नोटबंदी : सात माह की बेटी को लेकर काम करती हैं ये महिला बैंक कर्मी

खगड़िया :पांचसौ औरहजार रुपये के नोटों को अचानक चलन से हटाए जाने के बाददेशभर में कई बैंक और एटीएम मशीनाेंके बाहर लोगों की लंबी कतारें लग रही है. बैंकों के सामने नकदी की जरूरत को पूरा करने की चुनौतियां हैं. इसका सामना करने में पुरुष बैंक कर्मियों का साथ महिलाबैंककर्मियों ने भी दिया है. ऐसा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 17, 2016 5:50 PM

खगड़िया :पांचसौ औरहजार रुपये के नोटों को अचानक चलन से हटाए जाने के बाददेशभर में कई बैंक और एटीएम मशीनाेंके बाहर लोगों की लंबी कतारें लग रही है. बैंकों के सामने नकदी की जरूरत को पूरा करने की चुनौतियां हैं. इसका सामना करने में पुरुष बैंक कर्मियों का साथ महिलाबैंककर्मियों ने भी दिया है. ऐसा ही एक उदाहरण बिहार में खगड़िया स्थित इलाहाबाद बैंक कीएक शाखामें कर्मचारी कंचन प्रभा ने पेश किया है.

दैनिक हिंदुस्तान में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक कंचन प्रभा प्रतिदिन अपने सात माह की बेटी को लेकर बैंक आती हैऔर भीड़ से जूझते हुए अपने फर्ज को निभाती है. इलाहाबाद बैंक में काम करनेवाली कंचन केमुताबिक जब देश काला धन से परेशान है. उस समय हमारे देश के मुखिया ने फैसला लिया कि हमें एक लड़ाई लड़नी है. यह एक ऐसी लड़ाई है जिसमें बैंक कर्मियों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है. जिसके लिए मैं तैयार हूं. देश और समाज की सेवा के लिए वह रोज सुबहआठ बजे से हीं बैंक आने की तैयारी में लग जाती हैं.

कंचन के मुताबिक उन्हें अपनी बच्ची को साथ लेकर बैंक पहुंचना होता है. इसके लिए वह दूध और सारे इंतजामअपने साथलेकरबैंक आती हैं. ताकि बच्ची को किसी तरह की परेशानी नहीं हो. काम के दौरान वह जब भीथोड़ा फ्री होती है बच्ची को कुछ खिला देती हैं. शाम बैंक बंद होने के बाद कागजी काम निबटाया जाता है. उन्हें घर पहुंचने में 9 बजजाताहै. वो कहती हैं कि बैंक के ग्राहक हीं हैं जो बैंक को सफल बनाते हैं.

कंचन के पति प्रभात कुमार मुंगेर कोर्ट में एपीओ है. उन्हें भी अपनी पत्नी की कर्मठता पर गर्व है. कंचन को इस चुनौती से निबटने में बैंक के कर्मचारी भी सहयोग करते हैं. बैंक के अन्य कर्मियों का कहना है कि हमें मिलकर अपना फर्ज निभाना है. इसलिए सभी कंचन प्रभाको सहयोग करते हैं.

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