कुंजहारा में फिर शुरू हुआ कटाव, भयभीत हैं ग्रामीण

बेलदौर : कोसी के मुहाने पर अवस्थित इतमादी पंचायत के कुंजहारा में भीषण कटाव जमींदारी बांध को अपने गर्भ में समेटने को आमदा है. स्थिति पर नियंत्रण नहीं पायी गयी तो कोसी के कहर से पंचायत का भूगोल बदलने की पूरी संभावना है. इससे चोढ़ली बारुण बांध के पूर्वी भाग के लगभग एक किलोमीटर बांध […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2017 4:20 AM

बेलदौर : कोसी के मुहाने पर अवस्थित इतमादी पंचायत के कुंजहारा में भीषण कटाव जमींदारी बांध को अपने गर्भ में समेटने को आमदा है. स्थिति पर नियंत्रण नहीं पायी गयी तो कोसी के कहर से पंचायत का भूगोल बदलने की पूरी संभावना है. इससे चोढ़ली बारुण बांध के पूर्वी भाग के लगभग एक किलोमीटर बांध के नदी में विलीन हो जाने का खतरा उत्पन्न हो गया है.

प्रभावित किसानों के मुताबिक बांध से नदी की दूरी महज 45 मीटर रह गयी है. समय रहते कटाव पर अंकुश नहीं लगाया गया तो लगभग एक किलोमीटर बांध से विभाग को हाथ धोना पड़ सकता है. जानकारी के मुताबिक इतमादी पंचायत में कटाव की समस्या कोई नई बात नहीं है. पंचायत का भूगोल विगत तीन दशक में दो बार कोसी के कटाव से बदल गया है. अब कटाव पंचायत को तीसरी बार भूगोल बदलने को आमदा दिख रही है. कुंजहारा गांव में कटाव बीते तीन महीनों से ज्यादा दिनों से हो रहा है.
कटाव पर अंकुश लगाने के लिए प्राथमिक स्कूल के सामने करीब 282 मीटर भाग में कटाव निरोधी कार्य शुरू करवाया गया. कार्य प्रारंभ होने के साथ ही बाढ़ आने से कार्य को बंद कर दिया गया था. अब कटाव स्कूल से उत्तर दिशा की ओर बढ़ गयी है. जिससे बांध पर खतरा उत्पन्न हो गया है. किसानों के मुताबिक नदी के जलस्तर में गिरावट होने के साथ ही कटाव आक्रामक हो गया है. जानकारों के मुताबिक रोजाना एक से ढाई फीट जमीन नदी में समा रही है.
कुंजहारा गांव में पूर्व से हो रहे कटाव पर कटाव निरोधी कार्य शुरू होने से लोगों की कुछ उम्मीद बंधी थी. नयी जगह पर कटाव शुरू हो जाने से उनके उम्मीदों पर पानी फिर गया है. कटाव से कुंजहारा गांव के दर्जनों लोग विस्थापित होकर स्कूल, बांध एवं अन्य जगहों पर शरण लिए हुए है. कटाव के बारे में बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल दो के विभागीय एसडीई परमानंद सिंह कहते है कि कुंजहारा में स्कूल एवं गांव के एक स्थानीय ग्रामीण मो जब्बार के घर के निकट हो रहे कटाव पर पूरी तरह अंकुश पा लिया गया है. नये कटाव स्थल से आबादी को नहीं बल्कि जमीन कटने की खतरा उत्पन्न हो रही रही है.

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