर्भवती महिलाओं को बहरी अल्ट्रासाउंड करने के लिए विवश होना पड़ता है. जिला अस्पताल होने पर भी मरीजों को नहीं मिल रहा है लाभ मरीजों को जिला अस्पताल का लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा है. चार वर्ष पूर्व एजेंसी के माध्यम से सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सुविधा मरीजों को मिल रही थी. रोजाना 50 से 60 गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड किया जा रहा था. बड़ी संख्या में खासकर महिला मरीजों की लाइने अस्पताल में चिकित्सक को दिखाने के लिए लगी रहती थी. कारण था कि गर्भवती महिलाओं को चिकित्सक के लिखे जाने के बाद अस्पताल में ही महिलाओं का अल्ट्रासाउंड निशुल्क हो जाना. लेकिन चार वर्ष उपर से कार्य एजेंसी पर रोक लगाने के बाद अस्पताल में गरीब गर्भवती महिलाओं की परेशानी बढ़ गयी है. जो भी गर्भवती महिला अस्पताल पहुंच रही है. वह काफी परेशान हो रही हैं. चुंकि अस्पताल में ज्यादातर गरीब तबके के लोग अपना इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को बाहर अल्ट्रासाउंड के लिए 700 से 800 रुपया की राशि चुकानी पड़ती है. पैसे के अभाव में कई गर्भवती महिला चिकित्सक के अल्ट्रासाउंड लिखे जाने के बाद भी अल्ट्रासाउंड नहीं करा पा रही है. पीपीपी मोड पर अल्ट्रासाउंड व्यवस्था कि गर्भवतियों ने की मांग सदर अस्पताल में आने वाले गर्भवती महिलाओं ने सदर अस्पताल में पीपीपी मोड पर ही अल्ट्रासाउंड व्यवस्था करने की सरकार से मांग की. गर्भवती महिलाओं ने कहा कि जिस प्रकार सदर अस्पताल में सीटी स्कैन, पीपीपी मोड पर चलाया जा रहा है. उसी प्रकार सरकार कम से कम पीपीपी मोड की व्यवस्था भी कर दें तो सभी की परेशानी दूर होगी. ताकि बाहर जहां 700 से 800 रुपये खर्च होते हैं. सरकार की व्यवस्था पर यह आधे से कम राशि पर सभी का अल्ट्रासाउंड हो सकेगा. अस्पताल में आने वाले ममता देवी, सोनम देवी, शिवानी कुमारी, अर्चना देवी आदि ने कहा कि पैसे के अभाव के कारण गरीब मरीज बाहर अपना अल्ट्रासाउंड नहीं करा पाते हैं. पीपीपी मोड पर यदि अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था कर दी जाए तो कम राशि पर यहां पर अल्ट्रासाउंड समय पर सभी करा पायेंगे.
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