निविदा कर्मी आवास सहायक पर ही प्रपत्र क गठन का आदेश
खगड़िया : निविदा कर्मी में ग्रामीण आवास सहायक पर प्रपत्र क गठन का आदेश जारी करने का मामला अधिकारियों के गले की फांस बन गया है. सरकारी नियम के अनुसार निविदा कर्मी पर प्रपत्र क गठन हो ही नहीं सकता. ऐसा तो हो नहीं सकता कि ऐसा आदेश जारी करने वाले पदाधिकारी को सरकार के […]
खगड़िया : निविदा कर्मी में ग्रामीण आवास सहायक पर प्रपत्र क गठन का आदेश जारी करने का मामला अधिकारियों के गले की फांस बन गया है. सरकारी नियम के अनुसार निविदा कर्मी पर प्रपत्र क गठन हो ही नहीं सकता. ऐसा तो हो नहीं सकता कि ऐसा आदेश जारी करने वाले पदाधिकारी को सरकार के इस नियम की जानकारी नहीं होगी, तो फिर क्या आंख मूंद कर अधिकारियों ने 2015 में बहाल ग्रामीण आवास सहायक संतोष आर्या पर प्रपत्र क गठन का आदेश दे दिया.
पूरा मामला सन्हौली पंचायत में 2009 में गलत ढंग से इंदिरा आवास का लाभ लेने के मामले से जुड़ा हुआ है. इस मामले में उक्त आवास सहायक सहित पांच अन्य लोगों पर आवास योजना में गड़बड़ी के आरोप में प्राथमिकी (सदर थाना कांड संख्या 387/19) दर्ज कराने के बाद प्रपत्र क गठित करने के आदेश दिये गए हैं.
डीडीसी द्वारा आवास सहायक पर प्रपत्र क गठित करने का आदेश विवादों में आ गया है. इससे पहले बेलदौर के चोढ़ली पंचायत के आवास सहायक द्वारा दलाल से सरकारी काम लेने के मामले में भी कार्रवाई तो दूर जांच तक नहीं किया गया. इस मामले में भी चोढली आवास सहायक पर कार्रवाई से हाकिम कन्नी काट रहे हैं.
आवास सहायक पर प्रपत्र क गठन के आदेश से कटघरे में अधिकारी : बता दें कि वर्ष 2009 में सन्हौली पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना में फर्जीवाड़े की बात सामने आई थी. सरकारी लोक सेवक,पंचायत के जनप्रतिनीधि एवं स्थानीय लोगों की मदद से बेगूसराय जिले के बखरी की रहने वाली पूनम देवी सन्हौली की निवासी बनकर आवास योजना का लाभ लेने का आरोप लगाया गया था.
शिकायत बाद जांच के आदेश हुए, जांच में आरोप सत्य पाए जाने के बाद लाभार्थी, पंसस,पंचायत सचिव समेत पहचानकर्ता के विरुद्व प्राथमिकी दर्ज कराई गई. यहां तक कोई मामला नहीं फंसा लेकिन जब डीडीसी के द्वारा लाभार्थी से योजना की राशि की वसूली के साथ-साथ सरकारी लोक सेवक यानि पंयायत सचिव व ग्रामीण आवास सहायक पर प्रपत्र क गठित के आदेश जारी किये तो मामला फंस गया.
तत्कालीन आवास सहायक का जिक्र करते हुए निकले सरकारी पत्र : डीडीसी द्वारा जारी पत्र में संतोष कुमार आर्या तत्कालीन आवास सहायक, सन्हौली पंचायत का जिक्र करते हुए पत्रांक 915 दिनांक 19.08.2019 के तहत स्पष्टीकरण तलब किया गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब 2009 में घटित इस गड़बड़ी के वक्त आवास सहायक नाम का कोई पद ही नहीं था तो फिर डीडीसी ने आदेश जारी करने से पहले संतोष आर्या को तत्कालीन आवास सहायक सन्हौली कैसे बता दिया? संतोष ने बताया कि 2009 में वह सरकारी सेवा में थे ही नहीं.
