खगड़िया : धमारा स्टेशन पर यदि ऊपरी पुल होता तो शायद इतने लोगों की जान नहीं जाती. स्थानीय लोगों का कहना है कि आवागमन की सुविधा के लिए स्टेशन तो बना दिया गया. लेकिन यात्रियों के एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए अतिरिक्त सुविधा नहीं दी गयी.
यहां तक यात्रियों के पांव पैदल चलने के लिए सड़क तक का निर्माण नहीं कराया गया. जिस वजह से जो भी यात्री ट्रेन से उतरते ट्रैक पर ही उतरते और उसी रास्ते से मंदिर या फिर अपने घरों तक पहुंचते हैं. लोगों ने बताया कि हादसे के समय सिग्नल ग्रीन था. लेकिन देहात के लोगों को कितना समझ में आता है.
लोगों ने बताया कि जो भी लोग सोमवार को मां कात्यायानी स्थान में वैरागन के पूजन में भाग लेने के लिए आते हैं. वे लोग गाजे बाजे के साथ आते हैं. मरने वाले सभी लोगों के पीछे ढोल, नगारा आदि लेकर बजाते हुए चल रहे थे. जिस वजह से भी उन लोगों को ट्रेन के आने का पता नहीं चल पाया और वे लोग हादसे का शिकार हो गये.