सज-धज कर तैयार ठाकुरबाड़ी
परबत्ता : भादो कृष्ण पक्ष कृष्णाष्टमी 14 अगस्त को है. इसको लेकर विभिन्न मंदिरों के अलावा घर घर में तैयारी जोरों पर है. कृष्णाष्टमी व्रत सनातन धर्म के लिए अनिवार्य है . जिन्हें मोह रात्रि अष्टमी व्रत भी कहा जाता है. समाज के सभी वर्गों के लोग भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को अपनी शक्ति के […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
August 11, 2017 5:27 AM
परबत्ता : भादो कृष्ण पक्ष कृष्णाष्टमी 14 अगस्त को है. इसको लेकर विभिन्न मंदिरों के अलावा घर घर में तैयारी जोरों पर है. कृष्णाष्टमी व्रत सनातन धर्म के लिए अनिवार्य है . जिन्हें मोह रात्रि अष्टमी व्रत भी कहा जाता है. समाज के सभी वर्गों के लोग भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को अपनी शक्ति के अनुसार मनाते हैं. संसारपुर निवासी पंडित अजयकांत ठाकुर बताते हैं कि महिला, पुरुष 14 अगस्त को सुबह से मध्य रात्रि यानी 12 बजे तक उपवास रखेंगे. आधी रात को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जायेगा.
विभिन्न मंदिरों में इसकी तैयारी अंतिम चरण में है. कुछ मंदिरों में रात के 12 बजे गर्भ से जन्म लेने के प्रतीक स्वरूप खीरा चीर कर बालगोपाल की लीला,भजन, गोविंद उत्सव मनाते हैं. उपवास करने वाले भक्तों को कृष्णाष्टमी की रात्रि में ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जाप अवश्य करना चाहिए.
उपवास से पापों का होता है नाश. धर्म के अनुसार रोहिणी में कृष्णाष्टमी व्रत करने से तीन जन्मों के पाप नाश होते हैं. अष्टमी व्रत फलदायी होता हैं. इस व्रत में अनाज का सेवन नहीं करनी चाहिए. फल ग्रहण कर सकते हैं. कृष्णाष्टमी की रात भक्ति गीतों से वातावरण गुंजायमान हो जायेगा. आमतौर पर कृष्णाष्टमी व्रत घर घर में महिला एवं पुरुष करते हैं.
त्याग व उपकार से ओत प्रोत है कृष्णलीला. श्री कृष्ण भगवान का जन्म द्वापर युग में हुआ था. श्री कृष्ण भगवान ने धरती पर फैले अत्याचार और बुराइयों को मिटाने, दानवों और राक्षसों का वध करने और मानव जाति की रक्षा करने के लिए धरती पर अवतार लिया. उन्होंने संपूर्ण मानव जाति की भलाई का कार्य किया. सुदामा जैसे गरीब को अपना दोस्त बनाया और अपनी शरण में लिया. मामा कंस जैसे बलशाली राक्षस का वध किया. महाभारत में द्रोपदी की लाज बचाई. इस प्रकार श्री कृष्णा ने लोक कल्याण के लिए बहुत कार्य किये. उसकी वजह से ही आज कृष्ण भगवान को कन्हैया, नंदलाला, गायों का ग्वाला, मुरलीवाला, वंशीवाले, मोहन मुरलीवाले, यशोदा का नंदलाल, गोपियों का ग्वाला आदि विविध नामों से प्यार से पुकारा जाता है.
कन्हैया के इशारे पर नाचती थी गोपियां
श्री कृष्ण भगवान बहुत ही नटखट थे. वे मथुरा की गोपियों को अपने इशारो पर नचाते थे. गोपियों की दही से भरी हांड़ी को फोड़ देते थे. मथुरा की गुजरियों की दही खाते थे. गोपियों के साथ नाचते गाते थे और विचित्र रास करते थे.