खगड़िया. बिना बेहोश किये बंध्याकरण करने के मामले पर अब खगड़िया कोर्ट ने भी संज्ञान ले लिया है. खगड़िया के अलौली सीएचसी में बीते 12 नवंबर को 23 महिलाओं का बगैर बेहोशी के बंध्याकरण कर दिया गया था. इस मामले पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुमुद रंजन सिंह ने स्वत: संज्ञान लिया है. उनके निर्देश पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार रंजूला भारती ने न्यायिक जांच के लिए दो सदस्यीय न्यायिक टीम गठित की है. जांच टीम को तीन दिनों में जांच प्रतिवेदन समर्पित करने को कहा गया है. साथ ही पीड़िता को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने की बात कही गयी है. इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोगा अध्यक्ष रेखा शर्मा और बिहार मुख्य सचिव भी गंभीरता से ले चुके हैं.
जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव रंजुला भारती ने शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अलौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बीते 12 नवम्बर को चिकित्सक ने बंध्याकरण ऑपरेशन में की गयी लापरवाही के विरुद्ध जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष सह जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुमुद रंजन सिंह ने खुद संज्ञान लेते हुए एक जांच टीम गठित करने का निर्देश दिया है. इसमें पैनल अधिवक्ता अजय शंकर देव और पीएलवी भूषण कुमार को जांच करने का जिम्मा सौंपा गया है.
रंजूला भारती ने कहा कि अलौली सीएचसी में 23 महिलाओं का बिना बेहोश किए बंध्याकरण ऑपरेशन मामले पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने स्वतः संज्ञान लिया है. उन्होंने इस मामले को अमानवीय, संवेदनहीन और गंभीर बताया है. उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन मेडिकल नियमानुसार नहीं किया गया है. जिला जज ने ग्रामीण व गरीब महिलाओं के साथ ऐसा करना नियम के विरुद्ध बताया है. साथ ही यह अपराध की श्रेणी में भी बताया.
11 नंवबर को जिले के परबत्ता सीएचसी में दो दर्जन महिलाओं को बांध्याकरण ऑपरेशन के लिए एक साथ एनेस्थीसिया सुई देकर जमीन पर लेटा दिया था. 23 महिलाओं का बंध्याकरण बिना मेडिकल तकनीक के ही कर दिया गया. स्वास्थ्यकर्मियों ने लाभुक महिलाओं का हाथ- पैर पकड़कर ऑपरेशन कर दिया. इस मामले में एनजीओ व पीएचसी प्रभारी की लापरवाही सामने आयी है. मामले में सीएस ने सीएससी प्रभारी से स्पष्टीकरण भी पूछा था. वहीं अलौली पीएचसी में बीते 13 नवंबर को 30 महिलाओं को बांध्याकरण के लिए रजिस्ट्रेशन किया गया था.