नप में 85 लाख का गबन

खगड़िया : नगर परिषद में 85 लाख रुपये गबन का मामला उजागर हुआ है. यह खुलासा ऑडिट रिपोर्ट में होने के बाद नगर परिषद के सभी कर्मी के हाथ पांव फूलने लगे हैं. कर्मी एक दूसरे पर दोषारोपण शुरू कर दिया है. ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि 85 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 10, 2017 5:25 AM

खगड़िया : नगर परिषद में 85 लाख रुपये गबन का मामला उजागर हुआ है. यह खुलासा ऑडिट रिपोर्ट में होने के बाद नगर परिषद के सभी कर्मी के हाथ पांव फूलने लगे हैं. कर्मी एक दूसरे पर दोषारोपण शुरू कर दिया है. ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि 85 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता हुई है. अब नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी विनोद कुमार नगर परिषद की राशि को खर्च करने से भी कतराने लगे हैं. यही कारण है कि नगर परिषद में काम करने वाले लोग राशि के लिए चक्कर लगा रहे हैं.

गबन का मामला उजागर होने के बाद शनिवार को सशक्त स्थायी समिति की बैठक हुई. बैठक में सर्व सम्मति से दोषी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया गया. प्रभारी सभापति सह उप सभापति सुनील कुमार पटेल ने कार्यपालक पदाधिकारी को एक सप्ताह के अंदर कार्रवाई कर कमेटी को सूचित करने का निर्देश दिया गया है. कमेटी के सदस्यों ने कहा कि वित्तीय अनियमितता में संलिप्त सभी दोषी कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई करें.

