बाट की जांच नहीं होने से उपभोक्ता हो रहे परेशान

खगड़िया : माप-तौल विभाग तो है, पर जिले में इसका काम कहीं नहीं दिखता. विभाग द्वारा कभी भी बाटों की जांच नहीं की जाती है. इससे जिलेवासियों को काफी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है. विभाग द्वारा जांच कर कम वजन होने पर बाटों में रांगा भर कर इसका वजन सही किया जाता है. इससे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2016 6:42 AM

खगड़िया : माप-तौल विभाग तो है, पर जिले में इसका काम कहीं नहीं दिखता. विभाग द्वारा कभी भी बाटों की जांच नहीं की जाती है. इससे जिलेवासियों को काफी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है.

विभाग द्वारा जांच कर कम वजन होने पर बाटों में रांगा भर कर इसका वजन सही किया जाता है. इससे दुकानदारों बांट अपडेट हो जाते हैं तथा ग्राहकों को सही वजन मिलता है.
अब भी उपयोग हो रहो हैं ईंट व पत्थर के बाट : माप-तौल विभाग की लापरवाही एवं निष्क्रियता के कारण आज भी कई दुकानदार प्रमाणित बाट की जगह ईंट एवं पत्थर का उपयोग सामान को तौलने में कर रहे हैं. कई सब्जी की दुकानों सहित अन्य जगहों पर इस तरह के बांटों का उपयोग किया जा रहा है.
इलेक्ट्रॉनिक बाटों से भी छेड़छाड़ : दुकानदारों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक बाटों में भी छेड़छाड़ की जाती है तथा उसे गलत ढंग से कम वजन पर सेट कर दिया जाता है.
कहां-कहां करनी है जांच : विभाग द्वारा पेट्रोल पंपों में लगे मीटर, कपड़ा दुकानों पर कपड़ा नापनेवाले मीटर, धर्मकांटा सहित जहां-जहां वजनवाला का काम होता है, वहां विभाग द्वारा जांच करना है.
जांच के लिए कटती है रसीद : विभाग में जांच के लिए दुकानदारों द्वारा रसीद तो कटायी जाती है पर जांच की सारी प्रक्रिया कार्यालय में ही बैठे-बैठे पूरी कर दी जाती है.
कहते हैं एसडीओ
एसडीओ शिव कुमार शैव ने बताया कि बाट जांच के लिए अधिकारी तैनात हैं. शिकायत मिलने पर संबंधित दुकानदारों के विरुद्ध कार्रवाही की जायेगी.
उपभोक्ताओं को हो रही आर्थिक क्षति
दुकानदारों की इस गतिविधि के कारण जिले के उपभोक्ताओं को काफी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है. दुकानदारों द्वारा एक किलो की जगह आठ सौ ग्राम से नौ-सौ ग्राम वजन ही दिया जा रहा है. उपभोक्ता बेवश हैं.

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