नई दुल्हन भी पैदल पहुंच रही ससुराल
नई दुल्हन भी पैदल पहुंच रही ससुराल फोटो है 16, 17 में कैप्सन- नदी पार करने पैदल जाती नई दुल्हन, सामान ले जाते परिजन डुमरी पूल टूटने से परंपरा पर चोट, दुल्हन भी पांव पैदल पहुंच रही ससुराल बीमार हुए तो भगवान का ही सहारा, अस्पताल तक पहुंचने से पहले ही टूट जा रहा दम […]
नई दुल्हन भी पैदल पहुंच रही ससुराल फोटो है 16, 17 में कैप्सन- नदी पार करने पैदल जाती नई दुल्हन, सामान ले जाते परिजन डुमरी पूल टूटने से परंपरा पर चोट, दुल्हन भी पांव पैदल पहुंच रही ससुराल बीमार हुए तो भगवान का ही सहारा, अस्पताल तक पहुंचने से पहले ही टूट जा रहा दम डुमरी पुल नहीं बनने से जनजीवन अस्त व्यस्त, लोगों में बढ़ रहा आक्रोश —————-कोसी नदी किनारे बसे गांवों में विकास की बातें बेईमानी साबित हो रही है. आवागमन की सुविधा के अभाव में नई दुल्हन को भी पैदल ससुराल पहुंचना पड़ रहा है. ऐसी कई समस्याओं से जूझ रहे लोगों को नई सरकार से उम्मीद हैं कि अब समस्याओं से निजात मिलेगा. ——————बेलदौर . विकास की बड़े बड़े वादों के बीच बेलदौर में आज भी नई दुल्हन को भी पैदल ही ससुराल जाने की मजबूरी बनी हुई है. कोसी किनारे बसे गांवों में रहने वाले लोगों की मजबूरी विकास के दावे की पोल खोलने के लिये काफी है. हम बात कर रहे हैं डुमरी पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद बेलदौर सहित कोसी किनारे बसे गांवों में समस्याओं से जूझ रहे लोगों की. यहां नई दुल्हन को पैदल ही ससुराल पहुंचना होता है. कारण आवागमन की सुविधा अब तक उपलब्ध नहीं है. ——————विकास का सच देख कांप रहे लोग शादी के नये जोड़े में दूल्हा-दुल्हन व बारात को जब नदी पार करने के लिऐ पांव पैदल चलकर जान संकट मे डालकर नाव की सवारी करनी पडती है तो मुंह से सिर्फ यही निकलता है कि क्या यही है विकास. रंजीत की नई नवेली दुल्हन का भी सपना था कि शादी के बाद पहली बार ससुराल की दहलीज पर कदम रखेगी तो किसी बड़े वाहन से अपने मायके से ससुराल का सफर पूरा करेगी. लेकिन सारे सपने तब चकनाचूर हो गये जब उसे पैदल चल कर ससुराल पहुंचना पड़ा. सरकार की के उदासीनता के कारण वर्षों से क्षतिग्रस्त डुमरी पुल ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. नाव पार करने के दौरान बदहाली पर आंसू बहाते पसराहा कैरिया के रंजीत कुमार ने बताया कि बुधवार की रात तेलिहार गांव में शादी हुई. परेशानियों को देखते हुए बारात ने जाने से इंकार कर दिया. शादी रस्म पूरा करने के बाद जब दुल्हन कोसी नदी घाट पर पहुंची तो उसके मुंह से यही निकला कि अब कैसे जायेंगे. दुल्हा ने कहा नाव की सवारी है ना. कब बदलेगी कोसी की तकदीर समस्याओं के बीच लोग रोजमर्रा का काम निपटाने के लिये पैदल चलने के बाद नाव की सवारी करने की मजबूरी बनी हुई है. लोगों का कहना है कि आखिर सरकार की नजर इस इलाके की बदहाली पर क्यों नहीं पड़ रही है. दुनिया कहां से कहां पहुंच गयी लेकिन कोसी नदी किनारे बसे गांवों के लोगों के लिये विकास के सारे वादे खोखले ही साबित हुए हैं.