सौ साल से अधिक समय से हो रही है मां काली की पूजा

सौ साल से अधिक समय से हो रही है मां काली की पूजा मानसी : प्रखंड के चकहुसैनी पंचायत की चर्चित बम काली पूजा की चर्चा जिले में काफी है. यहां कब से मां की पूजा अर्चना की जा रही है. यह बताना स्थानीय लोगों के लिए मुश्किल है. इसको लेकर कई किंवदंतियां भी हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 1, 2015 10:31 PM

सौ साल से अधिक समय से हो रही है मां काली की पूजा

मानसी : प्रखंड के चकहुसैनी पंचायत की चर्चित बम काली पूजा की चर्चा जिले में काफी है. यहां कब से मां की पूजा अर्चना की जा रही है. यह बताना स्थानीय लोगों के लिए मुश्किल है. इसको लेकर कई किंवदंतियां भी हैं. इस मंदिर में पूजन कार्य सबसे पहले काली चरण बरैय ने शुरू किया था. काली चरण बरैय के परपौत्र बनारसी तमौली अपने घर में हो रही चर्चा को एक डायरी में लिखे हैं. उन्होंने बताया कि काली चरण मां काली का भक्त था.

एक दिन काली चरण को कोलकाता के मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करने का स्वप्न आया. उसने कोलकाता के काली मंदिर में काफी दिनों पूजा अर्चना की. मातृभूमि की याद आने पर उसने मंदिर से मिट्टी व शृंगार लेकर मानसी वापस आ गया ओर पूजन कार्य शुरू कर दिया. पूर्व में मानसी गंगा के कटाव के कारण करने के बाद मानसी बाजार में आकर बस गये. और एक बगीचे में मां काली का मिट्टी और शृंगार को रख कर काली चरण ने पूजा अर्चना शुरू कर दी.

तब से लेकर आज तक मां काली पूजा श्रद्धालुओं द्वारा की जा रही है. काली चरण में जिस बगीचे में मिट्टी और शृंगार रखा था. उसके मालिक का नाम भी काली सिंह था और वह भी काली मां का उपासक था. श्री तमौली बताते है कि बहुत पहले गांव में भयंकर बीमारी का प्रकोप हुआ था, जिसे काली चरण ने मां काली की पूजा अर्चना कर शांत कराया था.

इसके बाद ग्रामीणों के द्वारा मां काली के मंदिर का निर्माण कराया गया. इस मंदिर में पूजा का पहला पान कालीचरण बरैय के घराने से ही होता है. यहां मंदिर में पत्थर की स्थायी प्रतिमा भी बना हुआ है. काली पूजा के समय मां काली का प्रतिमा भी बना कर पूजा अर्चना की जाती है. मेला का सफल संचालन कमेटी के माध्यम से होता है. कमेटी के देख रेख में मेला कार्य संपन्न होता है. यह मेले में काफी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है.

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