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अस्पताल बदहाल, मरीज हो रहे परेशान

उदासीनता. ड्यूटी छोड़ निजी प्रैक्टिस कर रहे सरकारी अस्पताल के अधिकांश चिकित्सक गोगरी रेफरल अस्पताल के प्रभारी डॉ अरविंद कुमार के निजी क्लिनिक में मंगलवार को एक मरीज की मौत के बाद बवाल भले ही थम गया हो लेकिन सरकारी अस्पतालों में ड्यूटी से गायब रह कर निजी प्रैक्टिस करने वाले भगोड़े चिकित्सकों पर कोई […]

उदासीनता. ड्यूटी छोड़ निजी प्रैक्टिस कर रहे सरकारी अस्पताल के अधिकांश चिकित्सक

गोगरी रेफरल अस्पताल के प्रभारी डॉ अरविंद कुमार के निजी क्लिनिक में मंगलवार को एक मरीज की मौत के बाद बवाल भले ही थम गया हो लेकिन सरकारी अस्पतालों में ड्यूटी से गायब रह कर निजी प्रैक्टिस करने वाले भगोड़े चिकित्सकों पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं होने से स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली कटघरे में है.
खगड़िया : गोगरी रेफरल अस्पताल प्रभारी डॉ अरविंद कुमार ड्यूटी की बजाय निजी क्लिनिक चलाने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं. पूरी पोल मंगलवार को उस वक्त खुल गयी जब उनके निजी क्लिनिक में भरती एक मरीज की मौत हो गयी. मरीज के परिजनों ने शव को निजी क्लिनिक के सामने रख कर बवाल काटा. इधर, रेफरल अस्पताल से महज सौ मीटर की दूरी पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अरविंद कुमार ड्यूटी छोड़ कर निजी प्रैक्टिस का कारोबार फल-फूल रहा है
लेकिन स्वास्थ्य विभाग को इसकी कानोंकान खबर तक नहीं लग पायी. ऐसे में विभाग की कार्यशैली कटघरे में है. इधर, सरकारी अस्पतालों के अधिकांश चिकित्सकों द्वारा ड्यूटी के गायब रहने का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. इससे पहले भी अलौली अस्पताल में
चिकित्सकों के गायब रहने का खुलासा कई बार हो चुका है. लेकिन कार्रवाई की गाड़ी स्पष्टीकरण से आगे नहीं बढ़ पायी है. लिहाजा अधिकांश चिकित्सकों के ड्यूटी से गायब रहने का सिलसिला अब भी जारी है. सीएस से लेकर विधायक तक के निरीक्षण में अलौली पीएचसी प्रभारी से लेकर एचएम तक गायब मिले लेकिन कोई कार्रवाई नहीं किये जाने से विभागीय कार्यशैली पर सवाल उठना लाजिमी है. इधर, बताया जाता है कि निजी क्लिनिक में बवाल के बाद रेफरल अस्पताल के प्रभारी डॉ अरविंद कुमार छुट्टी पर चले गये हैं. मोबाइल बंद रहने के कारण प्रभारी डॉ अरविंद का पक्ष नहीं लिया जा सका.
मोबाइल नहीं उठा रहे सीएस
पहले अलौली अस्पताल में अधिकांश चिकित्सकों के ड्यूटी से गायब रहने का खुलासा फिर गोगरी रेफरल अस्पताल प्रभारी के निजी क्लिनिक में मरीज की मौत जैसे कई मामले के खुलासा बाद कार्रवाई नहीं होने के मामले में सिविल सर्जन मीडिया से मुंह चुराते फिर रहे हैं. बुधवार को एक बार फिर सीएस के सरकारी मोबाइल पर रिंग होता रहा लेकिन रिसीव नहीं किया गया. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की कुव्यवस्था को दूर करने की बजाय मामले की लीपापोती की आशंका जतायी जा रही है.
मौत के करीब देख रेफरल अस्पताल रेफर
