अपराध से बंदी करेंगे तौबा, जेल से निकलने पर करेंगे गौसेवा

जीविकोपॉर्जन के लिए बनाया जा रहा बंदियों को आत्मनिर्भर खगड़िया : अपराध की दुनिया से तौबा कर जेल से निकलने पर दर्जनों बंदी गौ सेवा करेंगे. गौ सेवा/पालन कर ये अपने परिवार का भरण-पोषण करेंगे. खगड़िया कारा में बंद कैदियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. ताकि जेल से बाहर निकलने के बाद वे गलत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 12, 2018 6:05 AM

जीविकोपॉर्जन के लिए बनाया जा रहा बंदियों को आत्मनिर्भर

खगड़िया : अपराध की दुनिया से तौबा कर जेल से निकलने पर दर्जनों बंदी गौ सेवा करेंगे. गौ सेवा/पालन कर ये अपने परिवार का भरण-पोषण करेंगे. खगड़िया कारा में बंद कैदियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. ताकि जेल से बाहर निकलने के बाद वे गलत काम करने की जगह खुद का रोजगार कर सके. रुढ़ सेठी द्वारा जेल में बंद करीब 35 बंदियों को डेयरी फॉर्मिंग तथा वर्मी कंपोस्ट का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य इन बंदियों को आत्मनिर्भर बनाना है ताकि जीविकोपार्जन के लिये न तो दोबारा गलत काम करना पड़े या फिर किसी के सामने इन्हें न हाथ फैलाना पड़े और न रोजगार मांगने जाना पड़े. जानकारी के मुताबिक एक बैच में 30 कैदियों को गौ-पालन की ट्रेनिंग दी जा रही है.आगे और भी कैदियों को ट्रेनिंग दी जाने की योजना है.
10 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आरंभ
खगड़िया कारा में 10 दिवसीय डेयरी फॉर्मिंग का प्रशिक्षण मंगलवार से आरंभ किया गया. कार्यक्रम उद्घाटन जेलर अरविन्द कुमार तथा रुढ़ सेठी के निदेशक विजय कुमार पाल ने संयुक्त रूप से किया. इन 10 दिनों में बंदियों को गौ पालन के पहले जागरूक किया जायेगा, फिर उन्हें गौपालन के तरीके सिखाए जायेंगे. प्रशिक्षण के दौरान इन्हें पशुओं के प्राथमिक उपचार के भी गुर सिखाये जायेंगे. प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थियों/बंदियों को प्रोजेक्टर के द्वारा दूसरे जगह हो रहे पशुपालन की वीडियो भी दिखाई जायेगी.
आत्मनिर्भर बनाने के लिए दिया जा रहा प्रशिक्षण: जेलर
छोटे-मोटे अपराधों में यहां आने वाले बंदियों की संख्या अच्छी-खासी है जो कुछ दिनों में यहां से छुटेंगे. घर लौटने पर ये फिर से मार-पीट,लड़ाई-झगड़े सहित अन्य घटनाओं का अंजाम न दें, इसके लिये इन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है. कुछ माह में यहां से बाहर जाने वाले बंदियों को डेयरी व मुर्गी पालन की ट्रेनिंग दी जा रही/जायेगी. यहां से छूटने के बाद ये लोग गौपालन, मुर्गी पालन कर अपनी जीविका चलायेंगे. इस बैच में फिलहाल 35 बंदियों की ट्रेनिंग आरंभ की गयी है. आगे भी इस कार्यक्रम को जारी करने का अनुरोध संबंधित विभाग के पदाधिकारी से करेंगे.
अरविन्द कुमार, जेलर
उपयोगी है यहां के लिये गौपालन: निदेशक
डेयरी के क्षेत्र यहां ढेर सारी संभावनाएं हैं. सात नदियों से घिरी खगड़िया जिले में आठवीं नदी दूध की बहती है. क्योंकि यहां काफी मात्रा में दुग्ध उत्पादन होते हैं. यहां पशुपालन करना आसान है, क्योंकि यहां सालों भर हरी घास उपलब्ध रहती है. जो कि लिये दुधारू पशु के लिये काफी लाभदायी होती है. यहां डेयरी क्षेत्र में संभावनाएं अधिक होने के कारण बंदियों को इस क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जा रहा है. मुर्गी पालन के साथ-साथ बंदियों के डिमांड के अनुसार उन्हें उस क्षेत्र में प्रशिक्षण दिया जायेगा.
विजय कुमार पाल, निदेशक रूढ सेठी.
रोजगार के लिए मिलेगा ऋण: एडीएम
ट्रेनिंग के व कारा से छूटने के पश्चात अगर बंदी चाहें तो गौपालन या फिर मुर्गी पालन के ऋण भी प्राप्त कर सकते है. उनकी यह कोशिश होगी कि गाय व मुर्गी खरीदने में असमर्थ रहे ऐसे लोगो को आसानी से बैंकों के द्वारा ऋण मुहैया कराया जा सके. अगर राशि के अभाव में ये रोजगार नहीं पाए तो फिर से ये अपराध की दुनियां में कदम रख देंगे.ऐसे में इन्हें ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य पर ही पानी फिर जायेगा.

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