75 में से सिर्फ 57 को मिला ऋण

खगड़िया : शिक्षित बेरोजगार युवकों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए सरकार द्वारा जिला उद्योग केंद्र का निर्माण किया गया था, लेकिन बैंक अधिकारी व कर्मी के मनमानी के कारण सरकार के द्वारा दी गयी लक्ष्य को पूरा करने में बैंक 40 प्रतिशत वर्ष 2016 में पीछे हो गया. जिस उद्योग केंद्र को वर्ष 2015-16 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 6, 2016 5:18 AM

खगड़िया : शिक्षित बेरोजगार युवकों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए सरकार द्वारा जिला उद्योग केंद्र का निर्माण किया गया था, लेकिन बैंक अधिकारी व कर्मी के मनमानी के कारण सरकार के द्वारा दी गयी लक्ष्य को पूरा करने में बैंक 40 प्रतिशत वर्ष 2016 में पीछे हो गया. जिस उद्योग केंद्र को वर्ष 2015-16 में 75 प्रतिशत बेरोजगार युवकों को ऋण वितरण करना था. जिसमें 237 प्राप्त आवेदन में से मात्र 57 आवेदन को बैंक द्वारा स्वीकृति दी गयी. 57 बेरोजगार युवकों के बीच 5 करोड़ 86 लाख 60 हजार रुपया जिला उद्योग केंद्र, केवीआइसी आयोग व केवीआइसी बोर्ड के द्वारा सब्सिडी दिया गया.

कितना था लक्ष्य : बिहार व केंद्र सरकार के संयुक्त रूप से जिले के 75 बेरोजगार युवकों को ऋण देकर स्वरोजगार से जोड़ने का लक्ष्य दिया गया था. जिसमें मात्र 57 बेरोजगार ही लाभान्वित हो सके. नतीजतन दर्जनों बेरोजगार युवक आज भी ऋण पाने के लिए उद्योग केंद्र व संबंधित बैंक का चक्कर लगाने को मजबूर है.
बैंक ने दिया ऋण : जिले के 18 बैंकों को ऋण देने के लिए जिला प्रशासन द्वारा चयन किया गया था. जिसमें से भारतीय स्टेट बैक, सेंट्रल बैंक आफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, इलाहाबाद बैंक, केनरा बैंक, यूको बैंक, बैंक आॅफ बड़ौदा, यूनियन बैंक आॅफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनाइटेड बैंक, बिहार ग्रामीण बैंक, आइसीआइसीआइ, एवं डीएफसी, आइडीबीआइ, विजया बैंक को ऋण वितरण करना था.
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन के अनुरूप शिक्षित बेरोजगारों को नहीं मिला ऋण
18 बैंक को दिया गया था ऋण वितरण का दायित्व
सबसे ज्यादा एसबीआइ ने किया ऋण वितरण
इन बैंकों ने नहीं दिया ऋण
जिले के चार बैंकों द्वारा बेरोजगारों को ऋण नहीं दिया गया. जिसमें सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आइसीआइसीआइ बैंक व विजया बैंक शामिल हैं.
कहते हैं महाप्रबंधक
जिला उद्योग केंद्र के प्रभारी महाप्रबंधक रामशरण राम ने बताया कि बेरोजगार युवकों द्वारा 237 आवेदन प्राप्त किया गया था, जिसकी छानबीन के बाद अग्रसारित करते हुए संबंधित बैंक को भेजा गया, लेकिन बैंक के लापरवाही के कारण मात्र 57 बेरोजगारों को ऋण मिल सका.

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