प्लास्टिक पूरी तरीके से बैन के लिए जूट के सामानों का करे उपयोग : विद्याभूषण
प्रशिक्षण प्राप्त जूट के किसान स्वरोजगार पैदा कर बनेंगे आर्थिक रूप से संबल
कटिहार. आत्मा कार्यालय कटिहार व आइसीआर नीनफेट कोलकाता के संयुक्त तत्वावधान में दस दिवसीय एससीएपी योजना अंतर्गत संचालित प्रशिक्षण के अंतिम दिन प्रशिक्षुओं को सोमवार को प्रमाण पत्र देकर समापन किया गया. प्रमाण पत्र आइसीएआर नीनफेट कोलकाता से आये डॉ विद्याभूषण शंभू, प्रधान वैज्ञानिक रमाकांत मिश्रा, संयुक्त निदेशक शष्य पूर्णिया प्रमंडल पूर्णिया सह जिला कृषि पदाधिकारी कटिहार राजेन्द्र कुमार वर्मा एवं उपपरियोजना निदेशक आत्मा एसके झा द्वारा दिया गया. जूट से संबंधित सामानों में बैग, फोल्डर एवं अन्य मशीन के द्वारा हैंडीक्रप्ट से विभिन्न प्रकार के घरेलू एवं सजावटी सामग्री बनाने से प्रशिक्षण के बाद चालीस एससी किसानों में बीस महिला व बीस पुरूष को प्रमाण पत्र दिया गया. इस दौरान आईसीआर नीनफेट के निदेशक डॉ साकेवर को प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम को व्हाटसएप के माध्यम से दिखाकर अवगत कराया गया. आईसीएआर नीनफेट कोलकाता से आये डॉ विद्याभूषण शंभू ने बताया कि कटिहार जिले में जूट की खेती वृहत पैमाने पर होती है. इसका लाभ इन किसानों को मिलेगा, खासकर सरकार के द्वारा प्लास्टिक पर बैंड को लेकर बताया गया यह तभी पूरी तरह से संभव हो जायेगा. जब तक प्राकृतिक रूपी जूट से बनी सामानों के उपयोग नहीं करेंगे. उन्होंने बताया कि जूट की रेशे से कई तरह के सामान मशीन व हाथ से तैयारी की प्रशिक्षण दिया गया है. प्रशिक्षण प्राप्त किसान जूट की रेशे से धागा, कपड़ाें से स्वरोजगार पैदा कर सकते हैं. दूसरों को भी रोजगार के अवसर प्रदान कर सकते हैं. ऐसा इसलिए कि पाट उनके घर के हैं पाट से कई तरह के आइटम तैयार कर इसे बाजार में उपलब्ध करने की जरूरत है. मेहनत से घर सजाने, पेन स्टेंड, लेडिज बैग, हैंड बैग, खिलौना, मूर्ति आदि तैयार किया जा सकता है. पाट के घटते ऐरिया को मोडिफाइट तरीके से बढ़ावा भी मिल सकता है. इस मौके पर कई वैज्ञानिक व पदाधिकारी से लेकर कर्मचारी मौजूद थे.
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