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वाहनों को धक्का देकर पहुंचाते हैं किनारे
कोसी की रेत से लोगों को कब तक मिलेगी मुक्ति बेलदौर : प्रखंड के उसराहा घाट पर पहुंचते ही लोगों की माथापच्ची शुरू हो जाती है. लोग पैदल कोसी की रेत पर चलने को मजबूर हैं तो लग्जरी वाहन नाव से उतरते ही ट्रैक्टर एवं लोगों द्वारा ठेलकर सड़क के छोर तक पहुंचाये जाते हैं. […]
कोसी की रेत से लोगों को कब तक मिलेगी मुक्ति
बेलदौर : प्रखंड के उसराहा घाट पर पहुंचते ही लोगों की माथापच्ची शुरू हो जाती है. लोग पैदल कोसी की रेत पर चलने को मजबूर हैं तो लग्जरी वाहन नाव से उतरते ही ट्रैक्टर एवं लोगों द्वारा ठेलकर सड़क के छोर तक पहुंचाये जाते हैं. बीते 7 वर्षों से प्रखंड समेत कोसी इलाके की लाखों की आबादी आवागमन की इस संकट से जूझ रही. इनको राहत दिलाने के लिये सरकारी स्तर से की जा रही व्यवस्था ऊंट के मुंह में जीरा के समान साबित हुआ.
सरकारी परवाने पर चलायी जा रही छह नावों के बावजूद लोगों को पूरी तरह निजी नाव के सहारे ही नदी पार करने विवश है. सरकारी नावों के परिचालन में काफी अनियमितता बरती गयी, बार बार राहगीरों के शिकायत के बावजूद भी अधिकारी सरकारी नौका परिचालन की व्यवस्था को सुधार नहीं पायी. तो वहीं सरकार नाव पर प्रतिनियुक्त नाविक भी राशि भुगतान में होने वाली परेशानी का हवाला देकर बेहतर सेवा देने से कतराते रहे जिसका पूरा फायदा निजी नाव संचालक जमकर उठा रहे है. छह सरकारी नावों के परिचालन होने के बावजूद भी लोगों की सर्वाधिक भीड़ निजी नाव पर ही क्यों है इसकी सुधि किसी ने नहीं ली. वहीं निजी नाव संचालक के लिये कोसी का यह अभिस्राप कामधेनु साबित हो रहा है.
हालांकि डुमरी पुल के मरम्मत कार्य में आयी तेजी से लोगों में खुशी का माहौल भी है, कार्य एजेंसी के दावे से लोगों को उम्मीद है कि संभावित बाढ़ में लोगों को अब इन संकटों से मुक्ति मिल जायेगी तो वहीं इन समस्याओं को जीविका का साधन बना चुके नाव संचालक एवं चाय नाश्ते समेत पान के दुकानदारों में मायूसी बढ़ रही है. बहरहाल लोगों की उम्मीद डुमरी पुल पर ही टिकी है.
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