डुमरी पुल क्षतिग्रस्त व जुगाड़ पुल बंद होते ही रेंगने लगी जिंदगी

खगड़िया : खगड़िया का डुमरी पुल के क्षतिग्रस्त व जुगाड़ पुल बंद होते ही गोगरी अनुमंडल व चौथम के सोनवार्षा घाट से बेलदौर के उसराहा की पांच किलोमीटर की दूरी बढ़कर 200 किमी हो गयी है. बात चार पहिया वाहनों से सफर करने वाले यात्रियों की हो रही है. किंतु हकीकत यही है कि मिनटों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 2, 2017 5:51 AM

खगड़िया : खगड़िया का डुमरी पुल के क्षतिग्रस्त व जुगाड़ पुल बंद होते ही गोगरी अनुमंडल व चौथम के सोनवार्षा घाट से बेलदौर के उसराहा की पांच किलोमीटर की दूरी बढ़कर 200 किमी हो गयी है. बात चार पहिया वाहनों से सफर करने वाले यात्रियों की हो रही है. किंतु हकीकत यही है कि मिनटों की दूरी अब घंटों में तय की जा रही है. बताते चलें कि बीपी मंडल सेतु के क्षतिग्रस्त होने के बाद से वैकल्पिक व्यवस्था स्टील पाइल ब्रिज से क्षेत्र के लोग जिला मुख्यालय तक पहुंच पाते थे.

लेकिन स्टील ब्रिज बहने के बाद उसके साथ-साथ पहली अप्रैल 2015 से ही बीपी मंडल सेतु भी सील हो गया व उसके बाद जर्जर पुल को तोड़कर नए सिरे से निर्माण किया जाने लगा. लेकिन सरकार की अनदेखी के वजह से आज करीब तीन वर्ष बाद भी पुल के कार्य को पूरा नहीं किया जा सका है. उसके बाद वैकल्पिक तौर पर जुगाड़ पुल नाव के सहारे बनाया गया था लेकिन पिछले सप्ताह ही कोसी में पानी का दबाव बढ़ने के बाद पुल पर आवागमन बंद कर दिया गया. वहीं, अभी नाव पर चार पहिया वाहन को सोनवर्षा घाट से उसराहा आना-जाना है तो इसके लिए वाहन चालकों को आने-जाने में पांच सौ से एक हजार रुपया चुकाना पड़ता है.

एनएच 31 के रास्ते लंबी है दूरी
क्षेत्रवासियों को दूसरा आवागमन के साधन का विकल्प है. बेलदौर से आलमनगर 20 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद 35 किलोमीटर दूर स्थित चौसा (मधेपुरा) होते हुए 40 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद रूपौली (पूर्णिया) फिर रुपौली से कुर्सेला(कटिहार) जिसकी दूरी लगभग 30 किलोमीटर है. इसके बाद कुर्सेला से नवगछिया होते हुए 70 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद महेशखूंट पहुंचते हैं. फिर महेशखूंट से चौथम सोनवर्षा की दूरी लगभग 15 किलोमीटर है. इस तरह सीधे सड़क मार्ग से बेलदौर से महेशखूंट की दूरी लगभग 210 किलोमीटर हो जाती है. इस दूरी को तय करने में 4 से 5 घंटे समय लग जाते हैं. इतनी ही दूरी, समय व खर्च वापस होने में लगता है. ऐसे में सिर्फ जाने-आने में लगभग 10 घंटे का समय बर्बाद होता है. आखिर ये समस्या क्षेत्रवासियों के सामने व कितने दिनों के लिए बरकरार रहेगी यह समय ही बतायेगा.

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