कवायद: अगुवानी-सुलतानगंज फोरलेन पुल के अिधग्रहण प्रक्रिया में आयी तेजी, कागजात दिखाने आये दावेदार
परबत्ता: प्रखंड मुख्यालय में शुक्रवार को अंचल निरीक्षक के कार्यालय कक्ष में सीओ के द्वारा भेजे गये नोटिस के परिणामस्वरुप लगभग आठ भू धारियों ने अपने दावे के समर्थन में भूमि स्वामित्व से संबंधित कागजात दिखाने के लिए अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. हालांकि अधिकतर भू धारियों ने केवल भूमि का लगान रसीद तथा कुछ भूधारियों […]
परबत्ता: प्रखंड मुख्यालय में शुक्रवार को अंचल निरीक्षक के कार्यालय कक्ष में सीओ के द्वारा भेजे गये नोटिस के परिणामस्वरुप लगभग आठ भू धारियों ने अपने दावे के समर्थन में भूमि स्वामित्व से संबंधित कागजात दिखाने के लिए अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. हालांकि अधिकतर भू धारियों ने केवल भूमि का लगान रसीद तथा कुछ भूधारियों ने वंशावली प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया.
अधिकतर दावेदार भूधारियों ने सभी आवश्यक दास्तावेज जमा कराने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा. बीते सप्ताह अगुवानी सुलतानगंज के बीच बनाये जा रहे फोर लेन पुल के निर्माण में भूमि अधिग्रहण नहीं होने के कारण अवरोध उत्पन्न हो गया था. कुछ किसानों ने पुल निर्माण स्थल पर निजी जमीन बताते हुए निर्माण कार्य का विरोध कर दिया था.
इसके बाद गंगा पुल के निर्माण में भूमि अधिग्रहण से संबंधित बाधा को दूर करने की दिशा में अंचल प्रशासन द्वारा पहल कर सभी दावेदारों तथा संभावित भूधारियों को नोटिस देकर अपने दावे के समर्थन में भूमि से संबंधित कागजात प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था. इसके तहत अंचल अधिकारी परबत्ता ने मौजा तेमथा पटपर के खेसरा संख्या 554,555, 556, 557, 559 तथा मौजा तेमथा करारी का खेसरा संख्या 1009, 1018,1019,1022 के भू धारी अमोल चन्द्र कुमार, सुमन हजारी, सत्यदेव नारायण मिश्र, प्रिंस पप्पू, शिवनंदन हजारी, प्रभाष मिश्र, राजेन्द्र मिश्र, इन्द्रदेव मिश्र, विष्णुदेव मिश्र, ललन मिश्र, विपिन बिहारी, हरिशंकर मिश्र, सुधेश हजारी, प्रमोद हजारी, रंजीत हजारी, प्रवीण हजारी, ब्रजेश हजारी, अनिल चौधरी, अशोक चौधरी, उपेन्द्र चौधरी, विभा देवी, वासुदेव चौधरी, विभाष चौधरी, राजीव चौधरी, अभिनंदन चौधरी को नोटिस किया गया था. नोटिस के अनुसार वर्णित खेसरा की जमीन को बिहार राज्य पुल निर्माण निगम द्वारा अधिग्रहण किया जा रहा है. वर्णित भूमि से संबंधित कागजात को 11 दिसंबर को अंचल निरीक्षक परबत्ता के कार्यालय में उपलब्ध कराना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था.
सुस्त है राजस्व विभाग
लोगों का कहना है कि पुल निर्माण के कार्य में प्रशासन का सुस्त रवैया आड़े आ रहा है. मुख्यमंत्री के द्वारा शिलान्यास किये जाने के लगभग दो वर्ष बीत जाने के बाद भी भूमि अधिग्रहण की प्रारंभिक प्रक्रिया ही चल रही है. पुल निर्माण की बाधाओं को दूर करने तथा विभिन्न विभागों के बीच समन्वय को सुगम करने के लिए बिहार राज्य पुल निर्माण निगम ने विशेष कार्य प्रमंडल बनाकर महेशखूंट में कार्यालय दिया है. भूमि से संबंधित बाधाओं को दूर करने के लिए पुल निगम के विशेष कार्य प्रमंडल खगड़िया के वरीय परियोजना अभियंता ने अब तक आधा दर्जन बार पत्राचार किया है. इसमें अंचल कार्यालय को भूमि अर्जन के लिए 22 कॉलम वाले प्रपत्र में विवरणी भेजने का आग्रह किया गया था, जो अब तक अनुपलब्ध है.
महत्वाकांक्षी है यह परियोजना
बिहार सरकार की इस परियोजना को काफी महत्वाकांक्षी माना जाता है. इस परियोजना की लागत का आरंभिक मूल्यांकन 1710.77 करोड़ किया गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 फरवरी, 2014 को परबत्ता के एमडी कॉलेज मैदान में इसका शिलान्यास किया था. 9 मार्च, 2015 को मुरारका कॉलेज सुलतानगंज के मैदान से पुल निर्माण का कार्यारम्भ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था.
उत्तर से दक्षिण बिहार का फासला होगा कम
इस पुल के निर्माण से उत्तर तथा दक्षिण बिहार के बीच का फासला काफी कम हो जायेगा. इसके अलावा प्रति वर्ष श्रावणी मेला में देवघर जाने वाले लाखों कांवरियों को इससे फायदा होगा. इस पुल तथा सड़क के निर्माण से एनएच 31 तथा एनएच 80 आपस में जुड़ जायेंगे.
क्या है मामला
दरअसल विगत सप्ताह कुछ किसानों ने बिना भूमि का अधिग्रहण किये तथा बिना मुआवजा लिये अपनी जमीन पर पुल निर्माण के कार्य करने से मना कर दिया था. पुल निर्माण के लिए चयनित कंपनी एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन के अधिकारियों तथा इंजीनियरों ने उस भूमि का विवरण राजस्व विभाग को दिया, जिसपर उन्हें कार्य करना था. इस जमीन को किसानों ने अपना बताते हुए कार्य करने से उन्हें रोक दिया था. प्रभात खबर में समाचार प्रकाशित होने के बाद अंचल प्रशासन ने संज्ञान लेते हुए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करते हुए सभी संभावित भू धारियों को नोटिस जारी किया. हालांकि पुल निर्माण का काम कभी भी पूर्ण रूप से बाधित नहीं हुआ था, लेकिन पीलर संख्या 30 पर काम करने गये एसपी सिंगला के कर्मियों को कार्य करने से रोका गया था.