चौथम प्रखंड के मामले में हो रही है कार्रवाई
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बेगूसराय डीडीसी पर आरोप पत्र क गठित
चौथम प्रखंड के मामले में हो रही है कार्रवाई बीडीओ रहते आरोपी मुखिया पर नहीं की थी एफआइआर खगड़िया : बेगूसराय जिले के डीडीसी कंचन कपूर के विरुद्ध राज्य स्तर पर लिखा गया है. डीएम जय सिंह ने इनके विरुद्ध प्रपत्र क गठित करने की अनुशंसा ग्रामीण विकास विभाग में की है. मिली जानकारी के […]
बीडीओ रहते आरोपी मुखिया पर नहीं की थी एफआइआर
खगड़िया : बेगूसराय जिले के डीडीसी कंचन कपूर के विरुद्ध राज्य स्तर पर लिखा गया है. डीएम जय सिंह ने इनके विरुद्ध प्रपत्र क गठित करने की अनुशंसा ग्रामीण विकास विभाग में की है. मिली जानकारी के मुताबिक लगभग 8 वर्ष पुराने एक मामले में बेगूसराय जिले के डीडीसी सह तत्कालीन बीडीओ चौथम श्री कपूर के विरुद्ध विभाग को लिखा गया है.
विभागीय सूत्र के मुताबिक डीएम श्री सिंह ने पत्रांक 855 दिनांक 9 जुलाई 2016 को ग्रामीण विकास विभाग के विरोध कार्य पदाधिकारी को पत्र लिख कर उक्त अधिकारी के विरुद्ध आरोप पत्र गठित करने की अनुशंसा की है बताया जाता है कि इंदिरा आवास योजना को गबन के आरोपी एक मुखिया के विरुद्ध डीएम के आरोप के बावजूद इन्होंने प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी थी.
वर्ष 2008 का है मामला
विभागीय जानकारी के मुताबिक चौथम के नीरपूर पंचायत में इंदिरा आवास योजना में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरती गयी थी. तत्कालीन डीआरडीए निदेशक एस के पाठक के जांच रिपोर्ट में अनियमितता की बाते सामने आने के बाद आरोपी सभी लोगो के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिये गये थे. डीएम के आदेश पर तत्कालीन बीडीओ राकेश रंजन, पर्यवेक्षक लक्ष्मी नारायण दास, पंचायत सचिव के विरुद्ध आरोप पत्र गठित किये गये थे.
वहीं इस अनियमितता में पंचायत के तत्कालीन मुखिया प्रमोदा देवी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश जारी किया गया था. मिली जानकारी के मुताबिक 8 जुलाई 2008 को पहली बार तथा 28 अगस्त 2008 को जिला स्तर से चौथम बीडीओ को दूसरी बार आदेश दिया गया था. इस अवधी के दौरान बीडीओ के पद पर कंचन कपूर ( डीडीसी बेगूसराय ) ही पदस्थापित थे. लेकिन इनके द्वारा आरोपी उक्त मुखिया के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी गयी.
राज्य व जिला स्तर से बार बार दिये गए आदेश के बाद आखिरकार आरोपी मुखिया के विरुद्ध 19 अगस्त 2011 को चौथम थाना में कांड संख्या 85/11 दर्ज तो करा दी गयी. लेकिन डीएम/डीडीसी के आदेश के बावजूद मुखिया पर प्राथमिकी दर्ज नहीं कराये जाने को लेकर बीडीओ की इस लापरवाही को जिला एवं राज्य स्तर पर गंभीरता से लिया गया.
विभागीय जानकारी के मुताबिक ग्रामीण विभाग पटना ने डीएम को पत्र लिख कर, उस बीडीओ का नाम राज्य स्तर पर भेजने को कहा था. जिनके द्वारा आरोपी मुखिया पर प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी गयी थी. विभागीय सूत्र की माने तो जिला स्तर से कंचन कपूर के साथ साथ मो जियाउल्लाह तथा फतैह फैयाज का भी नाम राज्य स्तर पर भेजा गया था.
क्योंकि 8जूलाई 2007 से 9 नवंबर के बीच यही तीनों चौथम प्रखंड में बीडीओ के पद पर पदस्थापित थे. लेकिन ग्रामीण विकास विभाग ने एक बार फिर डीएम को पत्र लिख कर इनमें से दोनो बीडीओ के संबंध में प्रतिवेदन भेजने को कहा था. इन पर जिला स्तर से हुई समीक्षा में यह बातें सामने आयी कि तत्कालीन बीडीओ श्री कपूर के कार्यकाल के दौरान ही जिला स्तर से मुखिया पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए दो बार पत्र लिखा गया था लेकिन इन्होंने वरीय अधिकारी के आदेश की अवहेलना करते हुए भ्रष्टाचार में लिप्त मुखिया के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई. जिसके बाद इनपर प्रपत्र क गठित करने का प्रस्ताव विभाग को भेजा गया है.
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