यक्ष्मा मरीजों की समुचित नहीं हो रही खोज
यक्ष्मा मरीजों की समुचित नहीं हो रही खोज टीवी नियंत्रण पर लग रहा है प्रश्नचिह्न जिले के लगभग माइकोस्कोपिक सेंटर हैं बंदतो कैसे होगी मरीजों की जांचअब तक मात्र 4200 मरीजों का हो पाया है जांचखगड़िया. सरकार टीवी के नियंत्रण के लिए पानी की तरह रुपये बहा रही है, लेकिन इसका फायदा उनलोगों तक नहीं […]
यक्ष्मा मरीजों की समुचित नहीं हो रही खोज टीवी नियंत्रण पर लग रहा है प्रश्नचिह्न जिले के लगभग माइकोस्कोपिक सेंटर हैं बंदतो कैसे होगी मरीजों की जांचअब तक मात्र 4200 मरीजों का हो पाया है जांचखगड़िया. सरकार टीवी के नियंत्रण के लिए पानी की तरह रुपये बहा रही है, लेकिन इसका फायदा उनलोगों तक नहीं पहुंच रहा है, जो इसके मरीज हैं. जांच के नाम पर आज जिले के प्रत्येक सरकारी अस्पताल में लोगों को टहलाया जा रहा है. कारण, पिछले कई माह से जिले के अधिकतर माइक्रोस्कोपिक सेंटर बंद पड़े हैं. जी हां, तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर यक्ष्मा नियंत्रण केंद्र में मरीजों की जांच कैसे की जा रही है तथा उनका दवा कैसे प्रिसक्राइब की जा रही है. मरीज जब जांच के लिए अस्पताल जाते हैं तो उन्हें वापस पीएचसी यह कहते हुए भेज दिया जाता है कि जाओ पहले वहां से जांच कराओ. वहीं से दवा भी मिल जायेगी. ऐसे में अनपढ़ गरीब लोगों को कुछ समझ में नहीं आता है और वे निजी चिकित्सक के पास जाकर अपना इलाज कराने को विवश हो जाते हैं.शिविर लगे, तो बढ़ेगी मरीजों की संख्या अभी भी अगर जिले के 129 पंचायत में शिविर लगाकर बलगम की जांच करायी जाये, तो कई ऐसे मरीज मिलेंगे. जिन्हें इलाज की सख्त आवश्यकता है. दूसरा टीबी के इलाज को इतना जटिल कर दिया गया है कि उस प्रक्रिया से दो चार होने के बाद मरीज अपना इलाज निजी चिकित्सक के पास कराना अच्छा समझते हैं. क्या है माइक्रोस्कोपिक सेंटरजिले में टीवी उन्मूलन के लिए तीन टीयू (ट्यूबर क्लोसिस ) यूनिट खोला गया. इसमें खगड़िया, गोगरी और चौथम में यक्ष्मा पीड़ित मरीजों की जांच कर इलाज किये जाने की व्यवस्था की गयी. इसमें खगड़िया टीयू में खगड़िया, अलौली, बहादूरपुर, रानीसकरपुरा तथा गंगौर में माइक्रोस्कोपिक सेंटर खोले गये. गोगरी टीयू में गोगरी, परबत्ता, महेशखूंट, महद्दीपुर में मइक्रोस्कोपिक सेंटर खोले गये. चौथम टीयू में चौथम बेलदौर, उसराहा, बलहा बाजार व मानसी में माइक्रोस्कोपिक सेंटर बनाया गया. इसमें से अधिकांश माइक्रोस्कोपिक सेंटर महीनों से बंद पड़े हैं. एक भी सेंटर पर कर्मी नहीं पहुंच रहे हैं. यक्ष्मा विभाग सिर्फ खगड़िया, गोगरी तथा चौथम टीयू में हो रही बलगम की जांच पर मरीजों का इलाज किया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश मरीजों की खोज नहीं हो पा रही है. सिर्फ मोटिवेटर द्वारा डॉट सेंटर पर दवा का वितरण किया जा रहा है. कहते हैं सीएस सीएस डॉ रास बिहारी सिंह ने बताया कि यदि माइक्रोस्कोपीक सेंटर बंद होगा, तो संबंधित कर्मी के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी. वे मामले की अविलंब जांच करायेंगे.