जानकारी अनुसार गोगरी रेफरल अस्पताल के प्रभारी के निजी क्लिनिक में महेशखूंट थाना क्षेत्र के गौछारी निवासी संजय चौरसिया (42) को अचानक तेज बुखार आने पर भरती करवाया गया. जहां मरीज को स्लाइन चढ़ाया गया लेकिन उसकी स्थिति बिगड़ते देख आननफानन में मरीज संजय चौरसिया को रेफरल अस्पताल रेफर कर दिया.
जिसके बाद परिजन हंगामा पर उतर आये. मृतक के परिजनों ने कहा कि मरीज को करीब तीन बजे डॉ अरविंद कुमार के निजी क्लिनिक में भरती करवाया गया. जहां मुश्किल से आधा घंटा भी मरीज को नहीं रखा गया लेकिन हजारों रुपये ऐंठ लिये गये. इस बीच मरीज की स्थिति बिगड़ने पर उसे मरने के लिये रेफरल अस्पताल भेज दिया गया.
जहां उसकी मौत हो गयी. परिजनों ने सवालिया लहजे में पूछा है कि आखिर जब निजी क्लिनिक में मरीज के इलाज की व्यवस्था नहीं थी तो उसी वक्त मरीज को रेफर क्यों नहीं किया गया? ऐसे कई सवाल उठाते हुए मरीज के परिजनों ने कहा कि सरकारी अस्पताल छोड़ कर पैसों के लिये जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने वाले डॉक्टर पर कार्रवाई होना चाहिये. जिससे कि सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों की मनमानी पर लगाम लगाने के साथ साथ बदहाल व्यवस्था में सुधार किया जा सके.
जानकारी अनुसार गोगरी रेफरल अस्पताल के प्रभारी के निजी क्लिनिक में महेशखूंट थाना क्षेत्र के गौछारी निवासी संजय चौरसिया (42) को अचानक तेज बुखार आने पर भरती करवाया गया. जहां मरीज को स्लाइन चढ़ाया गया लेकिन उसकी स्थिति बिगड़ते देख आननफानन में मरीज संजय चौरसिया को रेफरल अस्पताल रेफर कर दिया. जिसके बाद परिजन हंगामा पर उतर आये. मृतक के परिजनों ने कहा कि मरीज को करीब तीन बजे डॉ अरविंद कुमार के निजी क्लिनिक में भरती करवाया गया.
जहां मुश्किल से आधा घंटा भी मरीज को नहीं रखा गया लेकिन हजारों रुपये ऐंठ लिये गये. इस बीच मरीज की स्थिति बिगड़ने पर उसे मरने के लिये रेफरल अस्पताल भेज दिया गया. जहां उसकी मौत हो गयी. परिजनों ने सवालिया लहजे में पूछा है कि आखिर जब निजी क्लिनिक में मरीज के इलाज की व्यवस्था नहीं थी तो उसी वक्त मरीज को रेफर क्यों नहीं किया गया? ऐसे कई सवाल उठाते हुए मरीज के परिजनों ने कहा कि सरकारी अस्पताल छोड़ कर पैसों के लिये जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने वाले डॉक्टर पर कार्रवाई होना चाहिये.
जिससे कि सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों की मनमानी पर लगाम लगाने के साथ साथ बदहाल व्यवस्था में सुधार किया जा सके.
गोगरी रेफरल अस्पताल के प्रभारी के निजी क्लिनिक में मरीज की मौत के बाद बवाल से खुल गया पोल
पहले निजी क्लिनिक में भरती के करने के बाद स्थिति बिगड़ने पर मरीज को चिकित्सक ने भेजा रेफरल अस्पताल
परिजनों ने उठाया सवाल, जब मरीज की हालत गंभीर थी तो चिकित्सक ने पहले क्यों नहीं किया रेफर
सरकारी अस्पताल में ड्यूटी से गायब रह कर निजी प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सक पर नहीं हो रही कार्रवाई
अलौली पीएचसी में सीएस से लेकर विधायक तक के निरीक्षण में गायब मिले डाॅक्टरों पर नहीं कसा शिकंजा

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