जदयू नेता रामप्रताप पासवान हत्या मामले में दो को आजीवन कारावास की सजा

खगड़िया:बिहारमें खगड़िया जिले के चर्चित जदयू नेता रामप्रताप पासवान हत्या के मामले में दो आरोपित को आजीवन कारावास की सजा दी गयी है. सोमवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ प्रमोद कुमार यादव ने दो हत्या आरोपित को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. मालूम हो कि सदर प्रखंड के मथुरापुर गांव निवासी जनवितरण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 15, 2019 8:28 PM

खगड़िया:बिहारमें खगड़िया जिले के चर्चित जदयू नेता रामप्रताप पासवान हत्या के मामले में दो आरोपित को आजीवन कारावास की सजा दी गयी है. सोमवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ प्रमोद कुमार यादव ने दो हत्या आरोपित को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. मालूम हो कि सदर प्रखंड के मथुरापुर गांव निवासी जनवितरण प्रणाली दुकानदार संघ के जिलाध्यक्ष सह जदयू नेता रामप्रताप पासवान की हत्या 14 मई 2013 को अपराधियों ने गोली मार कर दी थी.

जदयू नेता रामप्रताप पासवान की हत्या अपराधियों ने प्रतिदिन की तरह 18 मई 2013 को 4.30 बजे सुबह अपनी पत्नी व बहनोई के साथ खगड़िया रेलेव स्टेशन रैक प्वाइंट पर घुमने जा रहे थे .जैसे ही रामप्रताप पासवान रेलवे माइक्रेा टावर के पास पहुंचा कि अचानक हीरा पासवान, नवीन पासवान एवं दो अन्य लोगों ने उन्हें घेर लिया तथा भद्दी भद्दी गाली देने लगा. नवीन पासवान के आदेश पर हीरा पासवान ने रामप्रताप पासवान को सिर में गोली मार दिया. वे जमीन पर गिर गये. सभी अभियुक्त कमलपुर की ओर भाग गये. जख्मी को इलाज के लिए अस्पताल लाया गया. जहां चिकित्सक ने उन्हे मृत्यु घोषित कर दिया.

जिला एवं सत्र न्यायाधीश चर्तुथ प्रमोद कुमार यादव ने मथुरापुर निवासी हीरा पासवान एवं नवीन पासवान को घटना में दोषी पाते हुये आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इसके अलावे दोनों हत्यारोपित को 25-25 हजार रूपये अर्थदण्ड भी भुगतान करने का आदेश दिया गया है. अर्थदण्ड नहीं देने पर 6-6 माह अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतना होगा. इस कांड में अभियोजन पक्ष की ओर से अधिवक्ता महेश कुमार सिंह एवं ओमप्रकाश रंजन एवं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता पवन कुमार श्रीवास्तव ने अपना अपना पक्ष रखा.

उल्लेखनीय है कि इस कांड के नामजद अभियुक्त नवीन पासवान के विरूद्ध खगड़िया रेल थाना में मारपीट,लूट,हत्या के प्रयास सहित 20 मामले दर्ज थे. जिसमें से रेल थाना में करीब 6 मामले दर्ज है. अधिकांश मामले में आरोप पत्र पुलिस द्वारा न्यायालय में समर्पित कर दिया गया है.

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