संभल कर! एनएच पर यात्रा खतरनाक
संभल कर! एनएच पर यात्रा खतरनाकफोटो. 6 में कैप्सन. शनिवार की सुबह खगड़िया में एनएच पर कोहरे के बीच रेंगते वाहन सड़क दुर्घटना में मौत का सिलसिला जारी, छीन रही लोगों की खुशियां खगड़िया में हर दिन कहीं न कहीं सड़क दुर्घटना में मरते हैं लोगठंड में सड़क दुर्घटना में इजाफा की आशंका, करने होंगे […]
संभल कर! एनएच पर यात्रा खतरनाकफोटो. 6 में कैप्सन. शनिवार की सुबह खगड़िया में एनएच पर कोहरे के बीच रेंगते वाहन सड़क दुर्घटना में मौत का सिलसिला जारी, छीन रही लोगों की खुशियां खगड़िया में हर दिन कहीं न कहीं सड़क दुर्घटना में मरते हैं लोगठंड में सड़क दुर्घटना में इजाफा की आशंका, करने होंगे कोई उपाय महेशखूंट में एक ही दिन में तीन लोगों की मौत से सन्न हैं लोग सड़क की बजाय घर में घुस रहे ट्रक, घर में साेये लोग भी सुरक्षित नहीं वाहनों की संख्या में कई गुना इजाफा, लेकिन सड़क की चौड़ाई जस की तस सड़कों पर टूट रहे यातायात नियम से स्थिति भयावह, नहीं हो रहे कोई उपाय सड़कों पर बेतरतीब ढंग से वाहन चलने से हर वक्त बनी रहती है दुर्घटना की आशंका प्रतिनिधि, खगड़ियाजरा संभल कर! एनएच 31 पर चलना खतरनाक हो गया है. हर दिन कहीं न कहीं दुर्घटना में लोगों की या तो मौत हो रही है या वे हाथ-पैर तुड़वा कर अस्पताल पहुंच रहे हैं. जानलेवा बनी एनएच 31 दर्जनों परिवार की खुशियां लूट चुकी है. कई बच्चे अनाथ हो गये. मौत के बाद हंगामा, जाम, मुआवजा का एलान आदि के सिलसिला के बीच सड़क दुर्घटना की रफ्तार बढ़ गयी है. शुक्रवार को महेशखूंट में सड़क की बजाय अनियंत्रित ट्रक घर में ही घुस गया. तीन लोगों ने दम तोड़ दिया. दम तोड़ने वाले मजदूर थे. लिहाजा परिवार के लोग बेसहारा होकर आंसू बहा रहे हैं. एनएच पर थम नहीं रहा मौत का सिलसिला कहते हैं किसी भी क्षेत्र के विकास में बेहतर सड़क मार्ग का होना आवश्यक है, लेकिन इस विकास के मापदंड को पूरा करने के लिए जिले के लोगों को रोज अपनी जान गंवानी पड़ रही है. जिले के बीच से होकर गुजरने वाले एनएच 31 पर मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. उल्लेखनीय है कि एनएच 31 बिहार का सबसे व्यस्त सड़क में शुमार है. इस मार्ग से हजारों की संख्या में रोज छोटे वाहन से लेकर बड़े वाहन गुजरते हैं. शायद ही कोई ऐसा दिन होगा, जब एनएच 31 पर दुर्घटना नहीं हो. स्थिति इतनी भयानक हो चुकी है कि एनएच पर लोगों की मौत की सूचना भी आम बात हो गयी है. गलती चाहे वाहन चालक की हो या पैदल यात्री की, लेकिन परिवार की खुशियां तो लुट जाती हैं. कब मौत से सामना हो जाये, कहना मुश्किलस्थिति ऐसी है कि घर से निकलने पर परिवार वाले सुरक्षित घर लौटने की दुआ करते रहते हैं. कब, कहां मौत का सामना हो जाये, कहना मुश्किल है. बीते दिनों के आंकड़े खौफनाक हैं. हाइ स्पीड की बाइक के साथ चकाचक सड़क पर युवा वाहन पर से अपना नियंत्रण खो बैठते हैं.