डुमरी पुल पर कटाव का मंडरा रहा खतरा

बेलदौर : कोसी की लाईफलाईन डुमरी पुल के मरम्मति कार्य सभी बाधाओं के दूर होते ही प्रारंभ हो गयी है. कार्य एजेंसी बीते एक पखवारा से मरम्मति कार्य में उपयोग के लिऐ बनाये गये लोहे पुल को दुरुस्त कर सभी आवश्यक तैयारी पूरी कर एनपी वन पाये के पायलन निर्माण कार्य में जुट गये हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 31, 2017 5:21 AM

बेलदौर : कोसी की लाईफलाईन डुमरी पुल के मरम्मति कार्य सभी बाधाओं के दूर होते ही प्रारंभ हो गयी है. कार्य एजेंसी बीते एक पखवारा से मरम्मति कार्य में उपयोग के लिऐ बनाये गये लोहे पुल को दुरुस्त कर सभी आवश्यक तैयारी पूरी कर एनपी वन पाये के पायलन निर्माण कार्य में जुट गये हैं. इसके लिए एनपी वन पाये के समीप 50 मीटर उंची टावर क्रेन बनाया जा रहा है. ताकि पुल के रूफ स्टर के साथ साथ पायलन निर्माण का कार्य भी निर्वाध रूप से चलता रहे.

वहीं, नवंबर माह से बेस लेवल पर मरम्मति कार्य प्रारंभ कर जुलाई माह के दूसरे सप्ताह तक मरम्मति कार्य पूरा कर पैदल सहित भारी वाहनों के भी परिचालन पुल पर करा देने की योजना कार्य एजेंसी द्वारा तैयार कर लिया गया है. इसकी जानकारी देते हुए कार्य एजेंसी के प्राजेक्ट मैनेजर केके रंजन ने बताया कि स्थिति सामान्य रही तो 15 जुलाई तक पुल के रूफिंग एवं पायलन का कार्य पूरा कर वाहनों का परिचालन करा दिया जाएगा. इसके लिए कार्य एजेंसी द्वारा आवश्यक तैयारी पूरी कर ली गयी है. 15 नवंबर से तकनीकी कर्मियों की टीम युद्धस्तर पर जूट मरम्मति कार्य को पूरा करने में पुरी शक्ति झोंक देंगे.

इसके लिए शिफ्टवार 24 घंटे मरम्मति कार्य जारी रखने की कार्ययोजना बना ली गयी है. हालांकि इसके सामांतर क्षतिग्रस्त स्टील पुल के एप्रोच पथ में लगातार हो रहे भीषण कटाव से कार्य एजेंसी सहमी हुई है.

उन्होंने बताया कि एप्रोच पथ का लगभग 90 फीसदी भाग कटाव की जद में समा चुका है. अतिशीघ्र निरोधात्मक कार्य कर रोकथाम नहीं किया गया तो इसके ध्वस्त होने से डुमरी पुल का मरम्मति कार्य भी प्रभावित हो सकते हैं. उल्लेखनीय है कि बीते 29 अगस्त 2010 को डुमरी पुल के पाया नंबर 17,18 एवं 19 के धंसने से पुल क्षतिग्रस्त हो गया था. संभावित खतरों को भांप जिला प्रशासन ने पुल पर हो रहे आवागमन पर रोक लगा दी थी. हालांकि आवागमन संकटों को देखते हुए बिहार सरकार ने इसके समानांतर में स्टील पुल बनाकर लोगों को बड़ी राहत दी. लेकिन महज छमासी आवागमन सुविधा प्रत्येक बाढ़ अवधि के बाद इसकी मरम्मति कर 24 जुलाई 2014 तक मिलती रही. लेकिन अगस्त 2014 में पुल के लगभग 170 मीटर भाग बह जाने के कारण उम्मीद के इस वैकल्पिक पुल का8
सहारा भी स्थाई रूप से छिन गया. इसके बाद कोसीवासियों को नदी पार करने के लिए डुमरी पुल मरम्मति होने तक अब आखिरी आसरा नाव की सवारी ही रह गयी है. ऐसे में आवागमन की विकट संकट के बीच जिंदगी गुजार रहे लोगों के लिए डुमरी पुल का मरम्मति कार्य पूरा होना कितना महत्वपूर्ण है. इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. आखिर पुल के क्षतिग्रस्त होने से महंगाई के दोहरी मार से प्रखंड समेत कोसी ईलाके के लाखों की आबादी कब तक जुझती रहेगी. यह अब तक महज संभावनाओं पर ही टिका हुआ है. इसका ठोस समाधान तो कोसी की कृपा एवं कार्य एजेंसी के इच्छा शक्ति पर ही निर्भर करता है.

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