तीन वर्ष से चल रहा था गबन का खेल : नगर परिषद में बीते तीन वर्षों से गबन का खेल चल रहा था. लेकिन न तो कार्यपालक पदाधिकारी न ही अन्य किसी कर्मी ने मामले के तह जाने की कोशिश की. यही कारण है कि गबन होता रहा और तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी मौज लेते रहे. हालांकि बीते एक माह से नगर परिषद में गबन को लेकर सुगबुगाहट होने लगी थी लेकिन किसी ने अपनी जुबान नहीं खोली. लेकिन ऑडिट रिपोर्ट आते ही दोषी कर्मी की तलाश शुरू
हो गयी.
सरकारी खाते में नहीं जमा की गयी राशि
नगर परिषद में प्रति वर्ष करोड़ों रुपये की आमदनी होती है. बीते तीन वर्ष से कर संग्रह, जेसीबी भाड़ा, टाउन हॉल भाड़ा, स्टॉल भाड़ा आदि मद से प्राप्त राशि नगर परिषद के खाते में जमा नहीं किया गया. जबकि कोषपाल द्वारा कर संग्रह कर्ता से राशि प्राप्ति की नाजीर रसीद दिया गया है. कर संग्रह कर्ता नाजीर रसीद दिखाकर साबित कर दिया है कि उन्होंने कर संग्रह की राशि जमा कर दिया है. लेकिन कोषापाल द्वारा राशि का क्या किया गया है. इसका अता पता नहीं है.
कर संग्रह सहित विभिन्न मद से प्राप्त राशि को सबसे पहले नगर परिषद के खाते में जमा करने का नियम है. लेकिन नगर परिषद के कोषपाल द्वारा खाते में राशि जमा नहीं किया गया है. नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी व कोषपाल के हस्ताक्षर से बैंक से राशि की निकासी की जाती है. जबकि नगर परिषद में पांच हजार से अधिक रूपये खर्च करने पर नगर सभापति से भी सहमति लेने का प्रावधान है.इस प्रावधान के बावजूद बैंक में राशि जमा नहीं हुआ और राशि का गबन होने की आशंका होने लगी है.
कर संग्रह सहित विभिन्न मद से प्राप्त राशि को सबसे पहले नगर परिषद के खाते में जमा करने का नियम है. लेकिन नगर परिषद के कोषपाल द्वारा खाते में राशि जमा नहीं किया गया है. नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी व कोषपाल के हस्ताक्षर से बैंक से राशि की निकासी की जाती है. जबकि नगर परिषद में पांच हजार से अधिक रूपये खर्च करने पर नगर सभापति से भी सहमति लेने का प्रावधान है.इस प्रावधान के बावजूद बैंक में राशि जमा नहीं हुआ और राशि का गबन होने की आशंका होने लगी है.
कहते हैं पदाधिकारी
कार्यपालक पदाधिकारी विनोद कुमार ने बताया कि उनके कार्यकाल से पूर्व का मामला है. ऑडिट रिपोर्ट से खुलासा हुआ है. सरकारी राशि के वित्तीय अनियमितता के दोषी लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी जाएगी.
अपना आशियाना का अरमान रह गया अधूरा
बाबुओं की लापरवाही ने नहीं होने दिया सपना पूरा
स्वीकृति के बाद भी अबतक नहीं मिली आवास योजना की राशि
दो साल से लगा रही है पीड़ित महिला कार्यालय का चक्कर
खगड़िया. सदर प्रखंड के रहीमपुर मध्य पंचायत की नीलम देवी के अाशियाने की अरमान अधूरी रह गयी. इंदिरा आवास योजना की स्वीकृति व राशि निर्गत होने के बावजूद भी बाबुओं की लापरवाही ने इनके मकान बनाने के सपने की साकार नहीं होने दिया. पहले ये वर्षों तक इंदिरा आवास योजना के लाभ के लिए पंचायत के जनप्रतिनिधि, कर्मी एवं प्रखंड कार्यालय के चक्कर काटती रही. अब ये स्वीकृति के बाद राशि नहीं मिलने की शिकायत को लेकर कई माह से प्रखंड, अनुमंडल व जिला कार्यालय के चक्कर काट रही है. लेकिन उन्हें फिर भी योजना की राशि नहीं मिल पाई है. पूरी व्यवस्था पर से सवाल उठा रहे है. पंचायत से लेकर वरीय अधिकारी तक को ये कोस रहे हैं.
क्या है पूरा मामला : जानकारी के मुताबिक रहीमपुर मध्य पंचायत के वार्ड संख्या तीन कल्लर टोला निवासी नीलम देवी को काफी दौड़ धूप के बाद वर्ष 2015 में इंदिरा आवास योजना की स्वीकृति प्रदान की गयी तथा इनके नाम से योजना की प्रथम किस्त की राशि के रूप में 60 हजार रुपये जारी भी कर दिये गए. लेकिन बाबुओं की लापरवाही की वजह से आज तक उन्हें घर निर्माण के लिए जारी हुए 60 हजार रुपये नहीं मिल पाया है. इस राशि के लिए वे दर्जनों बार बैंक, प्रखंड कार्यालय से लेकर जिला कार्यालय के चक्कर लगा चुकी है. फिर भी इनकी शिकायत को किन्हीं के स्तर से दूर नहीं किया जा सकता है.
क्यों नहीं मिली राशि
प्रखंड के बाबुओं की लापरवाही के कारण अबतक इस महिला को इंदिरा आवास योजना की राशि नहीं मिल पाई है. बीडीओ ने जिला लोक शिकायत एडीएम को इस मामले में रिपोर्ट सौंपा था. जिसमें उन्होंने उक्त महिला के योजना की राशि नहीं मिल पाने का ऐसा कारण बताया कि जिसे सुन आप दंग रह जाएंगे. बीडीओ ने यह जानकारी दी है कि महिला के नाम से जारी राशि गलती से दूसरे व्यक्ति के खाते पर चला गया. जिस कारण महिला को राशि नहीं मिल पाई है.
दिये गये कार्रवाई के आदेश
लोक शिकायत अधिनियम के तहत प्राप्त शिकायत की सुनवाई के बाद लोक शिकायत एडीएम विजय कुमार सिंह ने इस लापरवाही के लिए जिम्मेवारी प्रखंड कार्यालय के बाबुओं पर कार्रवाई करने का आदेश दो साल तक इस गलती को सुधार करने में लापरवाही बरतने वाले तथा गलत खाते पर राशि भेजने वाले गैर जबावदेह कर्मी/ पदाधिकारी पर कार्रवाई होना है. अब आने वाला वक्त ही बतायेगी कि क्या कार्रवाई होती है.
मामले पर लोक शिकायत एडीएम श्री सिंह ने कहा कि ये तो लापरवाही की इंतेहा हो गयी. दो साल से वो महिला योजना की राशि के लिए कार्यालय के चक्कर काट रही है. लेकिन इसे हल्के से लिया गया. उन्होंने साफ कहा कि इसके लिए जिम्मेवार सीधे तौर पर प्रखंड कार्यालय है. जिसने गलत खाते पर योजना की राशि भेजी. उसके बाद भी लापरवाही/ उदासिनता बरती गयी. क्योंकि दो साल बीत जाने के बाद भी इस गलती को सुधारा नहीं जा सका है. उन्होंने इसके लिए बीडीओ को लापरवाह कर्मियों पर कार्रवाई करने को कहा गया है.

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