चुनावी मुद्दा: बिहार के इस गांव में आज भी चचरी पुल के सहारे होता है आवागमन, 4 पंचायतों के लोग झेल रहे समस्या
बिहार के कटिहार में एक गांव है जहां छह दशक से चचरी पुल के सहारे आवागमन हो रहा है. यहां चार पंचायत के लोग वर्षों से आवागमन की समस्या से जूझ रहे हैं. बारिश में पुल के पूरी तरह डूब जाने के कारण आवागमन का सहारा नाव बनती है. इस वजह से चार पंचायतों की करीब 15 हजार की आबादी संकट में है.
कटिहार सदर प्रखंड की चार पंचायतों दलन पूरब, डिघरी, राजवाड़ा व रामपुर की करीब 15000 की बड़ी आबादी वर्षों से उपेक्षित है. छह दशक से चचरी पुल के सहारे हथिया दियारा के लोग आवागमन कर रहे हैं. पंचायत के लोगों ने मुखिया से लेकर बड़े जनप्रतिनिधियों तक को इस समस्या से अवगत कराया है. लेकिन आज तक इस दिशा में ठोस पहल नहीं की गयी है. गांवों के लोगों के लिए इस बार भी लोकसभा आम निर्वाचन में यह चुनावी मुद्दा है.
बरसात में नाव से होता है आवागमन
पंचायत के मुख्तार, फरीद, जाबिर हुसैन, पी आलम आदि ने बताया कि हथिया दियारा के लोगों की हमेशा इसी चचरी पुल के सहारे आवागमन की मजबूरी रही है. बाढ़ बरसात के दिनों में चचरी के डूब जाने से नाव के सहारे गांव व वार्ड में जाने को मजबूर हो जाते हैं. उप सरपंच रविशंकर, सरवन व परवेज आलम आदि ने बताया कि दलन पूरब, डिघरी, राजवाड़ा, रामपुर कुल चार पंचायतों की करीब 15000 आबादी इससे प्रभावित है.
दस वर्ष पूर्व रोक दिया गया था रास्ता
पंचायत के लोगों की मानें तो 10 वर्ष पूर्व आर्मी द्वारा इस होकर आने-जाने पर रोक लगा दी गयी थी. इसके बाद गांव के लोगों ने खुद की मेहनत व खर्चे से नदी के निचले भाग में रास्ता बनाकर आवागमन शुरू किया. उन लोगों के अनुसार, यह कछार भसना से निकलते हुए कोलासी होकर आगे बढ़ता है. पूर्व में शिकायत पर मापी करायी गयी थी. लेकिन फिर मामला ठंडे बस्ते में चले जाने से गांव के लोग उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.
क्या कहते हैं मुखिया
पूर्व में उक्त जगह का सर्वे कराकर मापी करायी गयी थी. 10 वर्ष पूर्व आर्मी द्वारा अपनी जमीन से आने-जाने पर रोक लगायी गयी थी. गांव के लोगों ने फिर से चचरी पुल बनाकर आवागमन बहाल किया है. सरकारी जमीन है. इसे लेकर सीओ से मापी करायी जा सकती है.
-नइमुल हक, मुखिया, दलन पूरब पंचायत
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