पल भर में लुट जाती है परिवार की खुशियां जिले में शायद ही कोई ऐसा दिन होगा की सड़क दुर्घटना किसी की मौत या घायल होने की घटना नहीं होती हो. आज इस गांव तो कल उस गांव. सड़क दुर्घटनाओं में अपने को खो देने के बाद परिवार सहित पूरा गांव गम के साये में डूब जाता है. परिजनों के चीत्कार से हर किसी की आंखें नम हो जाती है. घटना के बाद लोगों के घरों में कई दिनों तक चूल्हे नहीं जलते. पर, रोज की भांति लोग थोड़े देर के लिए आंसू बहा कर अपने को संभाल कर दिनचर्या में लग जाते हैं. हम भी कम दोषी नहीं सड़क दुर्घटना के कई कारण हैं, लेकिन सबसे बड़ा करण जल्दबाजी है. वाहन चालक जल्दबाजी के कारण अपने वाहन को तेज गति तो दे देते हैं, लेकिन वाहन पर अपना नियंत्रण खो बैठते हैं. नाबालिगों द्वारा भी सड़क पर वाहन चलाना दुर्घटना को आमंत्रण देने जैसा है. वहीं शराब पीकर गाड़ी चलाना भी दुर्घटना का मुख्य कारण माना जाता है. कोहरे से रहें सावधानठंड ने दस्तक दे दी है. शनिवार की सुबह ठंड का पहला कोहरा देखा गया. कोहरा बढ़ने के साथ ही दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी की आशंका जतायी जा रही है. बीते वर्ष भी ठंड में एनएच ने दर्जनों लोगों को अपने आगोश में ले लिया था. घना कोहरा तथा ठंड में कांपते हाथ दुर्घटनाओं को आमंत्रण देने में अहम भूमिका निभाते हैं. वाहन चालक को थोड़ी नहीं ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्कता है. इससे ऐसे दर्दनाक हादसाें से बचा जा सकता है. पुलिस-प्रशासन के प्रयास नाकाफी सड़क दुर्घटना रोकने सहित यातायात के नियम का पालन करवाने में पुलिस प्रशासन के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं. सड़क हादसे में मौत के बाद हंगामा, जाम, आश्वासन सहित एलान के बीच उसकी चिंता कोई नहीं करता, जिन्होंने अपना इकलौता बेटा, भाई, अपना पति खोया. उनका क्या ? क्या मुआवजे भर से उनका जख्म भर जायेगा ? क्या मुआवजा देने बाद सड़क दुर्घटनाएं बंद हो जायेंगी. अगर ऐसा नहीं है तो जिला प्रशासन से लेकर राजनीति दल के नेताओं को इसके लिए पहल करने की आवश्यकता है, जिससे सड़क हादसे को कम से कम किया जा सके. कहते हैं सामाजिक कार्यकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता नागेंद्र सिंह त्यागी, सुभाष चंद्र जोशी, मनीष कुमार सिंह आदि लोगों ने एनएच के किनारे बने थाना के समीप पुलिस चेक पोस्ट बनाने की मांग की है. इन लोगों ने बताया कि अगर एनएच के बीचों बीच डिवाइडर बना दिया जाये, तो भी सड़क दुर्घटनाओं में कमी आयेगी. एनएच के किनारे बसे गांव के समीप स्पीड नियंत्रण, घनी आबादी, स्कूल आदि का संकेत देना भी दुर्घटनाओं पर लगाम लगा सकता है. परिवहन विभाग द्वारा भी लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है. लगातार वाहन चेकिंग से भी नाबालिग द्वारा वाहन चलाने, बिना लाइसेंस व बिना हेलमेट के वाहन चलाने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है. इससे दुर्घटनाओं पर कुछ हद तक अंकुश लगेगा.