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माता बन कर ही मिलता कन्या विवाह का लाभ

आवंटन से अधिक आवेदन होने से बढ़ी मुश्किलें खगड़िया : सरकार की लोक कल्यणकारी योजनाओं में ऐसी ही एक योजना मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना है. इस योजना में 18 वर्ष से अधिक आयु की कन्या के विवाह के पश्चात कन्या को 5 हजार की राशि का चेक दिया जाता है. लेकिन आलम यह है कि […]

आवंटन से अधिक आवेदन होने से बढ़ी मुश्किलें

खगड़िया : सरकार की लोक कल्यणकारी योजनाओं में ऐसी ही एक योजना मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना है. इस योजना में 18 वर्ष से अधिक आयु की कन्या के विवाह के पश्चात कन्या को 5 हजार की राशि का चेक दिया जाता है. लेकिन आलम यह है कि इस राशि के मिलने में हफ्तों या महीनों नहीं, बल्कि वर्षों लग जाते हैं. ऐसे में इन कन्याओं में से अधिकांश मां बनकर सरकार की एक अन्य योजना जननी बाल सुरक्षा योजना का लाभ ले चुकी होती हैं. कुछ प्रखंडों में तो यह विवाह के पांच वर्ष बाद मिलते देखा गया है. प्रखंडों में उस वक्त अजीब लगता है,जब महिलायें अपनी गोद में बच्चा लेकर अपने विवाह के समय का लाभ लेने आती हैं.
कई प्रकार की हैं कठिनाई : कन्या विवाह योजना के राशि का चेक मिलने में हो रही देरी की बाबत कई प्रकार की बातें निकलकर सामने आयी है. कहा जाता है कि इस योजना में मांग के अनुरुप राशि का आवंटन नहीं हो रहा है. इसलिये इसमें देरी भी होती है और भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते हैं. राज्य सरकार के द्वारा वर्ष 2013 में लोक सेवाओं का अधिकार कानून के तहत इस सेवा को भी निर्धारित अवधि में निष्पादित करने के लिये चयनित किया गया था. लेकिन इससे भी आवेदकों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. इस अधिकार के तहत खगड़िया में 2500 तथा परबत्ता में 2060 आवेदन दर्ज कराये गये हैं
कई बाधाएं हैं इस राह में : कन्या विवाह योजना की राशि का चेक प्राप्त करने के लिये लाभुकों को कई प्रकार की बाधाओं को पार करना पड़ता है. इसमें से एक बाधा यह है कि आम तौर पर शादी के बाद कन्या के नाम में परिवर्तन हो जाता है. जबकि उसे प्रशासन द्वारा इस योजना में राशि का चेक पूर्व के नाम से दिया जाता है. इस चेक को भुनाने में आवेदिकाओं को नाको चने चबाने पड़ते है. वहीं दूसरी समस्या यह आती है कि अमूमन शादी के बाद कन्याओं का नाम मायके की मतदाता सूची से काट दिया जाता है.
आधी राशि रास्ते में होता है खर्च :
कहा जाता है कि इस योजना की राशि का चेक प्राप्त करने में आधी राशि रास्ते में ही खर्च हो जाती है. इसमें आवेदन करने के क्रम में विवाह निबंधन प्रमाण पत्र, दोनों पक्षों के द्वारा किया गया शपथ पत्र आदि संलग्न करना होता है. इन सब के बाद भी प्रखंड स्तर से आवेदनों के अस्वीकृत होने के डर से आवेदकों को कार्यालयों में कुछ उपर से देना पड़ता है. आवेदन की अस्वीकृति का भय दिखाकर इस लेन देन को संचालित किया जाता है. कई बार यह आरोप भी लगे हैं कि उपरी राशि नहीं देने पर कार्यालय कर्मियों के द्वारा आवेदन पत्र में से संलग्नकों को हटाकर अवैध तरीके से आवेदनों को अस्वीकृत कर दिया जाता है.
क्या था योजना का लक्ष्य
इस योजना के लागू करने में सरकार का लक्ष्य बहुआयामी था. इसमें आवेदन के साथ विवाह के दिन लड़का व लड़की के कानूनी तौर पर बालिग रहने, दहेज के लेन देन के बिना विवाह होने का शपथ पत्र के साथ साथ विवाह निबंधन पत्र संलग्न करने का प्रावधान किया गया है. इन प्रावधानों के माध्यम से बाल विवाह तथा दहेज प्रथा पर रोक के साथ साथ किसी एक पक्ष के द्वारा एकतरफा विवाह विच्छेद से कानूनी संरक्षण का उपाय किया गया था.
कहती हैं आवेदिका
इस योजना के तहत खगड़िया प्रखंड की आवेदिका तथा पिछले दो वर्षों से इस लाभ के लिये प्रखंड का चक्कर काट रही राजकुमारी देवी, कविता कुमारी, चांदनी कुमारी आदि ने बताया कि उनकी शादी को हुए दो वर्ष हो गये. वर्ष 2014 में ही उन्होंने लोक सेवाओं का अधिकार के तहत आवेदन दिया था.लेकिन राशि अभी तक नहीं मिली है. परबत्ता प्रखंड में भी दो वर्ष पूर्व आवेदन दे चुके आवेदिकाओं को अब तक चेक नहीं मिल पाया है.

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