कम कीमत में मक्का बेचने को मजबूर हैं किसान
बेलदौर: किसानों को लागत के हिसाब से उत्पादित फसलों की कीमत नहीं मिल पा रही है. इससे किसानों की माली हालत सुधरने के बजाय बिगड़ती चली जा रही है. किसानों के उत्पादित फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदारी की कोई व्यवस्था नहीं होने से किसानों का व्यापारियों द्वारा शोषण किया जा रहा है. उल्लेखनीय […]
बेलदौर: किसानों को लागत के हिसाब से उत्पादित फसलों की कीमत नहीं मिल पा रही है. इससे किसानों की माली हालत सुधरने के बजाय बिगड़ती चली जा रही है. किसानों के उत्पादित फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदारी की कोई व्यवस्था नहीं होने से किसानों का व्यापारियों द्वारा शोषण किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि मकई फसल के तैयार होने के पहले किसानों ने गेहूं की फसल तैयार की थी.
फसल तैयारी के बाद किसानों की उम्मीद थी कि इसे सरकार घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से खरीद लेगी. पर, ऐसा नहीं हो पाने के कारण किसान व्यापारियों के हाथों गेहूं को औने पौने कीमत में बेच दिये. इसी तरह अब वे मकई को औने-पौने कीमत में बेच कर खरीफ की खेती के लिए पूंजी जुटा रहे हैं.
मकई नौ सौ से साढ़े नौ सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से किसान बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं. किसानों के मुताबिक तैयार मकई के फसल के भंडारण की व्यवस्था नहीं होने से किसान इसे औने पौने कीमत में बेच रहे हैं.