तीन नर्स सहित आधा दर्जन कर्मियों पर गिरी गाज

तीन नर्स सहित आधा दर्जन कर्मियों पर गिरी गाज प्रसव कार्य में लापरवाही की शिकायत के बाद सिविल सर्जन ने अपनाया कड़ा रुख आरोप के घेरे में तीन नर्स, एक एएनएम सहित अन्य कर्मियों ने पूछा स्पष्टीकरण अस्पताल उपाधीक्षक को प्रसव कार्य में कुशल कर्मियों की ड्यूटी लगाने का निर्देश ——–प्रतिनिधि, खगड़ियाप्रसव कार्य में लापरवाही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2016 10:24 PM

तीन नर्स सहित आधा दर्जन कर्मियों पर गिरी गाज प्रसव कार्य में लापरवाही की शिकायत के बाद सिविल सर्जन ने अपनाया कड़ा रुख आरोप के घेरे में तीन नर्स, एक एएनएम सहित अन्य कर्मियों ने पूछा स्पष्टीकरण अस्पताल उपाधीक्षक को प्रसव कार्य में कुशल कर्मियों की ड्यूटी लगाने का निर्देश ——–प्रतिनिधि, खगड़ियाप्रसव कार्य में लापरवाही बरतना सदर अस्पताल में कार्यरत आधा दर्जन स्वास्थ्य कर्मियों को महंगा पड़ा है. सिविल सर्जन कार्यालय में कार्यरत चालक सदानंद सिंह की शिकायत पर सीएस रासबिहारी सिंह ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए प्रसव कक्ष में उस वक्त ड्यूटी पर तैनात ए ग्रेड नर्स किरण कुमारी, सरोजनी कुमारी, सुनीता कुमारी, एएनएम बैजन्ती कुमारी सहित अन्य कर्मियों से स्पष्टीकरण तलब किया है. सिविल सर्जन श्री सिंह ने इसे घोर लापरवाही मानते हुए सदर अस्पताल उपाधीक्षक को प्रसव कार्य में कुशल स्वास्थ्यकर्मियों की ड्यूटी लगाने का निर्देश दिया है. क्या है पूरा मामला बता दें कि 21 दिसंबर को सदानंद सिंह ने अपनी पुत्री को प्रसव के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया. यहां उसने बच्चे को भी जन्म दिया. पर, उस वक्त ड्यूटी पर तैनात नर्स सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मियों ने प्लेसेंटा को अंदर ही छोड़ दिया. इसके कारण प्रसूता की हालत काफी सीरियस हो गयी और उसे बेगूसराय में भरती करवाया गया. बेगूसराय में इलाज कर रहे चिकित्सक ने साफ तौर पर कहा कि अनुभवहीन नर्स द्वारा लापरवाह तरीके से डिलीवरी कराने के कारण प्रसूता की यह हालत हुई है. श्री सिंह ने इस तरह की लापरवाही बरतने वाले स्वास्थ्यकर्मियों पर कार्रवाई के साथ-साथ मुआवजा की भी मांग की है. अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सदर अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियाें के परिजनों के साथ यह हाल होता है, तो दूर दराज के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को किन कष्टों से गुजरना होता होगा?कोट—————सीएस कार्यालय में कार्यरत रहने के बाद जब मेरी पुत्री के प्रसव में इस तरह की लापरवाही बरती गयी, तो सदर अस्पताल में आमलोगों का इलाज किस तरह होता होगा यह अंदाजा लगाया जा सकता है. इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है, ताकि लोगों का सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति भरोसा बना रहे. सदानंद सिंह, पीड़ित प्रसूता के पिता

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