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धान की पैदावार पर लगा ग्रहण

गोगरी : हथिया नक्षत्र की बारिश से फसल पर लगे रोग धूल जाने की उम्मीद से किसानों के चेहरे पर आयी खुशी अब मायूसी में बदलने लगी है. धान के पौधों पर लगे रोग से प्रखंड के किसान खासे परेशान हैं. किसानों की मानें तो कई तरह के कीटनाशक व विटामिन युक्त जहर का प्रयोग […]

गोगरी : हथिया नक्षत्र की बारिश से फसल पर लगे रोग धूल जाने की उम्मीद से किसानों के चेहरे पर आयी खुशी अब मायूसी में बदलने लगी है. धान के पौधों पर लगे रोग से प्रखंड के किसान खासे परेशान हैं. किसानों की मानें तो कई तरह के कीटनाशक व विटामिन युक्त जहर का प्रयोग धान पर किया गया, लेकिन रोग नियंत्रित नहीं हो पा रहे हैं.कृषि वैज्ञानिक व कृषि विभाग के समन्वयक भी हैरान है.

बासुदेवपुर के किसान संजय कुमार,शिशवा के कार्तिक यादव,व राधेश्याम दुबे,ने बताया की हथिया नक्षत्र के पहले ही धान के पौधों पर रोग का प्रभाव दिखने लगा था.धान के डंठल सूखने लगे हैं. इसकी दवा का छिड़काव किया ही जा रहा था की कई खेतों में लगे पौधों के पत्ते पीला होकर सूखने लगते हैं. कहीं-कही पत्तों पर उजला-उजला चूना जैसा दिखता है. वैज्ञानिक व समन्वयक कभी जहर तो कभी विटामिन युक्त जहर छिड़काव की बात बताते हैं.
इन दवाओं के छिड़काव से भी कोई खास अंतर नहीं दिखता. पौधों पर रोग का यही हाल रहा तो पैदावार के लक्ष्य को ही चूना लग जाएगा. इन रोगों का प्रभाव सबसे अधिक कतरनी धान में देखा जा रहा है. हथिया नक्षत्र की बारिश भी काम नहीं आई. बुजुर्गो की बात पर सहमति जताते हुए विभागीय अधिकारी भी किसानों को संतोष दिलाते रहे की हथिया की बारिश में सब रोग धूल जाता है.
जोरदार बारिश के बावजूद रोग पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है. तल़्ख धूप में भी किसान फसल को बचाने हेतु दावा के छिड़काव में लगे हुए हैं. बीएओ राजेश कुमार ने बताया की मंसूरी व सुपर मोती पर रोग का प्रभाव कहीं-कहीं है. बीटी 52 यानि कतरनी प्रजातियों को रोग ज्यादा प्रभावित किया है. इसके लिए सरकारी स्तर पर कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है.

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