खगड़िया : शहर के अंदर की सड़कों का बुरा हाल है. गली-मोहल्ले से लेकर मुख्य सड़कों का हाल एक जैसा है. जर्जर सड़क ने शहर को बदसूरत बना दिया है. इसके लिये सबसे अधिक जिम्मेवार विभाग है. शहर से बाहर की सड़कों की स्थिति भी कुछ ठीक नहीं है. ऐसा नहीं है कि इन सड़कों के निर्माण या रखरखाव के लिये फंड नहीं मिलता, लेकिन टालमटोल के फेर में चमचमाती सड़क का सपना अपना नहीं हो पा रहा है. शहर को जाम से मुक्ति दिलाने के लिये नगर सुरक्षा तटबंध पर बनायी गयी बाइपास से उड़ते धूल में विकास के सारे दावे गुम हो गये. बाइपास की जर्जरता का आलम यह है
कि कब, कहां, कौन राहगीर दुर्घटना के शिकार हो जाएं कहना मुश्किल है. विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक में भले ही डीएम से लेकर मंत्री तक बदहाल सड़क बनाने का निर्देश देते रहे लेकिन सड़क तो नहीं बनी योजनाएं जरूर बन जाती है. जहां सड़क निर्माण का काम भी हो रहा है वहां भ्रष्टाचार के कारण बनने के साथ सड़क टूटने लगती है. मामला तूल पकड़ने के बाद अधिकारी टूटी सड़क की मरम्मत तो कर देते हैं लेकिन सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारी पर कार्रवाई नहीं होती.
यहीं नहीं काम कराने की जब बारी आई तो कभी ठेकेदार नहीं मिलने से, तो कभी स्वीकृति नहीं मिलने के कारण काम फंसा रहा. ये दोनों अगर मिल भी गये तो टेंडर की पेच में फंस जाता है. ऐसे में बदहाल सड़कें बदहाल होती चली गयी. लिहाजा, इन दिनों अधिकांश सड़कों का हाल बेहाल है. भारती नगर से गोशाला रोड, पटेल चौक से गोशाला रोड तथा सन्हौली रेलवे ढाला से गांव तक जाने वाली, दाननगर दुर्गास्थान से विद्याधार जाने वाली सड़क सहित अन्य कई सड़कों से होकर गुजरना नरक जैसी यातना के समान है.
गुणवत्ताविहीन हुए कार्य, विभाग सुस्त
भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राजकुमार विद्यार्थी ने बताया कि नगर सुरक्षा बांध पर बाइपास निर्माण के समय ग्रामीण विकास अभियंत्रण कार्य विभाग टू के कार्यपालक अभियंता को घटिया मेटेरियल तथा गुणवत्ताविहीन कार्य होने की सूचना दी गयी थी. वहीं कार्यपालक अभियंता ने स्थानीय लोगों की शिकायत को अनसुना कर दिया. नगर परिषद के पूर्व नगर सभापति मनोहर कुमार यादव ने बताया कि बाइपास निर्माण होने के साथ ही कालीकरण एक वर्ष के अंदर ही टूटने लगी. जगह जगह गड्ढे हो गये.
उन्होंने बताया कि वर्ष 2009-10 में समाहरणालय सभागार में 20 सूत्री की बैठक में उपस्थित जिला प्रभारी मंत्री के समक्ष बाइपास के घटिया निर्माण के बारे में सवाल भी उठाया गया. इसके बाद तीन कार्यपालक अभियंता की टीम द्वारा संयुक्त रूप से जांच के आदेश दिये गये थे, लेकिन सात वर्ष बीतने के बाद भी जांच पूरा नहीं हुआ तो कार्रवाई का कहां से सवाल उठता है.
सन्हौली में सड़क की जगह गड्ढे ही गड्ढे
शहर से सटे सन्हौली पंचायत की अधिकांश सड़कें बेहाल हैं. सूर्य मंदिर चौक से मध्य विद्यालय तक की जर्जर सड़क के निर्माण के लिए कई बार स्थानीय ग्रामीणों द्वारा सड़क जाम, जलजमाव से निजात के लिए सत्याग्रह तक किया गया. स्थानीय मुखिया अंजु कुमारी एवं उपमुखिया आनंद कुमार सिंह की पहल पर तथा प्रशासनिक पहल कर उक्त सड़क पर मिट्टी गिराया गया है. मुखिया ने बताया कि उक्त सड़क निर्माण को लेकर आरडब्लूडी के द्वारा सड़क निर्माण जल्द ही कराये जाने की घोषणा की गयी, लेकिन कब तक बनेगी यह कोई बताने को तैयार नहीं हैं.
नगर की सुरक्षा को लेकर 1975 में बने तटबंध पर बनायी गयी थी बाइपास सड़क
17 साल पहले नगर सुरक्षा बांध पर बनायी गयी थी 1.70 किमी लंबी बाइपास सड़क
जीर्णोद्धार में जमकर धांधली होने के कारण बदाहली के कगार पर पहुंची बाइपास सड़क
धूल में घुट रहा राहगीरों का दम
बाढ़ से शहर की सुरक्षा के लिये नगर सुरक्षा तटबंध बनाया गया था. इसके बाद शहर को जाम से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से करीब 17 साल पहले बाइपास सड़क का निर्माण कराया गया. 1.10 करोड़ की लागत से नगर सुरक्षा बांध पर 1.74 किलोमीटर लंबी बाइपास का निर्माण किया गया था. बलुआही से लेकर दाननगर तक दोनों तरफ चार चार फीट का फ्रेंक भी बनाया जाना था. विभागीय अधिकारी की मिलीभगत से बनने के एक वर्ष के अंदर की कालीकरण टूट टूट कर बिखर गया. इस बीच मेंटनेंस नहीं होने से सड़क बर्बाद होती चली गयी. वर्ष 2007 में एक बार फिर जीर्णोद्धार हुआ लेकिन इस बार निर्माण में धांधली किये जाने से कुछ दिनों के बाद ही सड़कें टूटने लगी. वर्तमान में इस सड़क पर उड़ती धूल में राहगीरों के दम घूंट रहे हैं. इस सड़क पर आवाजाही करने वाले राहगीरों को भारी परेशानी हो रही है.