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BIHAR : खगड़िया के पूर्व दबंग MLA को उम्रकैद, 29 साल बाद मिली सजा

खगड़िया : बिहार के खगड़िया में 29 साल पहले पूर्व विधायक रणवीर यादव द्वारा बकरे के विवाद में अपने ही चचेरे भाई सुनील यादव की गोली मारकर हत्या कर देने के मामले में मंगलवार को मुंगेर के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश पीसी चौधरी द्वारा आजीवन […]

खगड़िया : बिहार के खगड़िया में 29 साल पहले पूर्व विधायक रणवीर यादव द्वारा बकरे के विवाद में अपने ही चचेरे भाई सुनील यादव की गोली मारकर हत्या कर देने के मामले में मंगलवार को मुंगेर के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश पीसी चौधरी द्वारा आजीवन करावास की सजा पाये पूर्व विधायक रणवीर यादव खगड़िया की वर्तमान विधायक पूनम देवी के पति भी हैं. प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने पूर्व विधायक रणवीर यादव को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. वहीं, अपर प्रथम सत्र न्यायालय की ओर से खगड़िया के पूर्व विधायक को उम्रकैद की सजा सुनाये जाने के बाद उनकी पत्नी और वर्तमान विधायक पूनम देवी ने कहा कि हम इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण में जायेंगे. उम्मीद है कि हमें हाईकोर्ट से न्याय जरूर मिलेगा.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बकरे के विवाद में हत्या करने के मामले में मुंगेर के प्रथम अपर सत्र न्यायालय की ओर से 24 दिसंबर, 2017 को ही पूर्व विधायक रणवीर यादव को दोषी करार दे दिया गया था. इसके बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

सूत्रों के अनुसार, घटना 6 दिसबंर, 1988 को घटित हुई थी. 06 दिसंबर, 2017 को पूर्व विधायक रणवीर यादव का बकरा (खस्सी) छत से गिर गया था. इसे लेकर उपजे विवाद में उन पर चचरे भाई सुनील यादव को गोली मारने का आरोप लगा था. गोली लगने के बाद घायल सुनील की मौत इलाज के दौरान घटना के 11 दिनों के बाद हो गयी थी. इसके पहले घायल सुनील ने पूर्व विधायक के खिलाफ थाने में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए लिखित बयान दिया था कि रणवीर ने भाई कैलू यादव के इशारे पर राइफल से गोली चलायी थी.

सूत्रों का कहना है कि इस मामले का एक अन्य अभियुक्त कैलू यादव का वैशाली जिला के पातेपुर थानाक्षेत्र के बाजितपुर गांव में 1993 को हत्या हो कर दी गयी थी. कोर्ट द्वारा दोषी करार दिये जाने के बाद पूर्व विधायक को मुंगेर के मंडल कारा में उसी दिन भेज दिया गया था. घटना के समय खगड़िया में सत्र न्यायालय नहीं होने की वजह से केस को मुंगेर भेज दिया गया था. बाद के दिनों में यहां सत्र न्यायालय बनने के बाद केस को खगड़िया वापस लाया गया था.

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