लगान चोरी करनेवालों पर विभाग ने कसा शिकंजा

कृषि योग्य जमीन का बगैर संपरिवर्तन कराये गैर कृषि कार्य करने से सरकारी राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है. खगड़िया : लगान(कर) चोरी करने वालों पर विभाग ने शिकंजा कसते हुए सभी जिले के डीएम को पत्र लिख कर कृषि योग्य भूमि का स्वरूप बदल कर इस पर व्यवसाय करने वालों को चिह्नित करने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 24, 2016 8:24 AM
कृषि योग्य जमीन का बगैर संपरिवर्तन कराये गैर कृषि कार्य करने से सरकारी राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है.
खगड़िया : लगान(कर) चोरी करने वालों पर विभाग ने शिकंजा कसते हुए सभी जिले के डीएम को पत्र लिख कर कृषि योग्य भूमि का स्वरूप बदल कर इस पर व्यवसाय करने वालों को चिह्नित करने तथा व्यावसायिक भूमि का सम्परिवर्तन करने को कहा है. इस संबंध में विभाग के संयुक्त सचिव विनोद कुमार झा ने डीएम को पत्र लिखा है. मिली जानकारी के अनुसार राज्य स्तर पर वित्त मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में राजस्व वसूली बढ़ाने का लिये गये निर्णय के आलोक में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने कृषि योग्य जमीन का वगैर सम्परिवर्तन कराये उस पर व्यवसाय कर लगान चोरी करने वालों को चिह्नित कर उस जमीन का सम्परिवर्तन करने का निर्देश जारी किया है.
अधिनियम की उड़ रही हैं धज्जियां
कोई भी व्यक्ति कृषि योग्य भूमि का सम्परिवर्तन कराये उस जमीन पर व्यवसाय नहीं कर सकता है. इसके लिए राज्य स्तर से गैर कृषि सम्परिवर्तन अधिनियम लागू किया गया है. इस अधिनियम के तहत ग्रामीण क्षेत्र में पांच सौ वर्गफीट से अधिक कृषि योग्य जमीन पर अगर कोर्इ व्यक्ति व्यवसाय आरंभ करते हैं तो इसके लिए उस जमीन का स्वरूप बदलना होगा, यानी सम्परिवर्तन कराना होगा. लेकिन इस जिले की स्थिति यह है कि यहां धड़ल्ले से इस अधिनियम की धज्जियां उड़ाई जा रही है.
लग रहा है सरकार को चूना
कृषि योग्य जमीन का वगैर सम्परिवर्तन कराये गैर कृषि कार्य करने से सरकारी राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है. जानकार बताते हैं है कि व्यवसाय करने वाले व्यक्ति इसलिए कृषि योग्य जमीन का कारोबार हेतु सम्परिवर्तन नहीं कराते हैं, क्योंकि अगर वे ऐसा करते हैं तो उन्हें अच्छी खासी रकम सरकारी खजाने में जमा कराने होंगे. इसके अलावा उन्हें कृषि योग्य जमीन की तुलना में कई गुणा अधिक व्यवसायिक जमीन का सलाना लगान जमा करना होगा. कृषि योग्य जमीन का जैसे ही गैर कृषि कार्य हेतु स्वरुप बदलेगा वैसे ही भूस्वामी को जमीन के कुल मूल्य का 10 प्रतिशत राशि सरकारी खजाने में जमा करने पड़ेगें.
यह राशि वन टाइम जमा करना पड़ता है. इसके बाद उन्हें कृषि योग्य जमीन से कहीं अधिक इस जमीन का सलाना लगान जमा करना होता है. अब इस बात का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि कृषि योग्य जमीन पर व्यावसायिक कार्य होने से सरकार को कितना नुकसान और कारोबारी को कितना फायदा हो रहा है. अगर एक साथ सभी व्यावसायिक जमीन का सम्परिवर्तन हो जाय तो सरकारी खजाने में एक बड़ी राशि जमा हो जाएगी तथा सलाना लगान वसूली भी बढ़ जाएगी. हालांकि इस चोरी को रोकने के लिए राज्य स्तर पर इसे गंभीरता से लिया गया है तथा व्यावसायिक भूमि का सम्परिवर्तन कराने का आदेश जारी किया गया है.
हाट होंगे सैरात घोषित
सरकारी भूमि पर हाट या हटिया लगाने वालों की अवैध कमाई पर अब विराम लगेगी. क्योंकि ऐसी जमीन पर लगने वाली हटिया को सैरात घोषित करने का आदेश जारी किया गया है.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के संयुक्त सचिव विनोद कुमार झा ने राजस्व वसूली वृद्धि लाने के उद्देश्य से उक्त निर्देश जारी करते हुए डीएम को पत्र लिखा है. जानकार बताते हैं कि सरकारी जमीन पर लगने वाली हटिया को अगर सैरात घोषित किया जाता है तो सरकारी राजस्व में वृद्धि होगी. क्योंकि सैरात घोषित होने के बाद ऐसी हटिया की डाक होगी तथा इससे प्राप्त होने वाली राशि सीधे सरकारी खजाने में जाएगी.

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