इधर, प्रपत्र क गठन के आदेश पर जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने सवाल खड़ा करते हुए डीडीसी को साफ लहजे में कहा है कि निविदा पर बहाल सरकारी कर्मी पर प्रपत्र क गठन का आदेश देना, नियम के खिलाफ है. विभागीय जानकार बताते हैं कि अनुबंध कर्मियों न तो प्रपत्र क गठित होते हैं और न विभागीय कार्रवाई संचालित की जाती है. ऐसे कर्मियों पर आरोप सत्य पाए जा पर उनसे स्पष्टीकरण पूछकर चयन मुक्ति की कार्रवाई की जाती है.
जिस मामले में एफआइआर दर्ज करायी गयी, उस वक्त आवास सहायक के पद पर नहीं थी बहाली
2009 में सन्हौली पंचायत में वितरित इंदिरा आवास के जिस मामले में उन्हें नामजद बनाते हुए एफआइआर दर्ज करायी गयी, उस वक्त वह आवास सहायक पर बहाल ही नहीं हुए थे. जिस एकरारनामा पर मेरा हस्ताक्षर होने की बात कही जा रही है, वह मेरा नहीं है.
इसकी गहन तहकीकात की गयी होती तो सच सबके सामने होता. जिस मामले से मेरा कोई लेना-देना ही नहीं है, उस मामले में कार्रवाई किया जाना, समझ से परे है. अगर अधिकारी ने पूरे मामले की आवश्यक छानबीन के बाद कार्रवाई की होती तो उन्हें इस तरह बेवजह परेशान नहीं होना पड़ता. पूरे मामले की शिकायत डीएम समेत एससी/एसटी आयोग से की गयी है.
संतोष आर्या, आवास सहायक
जेल होने पर ही की जा सकती है कार्रवाई
नौकरी से पहले के किसी मामले को मुद्दा बना कर आरोपित व्यक्ति पर नौकरी ज्वाइन करने के बाद चयनमुक्ति की कार्रवाई नहीं हो सकती है. हां जब उक्त नियोजित कर्मी जेल जाते हैं तो सरकारी नियम के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है. ग्रामीण आवास सहायक संतोष आर्या के मामले में अभी पूरी जानकारी नहीं है.
रामनिरंजन सिंह, डीडीसी
संविदाकर्मी पर प्रपत्र क गठित नहीं हो सकती
चूंकि आरोपित ग्रामीण आवास सहायक नियोजित संविदा कर्मी होते हैं. पूरे मामले की सुनवाई के बाद जारी आदेश में कहा गया है कि आरोपित ग्रामीण आवास सहायक नियोजित एक संविदाकर्मी हैं. इसलिये इनके विरुद्व प्रपत्र क गठन की कार्रवाई नहीं की जा सकती है. = भूपेन्द्र यादव, लोक शिकायत एडीएम. .
भूपेंद्र यादव, लोक शिकायत एडीएम
आरोपी पर दर्ज हुई थी प्राथमिकी
बीडीओ राजेश कुमार राजन ने कहा कि 2009 में सन्हौली पंचायत में गलत ढंग से इंदिरा आवास लेने के मामले की कई बार जांच करायी गयी, उसी जांच रिपोर्ट के आधार पर वरीय अधिकारियों ने आरोप के घेरे में आये लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया था.
इसी आलोक में ग्रामीण आवास सहायक संतोष आर्या समेत कई लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. अब नियोजित कर्मी पर प्रपत्र क गठन का आदेश कैसे जारी हुआ, यह तो निर्देश देने वाले अधिकारी ही बेहतर बता सकते हैं. लेकिन यह सच है कि नियोजित कर्मी पर प्रपत्र क गठित करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है.