प्रतिनिधि, अलौलीमहात्मा गांधी ने चरखा चला कर ग्रामोेद्योग को बढ़ावा देकर गांव को खुशहाल बनाने की कल्पना की थी. उक्त बाबत हरिपुर गांव में खादी भंडार भवन का निर्माण किया गया था. सैकड़ों लोगों ने प्रशिक्षण भी पाया. लेकिन आज खादी भंडार भवन बिल्कुल ही बदहाल है. आज सरकारी उपेक्षा के कारण बरबाद हो रहा है. यहां उपलब्ध 25 सेट चरखे को कोई नहीं देखने वाला है. इस परिसर का चार कट्ठा जमीन धीरे धीरे अतिक्रमण का भेंट चढ़ता जा रहा है. अब तो सिर्फ भवन की रूप रेखा ही दिखाती है. वह भी कुछ दिनों में मिट जायेगी. हरिपुर ठाकुरबाड़ी के महंथ राम लखन दास ने खादी भंडार निर्माण के लिए चार कट्ठा जमीन दान में दिया था. उनकी सोच थी कि इससे क्षेत्र का विकास और लोगों को रोजगार मिलेगा. इसकी स्थापना में रामदेव सिंह, हरि नारायण सिंह, हृदय नारायण सिंंह, बंगाली सिंह, सुबोध कुमार वर्मा जैसे लोगों का सराहनीय सहयोग रहा. रोजगार को बढ़ावा देकर गांव को खुशहाल बनाने की बात करनेवाली सरकार की वर्तमान व्यवस्था में खादी भंडार का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है.
उपेक्षा के कारण बदहाली के कगार पर है हरिपुर का खादी भंडार भवन
प्रतिनिधि, अलौलीमहात्मा गांधी ने चरखा चला कर ग्रामोेद्योग को बढ़ावा देकर गांव को खुशहाल बनाने की कल्पना की थी. उक्त बाबत हरिपुर गांव में खादी भंडार भवन का निर्माण किया गया था. सैकड़ों लोगों ने प्रशिक्षण भी पाया. लेकिन आज खादी भंडार भवन बिल्कुल ही बदहाल है. आज सरकारी उपेक्षा के कारण बरबाद हो रहा […]
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