जिले में उद्योग नहीं होने से बढ़ रही है बेरोजगारी

गोगरी : आम तौर पर बेरोजगारी की बढ़ती समस्या यहां के युवाओं को परदेश जाकर काम करने पर विवश करता रहा है. मुख्य रूप से अनुमंडल में उद्योग धंधा नहीं रहने के कारण श्रमिक तबका से लेकर शिक्षित युवाओं को भी बेहतर रोजगार के लिए देश के महानगरों की ओर ही रुख करना पड़ता है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 10, 2019 9:09 AM

गोगरी : आम तौर पर बेरोजगारी की बढ़ती समस्या यहां के युवाओं को परदेश जाकर काम करने पर विवश करता रहा है. मुख्य रूप से अनुमंडल में उद्योग धंधा नहीं रहने के कारण श्रमिक तबका से लेकर शिक्षित युवाओं को भी बेहतर रोजगार के लिए देश के महानगरों की ओर ही रुख करना पड़ता है. यह सिलसिला सालों भर लगा रहता है.

पलायन रोकने के दिशा में सरकारी स्तर पर ठोस प्रयास नहीं होने की बात सामने आ रही है. निजी स्तर पर यहां संचालित छोटे-छोटे उद्योग धंधा बेरोजगारी को कम करने में पूरी तरह कारगर साबित नहीं हो रहा है. सरकारी तौर पर भले ही रोजगार के अवसर बहाल करने के दावे किए जाते हैं लेकिन यहां जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है.
शिक्षित बेरोजगारों के अलावा बड़ी संख्या में दैनिक मजदूर खासकर पंजाब, दिल्ली की ओर चले जाते हैं. ये सिर्फ पर्व त्योहार के मौके पर ही अपने गांव लौटते हैं. यहां का प्रसिद्ध हस्तकरघा उद्योग बंद होने से बड़ी संख्या में हस्तकरघा से जुड़े कारीगर उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों के हस्तकरघा उद्योग में मजदूरी कर रहे हैं.
वहीं हजारों की संख्या में श्रमिक महानगरों में पसीना बहा रहे हैं. जिले के बड़ी संख्या में युवा व बुजुर्ग देश के विभिन्न हिस्सों में नाइट गार्ड या फिर रसोइया का कार्य कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं. मनरेगा से मोह भंग हो चुके खेतों में कार्य करने वाले दैनिक मजदूर हरियाणा, पंजाब की खेतों में फसल उगा रहे हैं.
खासकर पर्व त्योहार के बाद यहां से लोगों का पलायन का सिलसिला और बढ़ जाता है. जाहिर है कि देश के विभिन्न हिस्सों में कार्य कर रहे यहां के मजदूर जब अपने गांव पर्व त्योहार के मौके पर लौटते हैं तो महानगर वापसी के समय अपने साथ कुछ अन्य लोगों को भी रोजगार दिलाने के लिए महानगरों की ओर लेकर निकल जाते हैं.

Next Article

Exit mobile version