बैंकों में नहीं है दिव्यांग व वृद्ध के लिए अलग व्यवस्था

खगड़िया : नोटबंदी के फैसले की कोई आलोचना भले न करे, लेकिन यह सत्य है कि इसके लिए बैंकिंग प्रणाली को दुरुस्त कर लेना चाहिए था. यदि बैंकों को पहले से मजबूत कर लिया जाता तो शायद इतनी समस्या नहीं दिखती. किसी भी बैंक में वृद्ध, पेंशनर, स्त्री या दिव्यांग के लिए कोई अतिरिक्त सुविधा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 16, 2016 1:48 AM

खगड़िया : नोटबंदी के फैसले की कोई आलोचना भले न करे, लेकिन यह सत्य है कि इसके लिए बैंकिंग प्रणाली को दुरुस्त कर लेना चाहिए था. यदि बैंकों को पहले से मजबूत कर लिया जाता तो शायद इतनी समस्या नहीं दिखती. किसी भी बैंक में वृद्ध, पेंशनर, स्त्री या दिव्यांग के लिए कोई अतिरिक्त सुविधा नहीं है. कोई वृद्ध आखिर कितनी देर तक कतारबद्ध हो सकता है.

दिव्यांग भी पैसों के लिए सामान्य लोगों के साथ लाइन में खड़े रहने को मजबूर हैं. दिव्यांग असलम अहमद ने बताया कि चार दिन से वे पैसे के लिए आते हैं और खाली हाथ वापस लौट जाते हैं. उन्हें पैसे की दरकार है और नहीं मिल रहा है. पार्वती का भी यही हाल है. दोनों का कहना है कि हमारे लिए कोई अलग से व्यवस्था नहीं है. उन्होंने बताया कि दिव्यांग संतोष साव कतार में धक्कामुकी होने से गिर गया जिससे उसके पैर में जख्म हो गया. पेंशनर लक्ष्मण चौधरी ने कहा कि बैंक को सीनियर सिटीजन के लिए अलग से काउंटर खोलना चाहिए.

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