उधार के भवन में चल रहे कई थाने
उदासीनता. शौच लगने पर अस्पताल की ओर दौड़ती है पुलिस जमीन नहीं रहने के कारण कई थाने में पुलिस को रहने के लिये बैरक तक नहीं, चूहे से परेशान पुलिस बरसात में महिला थाना पहुंचना भी हो जाता है मुश्किल, गिरती रहती है छत के परत खगड़िया : पुलिस जागती है तो हम चैन की […]
उदासीनता. शौच लगने पर अस्पताल की ओर दौड़ती है पुलिस
जमीन नहीं रहने के कारण कई थाने में पुलिस को रहने के लिये बैरक तक नहीं, चूहे से परेशान पुलिस
बरसात में महिला थाना पहुंचना भी हो जाता है मुश्किल, गिरती रहती है छत के परत
खगड़िया : पुलिस जागती है तो हम चैन की नींद सोते हैं. लेकिन कभी आपने देखा है कि पुलिस वाले किस तरह जीते हैं. उनके दर्द को जानने की कोशिश में प्रभात खबर की टोली कई थाने में पहुंची. जहां का दृश्य देख कर दंग रह गये. कहीं नीचे जमीन पर पुलिस वालों की रात कटती है तो कहीं भवन के अभाव में पुलिस की नींद गायब हो गयी है. कहीं सामुदायिक भवन में थाना चल रहा है तो कहीं पंचायत भवन में. कई थाने में शौचालय तक नहीं है. पेट्रोल पंप की जमीन पर मुफ्फसिल थाना चल रहा है.
जबकि विधि व्यवस्था व अपराधिक गतिविधि के लिहाज से यह महत्वपूर्ण थाना माना जाता है. पंचायत भवन में चलने वाले मोरकाही थाना का हाल यह है कि शौचालय के अभाव में यहां की पुलिस पास में मौजूद हेल्थ सब सेंटर की ओर दौड़ती है. ऐसे ही बेहाल कई थाने को अपना जमीन तक नसीब नहीं हो पाया है. इसकी वजह से कई थाने किराये के मकान में चल रहे हैं. लिहाजा, भवन का सपना कैसे पूरा हो यह सवाल आज भी बना हुआ है. पत्राचार चल रहा है लेकिन कब तक सुविधा व संसाधन से लैस सभी थाना हो जायेंगे यह कहना मुश्किल है.
बरसात में महिला थाना में बैठना भी मुश्किल
जिले के कई थाना के पास अपनी जमीन नहीं रहने के कारण विभिन्न संसाधनों के कारण उपेक्षित है. जिस थाना के पास अगर अपनी जमीन भी है तो भवन निर्माण होने की बाट जोह रहे हैं. कोई थाना पंचायत भवन में संचालित है तो कई सरकारी/ गैर सरकारी पर संचालित है. शौचालय के अभाव में कई थाने की पुलिस कुछ ज्यादा ही परेशान हो रही है. खासकर महिला पुलिस की परेशानी बढ़ गयी है.
महिला थाना एवं अनुसूचित जाति/जनजाति थाना का उद्घाटन दो फरवरी 2012 को हुआ था आनन फानन में पशुपालन विभाग के जमीन पर महिला थाना को खोला गया. लेकिन इस जांच वर्षों के अंदर आज तक रंगाई पोताई के अभाव में महिला थाना के दीवार गिरने के कगार पर हैं. छत के चट्टे कब शरीर पर गिर जायेंगे कहना मुश्किल हैं. महिला थानाध्यक्ष किरण कुमारी ने बताया कि वर्ष 2013-14 में पशुपालन विभाग द्वारा महिला थाना को 50 डिसमिल जमीन का स्थानांतरण किया गया. जिसका मोटेशन वर्ष 2014-15 में कराया गया है.
नक्सल दृष्टि से संवेदनशील है मोरकाही थाना
माड़र उत्तरी पंचायत भवन में संचालित मोरकाही थाना में सुविधाओं का घोर अभाव बना हुआ है. स्थिति ऐसी है कि कागजात बचाने में पुलिसवालों के के पसीने छूट जाते हैं. खासकर शौचालय नहीं रहने के कारण बगल के सरकारी अस्पताल पर यहां की पुलिस निर्भर है. मोरकाही थाना क्षेत्र अंतर्गत कई पंचायत अति संवेदनशील है. इसलिए यह थाना को आधुनिक व्यवस्था से जोड़कर रखने की आवश्यकता है. जहां पुलिस बैरक,शौचालय के अभाव बना हुआ है.
बीएमपी एवं जिला पुलिस के लिए व्यवस्थित बैरक नहीं है. वर्ष 1987 के भीषण बाढ़ के पानी आने के कारण मोरकाही थाना को माड़र उत्तरी पंचायत के पंचायत सरकार भवन में संचालित किया जा रहा है. तब से लेकर आज तक यह थाना भवन व अन्य संसाधन के लिये तरस रही है. मोरकाही थानाध्यक्ष अनिल कुमार यादवेन्दु ने बताया कि भवन के जर्जर रहने के कारण वायरलेस मशीन पर बारिश का पानी आता है. इसके अलावा पुलिस बल के बैरक की स्थिति जर्जर हो चुकी है.
कुछ थाने का हाल जान लिजिये…
मुफस्सिल थाना : पेट्रोल पंप की जमीन पर संचालित
मोरकाही थाना : पंचायत भवन में संचालित
महिला थाना : पशुपालन विभाग के भवन में
गंगौर ओपी : सामुदायिक भवन में संचालित
भरतखंड ओपी : सामुदायिक भवन
में
पौरा ओपी : पंचायत भवन में
मरैया ओपी : पंचायत भवन में
अमौसी पिकेट : स्कूल भवन में
पेट्रोल पंप की जमीन पर मुफ्फसिल थाना
मुफस्सिल थाना क्षेत्र के क्षेत्रफल ज्यादा रहने के कारण मामला दर्ज होने से लेकर छापेमारी तक वृहत पैमाने पर किये जाते रहे हैं. कई नामचीन अपराधिक वारदातों के लिये यह थाना क्षेत्र संवेदनशील है. लेकिन यहां हाजत तक की व्यवस्था नहीं है. किराये के मकान में मुफस्सिल थाना संचालित है. जहां पांच महिला पुलिस बल प्रतिनियुक्त है.
सभी थाने होंगे सुसज्जित : एसपी
पुलिस अधीक्षक मीनू कुमारी ने बताया कि जिले के सभी थाना में कमोबेश समस्याएं हैं. जिसे दूर करने के लिये प्रयास जारी हैं. जमीन उपलब्ध करवा कर भवन निर्माण के लिए पत्राचार किया गया है.