मुजफ्फरपुर. एनएचपीसी (नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर कॉरपोरेशन) के वरिष्ठ प्रबंधक व एमआइटी के 1997 बैच के सिविल इंजीनियर हिमांशु शेखर का कहना है कि तकनीकी छात्र खुद को सरकारी जॉब वाली मानसिकता से दूर रखकर वर्तमान मे चल रहे स्टार्टअप संस्कृति की हिस्सा बनें. उन्होंने कहा कि अब समय बदल गया है. तमाम क्षेत्रों में अपार्च्युनिटी बढ़ी है. इसको आगे बढ़ कर हासिल करें. जीवन में हमेशा चेंजेज और चैलेंजेज के लिए तैयार रहना चाहिए. एक बार जो ठान लें, उसे हासिल कर ही रुकें. उनका कहना है कि जिंदगी जिंदादिली का नाम है. ऐसे में हमेशा खुद रहें और आशावादी बने रहें. सफल करियर के लिए सबसे जरूरी है कि नकारात्मक विचारों से खुद को दूर रखें.
हिमांशु ने 2001 में बीटेक करने के बाद 2004 में अपने करियर की शुरुआत एनएचपीसी लिमिटेड से की. पहली पोस्टिंग भारत की सबसे बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट 2000 एमडब्ल्यू की सुबनसिरी लोवर परियोजना, जो असम और अरुणाचल प्रदेश में है, से की थी. प्रोजेक्ट का नींव रखने वाली टीम का हिस्सा रहे. बताया कि पोस्टिंग के दौरान कई चैलेंजिंग जगहों पर काम करने का भी मौका मिला. सिक्किम स्थित तीस्ता, कोटलीभेल परियोजना, टिहरी गढ़वाल में भी काम किया. वर्ष 2013 की उत्तराखंड की आपदा में धवस्त हुए धौलीगंगा परियोजना का पुनरोद्धार कर पुनः विद्युत उत्पादन शुरू करने वाली टीम का भी हिस्सा रहे. वर्तमान में तीस्ता लो डैम-III पॉवर स्टेशन दार्जिलिंग में कार्यरत है.
पूर्णिया जिले के रहने वाले हिमांशु शेखर बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे. 1997-2001 बैच में एमआइटी के सिविल इंजीनियरिंग ब्रांच के छात्र रहे. पढ़ाई के साथ-साथ सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों में हमेशा आगे रहे. बताया कि अपने खास मित्रों रंजीत जायसवाल, अमित कुमार, अरविंद सिंह, चंदन कुमार, शरत, तरुण, एच प्रदीप, मनोज उपाध्याय, गौरव रस्तोगी व अन्य बैचमेट के साथ एमआइटी परिसर में आरएसएस की शाखा की शुरुआत की थी. सिंदरी में आयोजित भारतवर्ष के सभी तकनीकी संस्थानों के यूथ सम्मेलन में एमआइटी को प्रथम स्थान मिला, तो उस टीम के भी हिस्सा रहे. एमआइटी में स्पोर्ट्स मीट व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का संचालन भी लगातार किये.
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हिमांशु ने अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए बताया कि कैंपस में बिताए हुए पल हमेशा मिस करते हैं. वहां का जीवन, मित्रों के साथ की गयी मस्ती जैसा आनंद जीवन में फिर कभी नहीं मिला. एक बार एक्सरसाइज के दौरान चोट लग गयी, तो पूरे कॉलेज ने परिवार की तरह खयाल रखा.