महाशिवरात्रि आज, सभी तैयारी पूरी, शहर में आज निकलेगी देवो के देव महादेव की बरात

खगड़िया/गोगरी : शुक्रवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर जिले के सभी शिवालयों से देवो के देव महादेव की बरात निकाली जायेगी. महाशिवरात्रि को लेकर पूरे दिन हर हर महादेव के जयघोष से बाजार गुंजायमान होता रहेगा. शिवालयों में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जायेगा. श्रद्धालु बड़ी संख्या में भगवान शिव का दर्शन करने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 21, 2020 6:52 AM

खगड़िया/गोगरी : शुक्रवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर जिले के सभी शिवालयों से देवो के देव महादेव की बरात निकाली जायेगी. महाशिवरात्रि को लेकर पूरे दिन हर हर महादेव के जयघोष से बाजार गुंजायमान होता रहेगा. शिवालयों में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जायेगा. श्रद्धालु बड़ी संख्या में भगवान शिव का दर्शन करने के लिए शिवालयों में जुटेंगे और याचना करेंगे. इस दिन भगवान शिव से सच्चे मन से मांगी गयी मुराद जरूरी पूरी होती है.

गोगरी के भोजुआ निवासी पंडित डॉक्टर शुभम सावर्ण ने बताया की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 21 फरवरी की शाम को 5 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी को 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगा. रात्रि पहर का शुभ मुहूर्त 21 फरवरी की शाम को 6 बजकर 41 मिनट से रात को 12 बजकर 52 मिनट तक रहेगी. महाशिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा रात्रि में चार बार करने की परंपरा रही है.
महाशिवरात्रि की पौराणिक कथाएं
हिंदू मान्यता के हिसाब से प्रत्येक महीने शिवरात्रि मनाई जाती है. लेकिन फाल्गुन महीने में मनाई जाने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व है. इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है. सामान्य शिवरात्रि प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है और इसे परदोष भी कहा जाता है. प्रत्येक महीने मनाये जाने की वजह से इसे मासिक शिवरात्रि भी कहा जाता है. यही जब श्रावण महीने में मनाया जाता है कि इसे बड़ी शिवरात्रि कहा जाता है. श्रावण का पूरा महीना ही शिव को समर्पित होता है.
फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाये जाने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि फाल्गुन महीने की कृष्ण चतुर्दशी को ही रात्रि में भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे. एक मान्यता और है कि इसी दिन भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था. इसको भगवान शिव शक्तिरूपा पार्वती के मिलन अथवा विवाह की रात्रि के तौर पर मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन पार्वती की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उनसे विवाह किया था.

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