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सचिव ने डीएम को लिखा पत्र

चौकसी. डुमरी घाट का अब होगा डाक, घाट सैरात घोषित राज्य सरकार ने कोसी बागमती नदी के संगम पर स्थित क्षतिग्रस्त पुल के समीप बने नाव पुल पर हो रहे परिचालन को अस्थाई सैरात घोषित कर दिया है. अब बागमती नदी में अब निजी नाव का परिचालन कराना आसान नहीं होगा. खगड़िया : डुमरी घाट […]

चौकसी. डुमरी घाट का अब होगा डाक, घाट सैरात घोषित

राज्य सरकार ने कोसी बागमती नदी के संगम पर स्थित क्षतिग्रस्त पुल के समीप बने नाव पुल पर हो रहे परिचालन को अस्थाई सैरात घोषित कर दिया है. अब बागमती नदी में अब निजी नाव का परिचालन कराना आसान नहीं होगा.
खगड़िया : डुमरी घाट स्थित कोसी बागमती नदी में अब निजी नाव का परिचालन कराना आसान नहीं होगा. क्योंगि इस घाट का अब डाक होगा. जिस समिति को सरकारी स्तर पर जिम्मेवारी मिलेगी. वही समिति इस घाट पर नाव का परिचालन करा सकते हैं. राज्य सरकार ने कोसी बागमती नदी के संगम पर स्थित क्षतिग्रस्त पुल के समीप बने नाव पुल पर हो रहे परिचालन को अस्थाई सैरात घोषित कर दिया है.
यानी जिस समिति को डाक मिलेगा वहीं डुमरी घाट पर नौका का परिचालन अथवा नाव पुल के जरीये आवागमन की व्यवस्था करेंगे. सूत्र के मुताबिक डुमरी घाट पर बने नाव पुल को सैरात घोषित करने के लिए जिला स्तर से राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को पत्र संबंध में विभाग को पत्र लिखा गया था. जिस पर विभाग ने मोहर लगा दी है. इस संबंध में विभाग के संयुक्त सचिव विनोद कुमार झा ने डीएम को पत्र लिखा है.
संयुक्त सचिव ने डुमरी घाट को अस्थाई सैरात घोषित किये जाने की जानकारी पत्र लिखकर दी है. उल्लेखनीय है कि बीपी मंडल के क्षतिग्रस्त होने के बाद स्टील पुल का निर्माण कराया गया था. लेकिन कोसी की धार में यह पुल भी बह गया. जिसके बाद नौका पुल का निर्माण कराया गया. इस पुल का निर्माण स्थानीय लोगों के द्वारा कराया गया. हालांकि कोसी के जलस्तर में वृद्धि के कारण सुरक्षा के दृष्टिकोण से इस पुल पर परिचालन बंद करा दिया गया है. लेकिन नौका पुल से हो रही आमदनी सीधे इस पुल से संचालक के जेब में जाती थी. तथा लोगों से मनमाने किराये वसूली की जाती थी
. लेकिन राज्य स्तर से इस पुल को अस्थाई सैरात घोषित किये जाने से अब इसकी डाक होगी. तथा डाक की राशि सरकारी खजाने में जोयगी. बेलदौर प्रतिनिधि के अनुसार. कोसी के लाइफ लाइन बीपी मंडल सेतु के क्षतिग्रस्त होने के बाद प्रखंड समेत कोसी ईलाके का विकास एक दशक पीछे चला गया है. 50 लाख से अधिक की आवादी को रोजमर्रा के कार्य के लिए कठिनाईयों से जुझते हुए वैलक्लपिक मार्ग का सहारा लेकर ही सभी आवश्यक कार्य निपटाने की विवशता बीते पांच वर्षों से बनी हुई है. इसके मरम्मती कार्य के लिए स्वीकृत कार्य एजेंसी के लचर रवैये के कारण कार्यादेश मिलने के दो वर्ष गुजर जाने के बाद भी मरम्मति कार्य पूरा नहीं होने से जिले समेत राजधानी आने जाने के लिए डुमरी घाट समीप नाव से ही नदी पार करने की विवशता बनी हुई है.
कब टूटा पुल
29 अगस्त 2010 को डुमरी पुल के तीन पाया में बढ़ा गैप
उसके बाद डुमरी पुल पर वाहनों का परिचालन किया गया बंद
2011 में बनाया गया वैकल्पिक स्टील पाईल ब्रिज
19 जुलाई 2014 को पानी में बहा स्टील पाईल ब्रिज
कैसा होगा मरममती कार्य के बाद डुमरी पुल
कार्य एजेंसी के प्रोजेक्ट मैनेजर केके रंजन ने जानकारी दी की क्षतिग्रस्त 8 पाया के बीच दो नवनिर्मित पाया रहेगा. क्षतिग्रस्त भाग से पहले पाये के बीच 75 मीटर, दोनों पाया के बीच की दूरी 140 मीटर एवं दूसरा पाया भी दूसरे छोड़ से 75 मीटर की दूरी पर रहेगा ,इसके उपर तीन स्पैन से लोहे के केबुल के सहारे पुल के क्षतिग्रस्त भागों को जोड़ दिया जायेगा. पटना के चिड़ैयां टाड़ पुल के तकनीक पर एक्सटा डोज केबुल ब्रीज तकनीक से पुल का मरममती कार्य पूरा किया जायेगा.

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