अनदेखी. पांच हजार से अधिक आबादी वाले गांव में खुलना था शाखा
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चार माह में दो बैंक खुले, अगले चार माह में कैसे खुलेंगे 56 बैंक
अनदेखी. पांच हजार से अधिक आबादी वाले गांव में खुलना था शाखा शाखा खोलने में बैंक प्रबंधन नहीं दिखा रहा दिलचस्पी खगड़िया : अगले वर्ष के 31 मार्च तक शाखा विस्तार का लक्ष्य प्राप्त करना मुश्किल लग रहा है. अगले तीन माह में जिले के 56 गांव में नयी बैंक शाखा खोलने का लक्ष्य असंभव […]
शाखा खोलने में बैंक प्रबंधन नहीं दिखा रहा दिलचस्पी
खगड़िया : अगले वर्ष के 31 मार्च तक शाखा विस्तार का लक्ष्य प्राप्त करना मुश्किल लग रहा है. अगले तीन माह में जिले के 56 गांव में नयी बैंक शाखा खोलने का लक्ष्य असंभव है. मालूम हो कि पांच हजार से अधिक की आबादी वाले गांव में एसएलबीसी ने नयी बैंक शाखा खोलने का लक्ष्य सभी बैंकों को दे रखा है. पहले इस काम को पूरा करने का लक्ष्य 31 मार्च 2017 था, लेकिन सर्वेक्षित पांच हजार से अधिक आबादी वाले गांवों में नयी शाखा नहीं खुल पाने की वजह से इस समय सीमा को बढ़ाकर 30 सितंबर 2017 किया गया था.
फिर भी यह योजना सफल नहीं हो पाई. 58 तो दूर 8 गांवों में भी नयी शाखा नहीं खुली. इसके बाद ऐसे गांवों में शाखा खोलने की समय सीमा 31 मार्च 2018 करते हुए उन सभी बैंकों को निर्देश दिये गये, जिन्हें नयी शाखा उन गांवों में खोलने थे. वहीं बैंक खुलने कि जो स्थिति है उससे यही लगता है कि इस माह में सर्वेक्षित पांच हजार से अधिक आबादी वाले गांव की संख्या 58 थी.
इन गांव की संख्या 56 बताई जा रही है. जहां कोई शाखा मौजूद नहीं है, यानी इन चार माह में महज दो शाखा ही खुली है. 31 मार्च 2018 के आने में अब चार माह से भी कम समय बचे हुए हैं. अगर जिले में बैंक खुलने कि यही गति रही तो सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी और नयी शाखाएं 31 मार्च तक खुलेंगी.
कहते हैं अधिकारी
जिले में पांच हजार से अधिक आबादी वाले गांवों की सूची बैंकों को काफी पहले भेजी जा चुकी है. एसएलबी एवं डीएलसीसी से कई बार इस संबंध में निर्देश दिये जा चुके है. बैंक के उच्च प्रबंधक को भी पत्र लिखा जा चुका है. इतने प्रयास के बावजूद अपेक्षा से काफी कम शाखाएं खुली हैं. अभी भी वित्तीय समाप्ति में चार का समय बचा है. उम्मीद है कि ऐसे गांवों में कुछ और शाखाएं खुलेंगे.
एसके राय,एलडीएम
कहां – कहां खुलेगी नयी शाखा
आंकड़े के मुताबिक यहां की आबादी 20 हजार से अधिक है, लेकिन यहां एक भी शाखा मौजूद नहीं है. हां इस गांव में नयी शाखा खोलने की जिम्मेवारी बिहार ग्रामीण बैंक को दी गयी थी. इस जिम्मेवारी को पूरा करने में यह बैंक सफल नहीं हो पाई है. इसी तरह दिघौना की आबादी 12 हजार से अधिक है मेघौना व राटन की भी आबादी साढ़े ग्यारह हजार के करीब है. यहां भी बैंक की शाखा नहीं है. अलौली प्रखंड के चेराखेरा गांव में लोगों संख्या करीब 15 हजार है जबकि माधवपुर करारी, कुल्हरियाव, शुम्भा,शेरचकला गांव कलवारा गांव की आबादी 10 हजार या इससे अधिक है. बोरने गांव की आबादी तो 25 हजार बताई जा रही है लेकिन यहां भी बैंक की शाखा नहीं है.
विभागीय सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक रांको, अमौसी, कंजरी, शहरबन्नी, तेलिहार,गोरियामी, झंखरा, मैरा,अमनी, बलैठा, विशनपुर धुसमुरी, देवरी, गोविन्दपुर, इतमादी,कवेला, कोठिया, महिनाथनगर, रसौंक, समसउद्दीनपुर,जोराबपुर, हथवन, रौन,गौड़ाचक,मछरा,चोढ़ली, आनंदपुर मारन,वैसा, पचौथ, रोहियार, कोयला,सकरोहा,बोरना,गैस,मुश्कीपुर, बासुदेवपुर, झिकटिया, ठुठी मोहनपुर, गौड़ा एवं दहमा खैरी खुटाह की आबादी पांच हजार से अधिक है तथा इन गांवों में नयी शाखा खोलने के लिए बैंको को निर्देश दिए गए थे.
किस बैंक को कितना मिला लक्ष्य
सबसे अधिक बिहार ग्रामीण बैंक को 15 गांवों में नयी शाखा खोलने का लक्ष्य है. इसी तरह एक्सिस एवं एचडीएफसी बैंक की चार चार गांव में बंधन बैंक, पंजाब बैंक, आईसीआईसीआई बैंक को तीन तीन गांवों में जबकि बैंक ऑफ इंडिया, देना बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, कैनरा बैंक, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक एवं यूनियन बैंक को दो दो गांव आवंटित किये गये थे.जहां इस बैंक को नयी शाखा खोलने थे. वहीं यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, सिंडिकेट बैंक, ओरियेटिव बैंक, आंध्रा बैंक एवं इलाहाबाद बैंक को एक एक गांव आवंटित किया गया है. जहां नयी शाखा खोली जानी है.
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