लुधियाना-जालंधर को भा रहीं खगड़िया की मछलियां
खगड़िया : मछली उत्पादन में खगड़िया का रिकार्ड है. यहां वित्तीय वर्ष 2015-16 में 19 हजार मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ था. चालू वित्तीय वर्ष में 19.08 हजार मीट्रिक टन का लक्ष्य है. अब तक दस हजार मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हो चुका है. जबकि लगभग डेढ़ माह बांकी है. बीते वर्ष 1000 […]
खगड़िया : मछली उत्पादन में खगड़िया का रिकार्ड है. यहां वित्तीय वर्ष 2015-16 में 19 हजार मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ था. चालू वित्तीय वर्ष में 19.08 हजार मीट्रिक टन का लक्ष्य है. अब तक दस हजार मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हो चुका है. जबकि लगभग डेढ़ माह बांकी है.
बीते वर्ष 1000 टन मछलियां बाहर भेजी गयी
दिनोंदिन खगड़िया मछली उत्पादन में आगे बढ़ रही है. अब यहां से मछलियां दूसरे प्रांतों में भी भेजी जा रही है. मुख्य रूप से सड़क मार्ग से मछलियां बाहर जा रही है. जबकि रेल मार्ग से भी मछलियों का निर्यात हो रहा है. नीलरत्न अंबष्ठ, मुख्य वाणिज्य निरीक्षक ने बताया कि ट्रेनों से पार्सल के द्वारा प्रतिदिन यहां से मछलियां लुधियाना और जालंधर भेजी जाती है. जिला मत्स्य पदाधिकारी अंजनी कुमार के अनुसार बीते वर्ष 1000 मीट्रिक टन के आसपास मछलियां बाहर भेजी गई थी, इस वर्ष 1500 मीट्रिक टन का लक्ष्य है. जानकारी अनुसार खगड़िया की मछलियों का डिमांड मुख्य रूप से सिलीगुड़ी, दिल्ली, लुधियाना और जालंधर जैसे बड़े शहरों में है.
आंध्र की मछलियों की हिस्सेदारी घटी
कभी यहां के मार्केट पर आंध्र की मछलियों का कब्जा था. परंतु, धीरे-धीरे आंध्र की हिस्सेदारी कमी है. अब बहुत कम संख्या में आंध्र की मछलियां यहां आ रही है. जिला मत्स्य पदाधिकारी के अनुसार अब आंध्र की मछलियां बहुत कम मात्रा में यहां आती है. वहां की मछलियां सस्ती है, इसलिए यहां के बाजार में दिख रही है. आंध्र की मछलियां 90-100 रुपये किलो यहां उपलब्ध है. दूसरी ओर देसी मछलियां 200-300 रुपये किलो बिकती है.
कहते हैं अधिकारी
जिला मतस्य पदाधिकारी अंजनी कुमार ने बताया कि यहां से दूसरे प्रदेशों में मछलियां भेजी जा रही है. इस वित्तीय वर्ष में 19.08 हजार मीट्रिक टन का लक्ष्य है, जिसे जरूर पूरा करेंगे.